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किस तरह पत्रकार ने कर डाली पूरे 10 करोड़ की गलती, जानें यहां
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पिछले 6 महीनों में मिले उपहारों की नीलामी 14 सितम्बर से ऑनलाइन शुरू की गई है
समाचार4मीडिया ब्यूरो 5 years ago
इन दिनों एक न्यूज चैनल का विडियो वायरल हो रहा है, जिसमें बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा ये नहीं बता पाते कि पांच ट्रिलिटन में कितने जीरो होते हैं, अब ऐसी ही गलती हरिभूमि अखबार के पत्रकार ने की है। दरअसल खबर जुडी है पीएम मोदी को मिलने वाले गिफ्ट्स की नीलामी से, इस नीलामी में आप ऑनलाइन हिस्सा ले सकते हैं। इस खबर में बताया गया है कि कैसे मोदी को गिफ्ट में मिले एक फोटोफ्रेम की नीलामी राशि 11 करोड़ रुपए पहुंच गई है, जबकि सच कुछ अलग है।
दरअसल पिछले 6 महीनों में मिले उपहारों की नीलामी 14 सितम्बर से ऑनलाइन शुरू की गई है, ये उपहार आप नेशनल गैलरी ऑफ मॉर्डन आर्ट देख सकते हैं औऱ pmmementos.gov.in पर ऑनलाइन नीलामी में हिस्सा ले सकते हैं। इस साइट पर एक-एक उपहार की फोटो, रिजर्व राशि, किसने दिया, कौन सा बिक चुका है आदि जानकारी ले सकते हैं। 15 सितंबर को दैनिक जागरण ने एक खबर लगाई कि कैसे मोदी को मिले एक गमछे की बोली 11 करोड़ रुपए तक पहुंच चुकी है। हालांकि दैनिक जागरण ने लिखा था बोली लगाने वाले की जांच हो रही है, इसलिए गमछे को नीलामी में से हटा लिया गया है, साइट पर उसका फोटो मिला भी नहीं।
लेकिन इसी खबर को हरिभूमि में इस हेडलाइन से छापा गया था-पीएम मोदी के फोटोफ्रेम की बोली लगी 11 करोड़, प्रधानमंत्री के उपहारों की नीलामी की कीमतें हैरान कर देंगी। अब हमने इस खबर की पड़ताल नीलामी वाली वेबसाइट पर जाकर की तो पता चला कि इस फोटोफ्रेम की नीलामी रोकी जा चुकी है और बोली लगी है 1,00,00,100 रुपए की, जो संख्या में ही लिखा है रुपयों मे नहीं। ये राशि शब्दों में एक करोड़ एक सौ रुपए होती है, लेकिन हरिभूमि की खबर में इसे 11 करोड़ रुपए लिख दिया गया है और दो दिन बीतने के बाद भी इसमें सुधार नहीं किया गया है।
हमें लगता है खबर लिखने वाले ने दैनिक जागरण की खबर देखी होगी, उसे 11 करोड़ का कुछ और मिला नहीं तो उसने सोचा होगा कि गमछा नहीं, बल्कि फोटोफ्रेम 11 करोड़ में बिका होगा, जो हकीकत में 1 करोड़ 100 रुपए का ही है, सो उसने अपनी एक नई खबर लिख डाली। दिखने में ये गलती छोटी है, लेकिन है 10 करोड़ की। वैसे भी 1 में एक ही 1 होता है और 11 में दो एक होते हैं, लिखने वाले को ये तो सोचना चाहिए था।
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