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ये दुनिया किस काम की रहेगी...
जब नहीं रहेगी बच्चों की मुस्कुराहटें, औरतों की फुसफुसाहटें, बात बे बात पर आने वाली खिलखलाहटें, ये दुनिया किस काम की रहेगी...
समाचार4मीडिया ब्यूरो 4 years ago
आकाश वत्स, युवा पत्रकार ।।
ये दुनिया किस काम की रहेगी...
जब नहीं रहेगी बच्चों की मुस्कुराहटें
औरतों की फुसफुसाहटें, बात बे बात पर आने वाली खिलखलाहटें,
ये दुनिया किस काम की रहेगी...
जब नहीं आएगा मोहल्ले में फेरी वाला,
जब घंटी बजाते हुए नहीं लुभाएगा आइसक्रीम वाला,
जब ख़बरों की गठरी लिए नहीं आएंगे अख़बार वाले भैया,
जब किसी अनजान को देख नहीं भौंकेगा कुत्ता..
ये दुनिया किस काम की रहेगी...
जब बैग लिए बच्चे नहीं जाएंगे स्कूल,
जब किसी को छोड़ते हुए स्टेशन पर नहीं रोयेंगे लोग,
जब दूसरे शहर से आने वाले अंकल से बच्चे नहीं मांग पाएंगे टॉफी...
जब गांव से मां नहीं भेज पाएगी अचार,
ये दुनिया किस काम की रहेगी...
जब पेड़ की छांव में नहीं बैठेगा कोई पथिक,
तालाब में मछुआरा नहीं फेंकेगा जाल,
जब नहीं होगा नाव में बैठ नदी पार कर लेने का भरम...
जब सूरज के उगते ही खेत में नहीं चलेंगे हल...
ये दुनिया किस काम की रहेगी...
अब, इंतज़ार है, सड़क को राही का,
पार्कों को बुजुर्गों के आहिस्ते क़दमों का...
रिक्शे वाले को सवारी का...इंतज़ार है,
अम्मा के उस फ़ोन का..
जब वो फिर से डांटते हुए पूछेंगी घर कब तक आओगे,
इंतज़ार है...हॉर्न देकर प्लेटफॉर्म से सरकती ट्रेन में लपककर बैठ जाने का ...
अब जब तक अधूरी रहेगी रोजमर्रा की ख़्वाहिशें...
जब तक अधूरा है उसके गले से लगकर इस दुनिया की कहानी कह देने का सपना...
ये दुनिया किसी काम की नहीं है
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