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वरिष्ठ पत्रकार उमेश उपाध्याय की नई किताब ने मार्केट में दी दस्तक
वरिष्ठ पत्रकार उमेश उपाध्याय की नई किताब ''वेस्टर्न मीडिया नरेटिव्स ऑन इंडिया फ्रॉम गांधी टू मोदी'' ने मार्केट में दस्तक दे चुकी है।
समाचार4मीडिया ब्यूरो 6 months ago
वरिष्ठ पत्रकार उमेश उपाध्याय की नई किताब ''वेस्टर्न मीडिया नरेटिव्स ऑन इंडिया फ्रॉम गांधी टू मोदी'' मार्केट में दस्तक दे चुकी है। यह किताब रूपा पब्लिकेशन के जरिए अंग्रेजी भाषा में प्रकाशित की गई है।
''वेस्टर्न मीडिया नरेटिव्स ऑन इंडिया'' यह पता लगाती है कि सांस्कृतिक साम्राज्यवाद तीसरी दुनिया के देशों को कैसे प्रभावित करता है। पूर्व उपनिवेशवादियों के हाथों में मीडिया, जो अपना प्रभुत्व बनाए रखना चाहते हैं, लोगों के विचारों को निर्देशित करने का एक उपकरण बन गया है। भारत पर केंद्रित, यह नरेटिव्स 1947 में देश की आजादी से लेकर आज तक फैली हुई है, जिसमें प्रमुख पश्चिमी अंग्रेजी मीडिया द्वारा भारतीय नेतृत्व को लगातार निशाना बनाने की पड़ताल की गई है।
यह किताब दिखाती है कि कैसे अंग्रेजी प्रेस भारत के खिलाफ पश्चिम के लंबे समय से चले आ रहे पूर्वाग्रहों को कायम रखे हुए है। इतिहास से प्रेरणा लेते हुए यह किताब इस पूर्वाग्रह की उत्पत्ति और कारणों का आलोचनात्मक विश्लेषण और खुलासा करती है। भारतीय अनुभव में निहित होने के बावजूद, उपनिवेशवाद की छाया से जूझ रहे किसी भी राष्ट्र के लिए इससे प्राप्त सबक सार्वभौमिक प्रासंगिकता रखते हैं।
इस किताब को लेकर राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश नरायण सिंह कहते हैं, ''उमेश उपाध्याय ने कठोर शोध पर आधारित अपनी इस किताब के माध्यम से स्पष्ट रूप से दिखाया है कि कैसे पश्चिमी मीडिया पारंपरिक रूप से पक्षपाती और नकारात्मक रहा है, जो भारत की विकृत छवि पेश करता है। ये असंतुलित छवियां अब इस प्रौद्योगिकी-संचालित दुनिया में इक्कीसवीं सदी की उभरती वैश्विक शक्ति के रूप में भारत के कद के विपरीत प्रतीत होती हैं। उपाध्याय ने बिल्कुल सही कहा है कि यदि पश्चिमी मीडिया ने भारत के प्रति अपना दृष्टिकोण नहीं बदला, तो उसकी विश्वसनीयता खतरे में पड़ जाएगी। यह किताब वास्तव में एक बहुत ही रोचक और जानकारीपूर्ण अध्ययन है।''
जाने-माने अर्थशास्त्री और बेस्टसेलिंग लेखक संजीव सान्याल इस किताब को लेकर कहते हैं, ''भारत की बाहरी धारणाओं सहित वैश्विक आख्यान अब तक विशेष रूप से पश्चिमी मीडिया द्वारा अपने उद्देश्यों के लिए संचालित किए गए हैं। इस पठनीय पुस्तक में उमेश उपाध्याय ने स्पष्टता और निर्विवाद साक्ष्य के साथ इतिहास का वर्णन किया है कि कैसे 1947 के बाद से दुनिया में भारत की स्थिति को खराब करने के लिए इस विकृत मीडिया नरेटिव्स का उपयोग किया गया है।
उमेश उपाध्याय एक अनुभवी पत्रकार व कम्युनिकेटर हैं, जिनके पास प्रिंट, रेडियो, टीवी और डिजिटल मीडिया में चार दशकों का अनुभव है। उन्होंने एक ग्राउंड रिपोर्टर से एक अनुभवी संपादक तक का सफर तय किया। इस दौरान उन्होंने 'प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया', 'ऑल इंडिया रेडियो', 'डीडी न्यूज', 'नेटवर्क18' और 'जी न्यूज' सहित कई अन्य न्यूज नेटवर्क के साथ काम किया है। जेएनयू, डीयू और FTII के छात्र रह चुके उमेश उपाध्याय का अंतरराष्ट्रीय संबंधों और मीडिया के प्रति उनका जुनून उनके लेखों में स्पष्ट है। उन्होंने कई न्यूज व टॉक शो को प्रड्यूस किया और उसकी एंकरिंग भी की है। पत्रकारिता से परे, उन्हें शिक्षण और यात्रा करना पसंद है।
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