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‘कोरोना’ को भगाना है, प्रधानमंत्री के महामंत्र को सफल बनाना है
हम बने, तुम बने एक-दूजे के लिए। हमने माना तुम भी मानो, हम भी रहें और तुम भी रहो घर में एक-दूजे के लिए
समाचार4मीडिया ब्यूरो 4 years ago
प्रो. रमेश चन्द्र कुहाड़,
कुलपति, हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय ।।
हम बने, तुम बने
एक-दूजे के लिए
हमने माना तुम भी मानो
हम भी रहें और
तुम भी रहो घर में
एक-दूजे के लिए
घर किसी ने अभी न जाओ
अपने घर से दुआ करो
एक-दूजे के लिए
कष्ट तो होता है
जब बंदिश होती है
लेकिन, जोखिम सामने है
कष्ट उठाना अच्छा है
एक-दूजे के लिए
पाना अच्छा लगता है
पर खोना भी तो पड़ता है
कुछ पाओ, कुछ खोओ
एक-दूजे के लिए
है परीक्षा की तैयारी
जीवन कमरे में बिताना है
पक्षी बच्चों की खातिर
दिनों-दिन घोसले में रहता है
जच्चा माँ की पीड़ा समझो
चालीस दिन से तो गुजरो
फसल की सुरक्षा की खातिर
किसान खेत में रहता है
सीमा-सुरक्षा में तपधारी
जवान की पीड़ा को सहना है
मरीज सुश्रुषा में डूबे
डॉक्टर की पीड़ा को समझो
जो खबरें हम तक आती हैं
जीवन का राज बताती हैं
प्रेस, मीडिया, पुलिस-व्यवस्था में
लगी जिंदगियों को समझो
इतिहास हमारा साक्षी है
हम कष्टों से नहीं घबराते
इस नई आपदा को समझो
हिम्मत से फैसला लेना है
घर के बाहर नहीं जाना है
तुम राज-व्यवस्था को समझो
‘कोरोना’ को भगाना है
प्रधानमंत्री के महामंत्र को सफल बनाना है
एक-दूजे के लिए
एक-दूजे के लिए।
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