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बड़ी मारक है वक्त की मार...
इस कविता के माध्यम से कवि ने यह बताने का प्रयास किया है कि कोविड-19 ने हमारी दिनचर्या पर किस तरह का प्रतिकूल प्रभाव डाला है
समाचार4मीडिया ब्यूरो 4 years ago
बड़ी मारक है, वक्त की मार।
हिंद में मचा यूं हाहाकार।।
सड़कें हैं, सवार नहीं।
हरियाली है, गुलजार नहीं।।
बाजार है, खरीदार नहीं।
गुस्सा है, इजहार नहीं।।
सोने वाले सो रहे।
खटने वाले रो रहे।।
खुशनसीबों पर सिस्टम मेहरबान।
बाकी भूखों को तो बस ज्ञान पर ज्ञान।।
जाने कब खत्म होगा नई सुबह का इंतजार।
बड़ी मारक है वक्त की मार।।
(लेखक पश्चिम बंगाल के खड़गपुर में रहते हैं और वरिष्ठ पत्रकार हैं।)
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