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वरिष्ठ टीवी पत्रकार रवीश कुमार ने लिखी कविता, टीवी गोबर का पहाड़ है...

एनडीटीवी के जाने-माने सीनियर न्यूज एंकर रवीश कुमार ने हाल ही में अपने फेसबुक वॉल पर...

समाचार4मीडिया ब्यूरो 6 years ago

एनडीटीवी के जाने-माने सीनियर न्यूज एंकर रवीश कुमार ने हाल ही में अपने फेसबुक वॉल पर साल 2009 की अपनी एक कविता साझा की है, जिसे आप नीचे पढ़ सकते हैं-

जब भी कोई अच्छा गाना सुनता हूं या अच्छी कविता पढ़ लेता हूं तो एक बार हूक उठती है कि अरे यार यही वाली मैंने लिखी होती। मगर दोनों में फेल। आज आप लोग टीवी को लेकर नकली रोना रो रहे हैं। 2009 के साल में भी रो रहे थे। तब मैं भी रोता था अब नहीं रोता क्योंकि टीवी नहीं देखता। न्यूज़ चैनल महीने में आधा घंटा देख लेता हूं। बाकी सोशल मीडिया से पता चल जाता है कि टीवी में क्या चल रहा है। ख़ैर मई 2009 की लिखी मेरी तुकबंदी रहित कविता पढ़ सकते हैं। उन्वान है-

टीवी गोबर का पहाड़ है

आठ विचारक और एक एंकर 
भन्न भन्न भन्नाते हैं 
कौन बनेगा पीएम अबकी 
बक बक बक जाते हैं 
ज़रा ज़रा करते करते 
जब सारे थक जाते हैं 
वक्त ब्रेक का आ जाता है 
साबुन तेल बिक जाते हैं 
घंटा खाक नहीं मालूम इनको 
बीच बीच में चिल्लाते हैं 
हर चुनाव में वही चर्चा 
चर्चा के पीछे लाखों खर्चा 
कौन बनेगा प्रधानमंत्री सनम 
क्या कर लोगों जान कर 
कहते हैं सब बिन मुद्दे की मारामारी 
इस चुनाव में पीएम की तैयारी 
भन्न भन्न भन्नाते हैं 
माइक लिए तनिक सनम जी 
गांव गांव घूम आते हैं 
पूछ पूछ कर सब सवाल 
दे दे कर सब निहाल 
अपने जवाबों पर इतराते हैं
फटीचर फटीचर फटीचर है 
टीवी साला फटीचर है 
अंग्रेजी हो या हिंदी हो या फिर गुजराती 
घंटा खाक नहीं मालूम 
झाड़े चले जाते हैं बोकराती 
बंद करो अब टीवी को 
टीवी साला खटाल है 
दूध जितना का न बिकता 
उससे बेसी गोबर का पहाड़ है
(
कृपया मुझसे न कहें कि मैं क्या कर रहा हूं। मैं गोबर पाथूं या गोइठा ठोकूं, आप बस कविता पढ़िये)

(फेसबुक वॉल और कस्बा ब्लॉग से साभार)


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