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ज्ञानेश्वर मुले की किताब ‘नौकरस्याही के रंग’ का हुआ विमोचन
दिल्ली स्थित ‘इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र’ (IGNCA) के सम्वेत ऑडिटोरियम में 23 अगस्त की शाम आयोजित एक कार्यक्रम में केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए।
समाचार4मीडिया ब्यूरो 2 years ago
भारतीय विदेश सेवा के पूर्व अधिकारी और जाने-माने लेखक ज्ञानेश्वर मुले की हिंदी में अनुवादित किताब ‘नौकरस्याही के रंग’ ने मार्केट में दस्तक दे दी है। दिल्ली स्थित ‘इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र’ (IGNCA) के सम्वेत ऑडिटोरियम में 23 अगस्त की शाम आयोजित एक कार्यक्रम में इस किताब का विमोचन किया गया। केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी के मुख्य आतिथ्य में हुए इस कार्यक्रम में ‘इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र’ (IGNCA) के सदस्य सचिव डॉ. सच्चिदानंद जोशी और पुणे की MIT World Peace University की प्रोफेसर अंजू शरण उपाध्याय को गेस्ट ऑफ ऑनर दिया गया।
मंचासीन अतिथियों में किताब के पब्लिशर ‘आलोकपर्व प्रकाशन’ के राम गोपाल शर्मा भी शामिल रहे। मूल रूप से मराठी में लिखी गई इस पुस्तक के हिंदी अनुवादक डॉ. दामोदर खड़से विदेश में होने की वजह से इस कार्यक्रम में शामिल नहीं हो सके। हालांकि, उनकी बात को ऑडियो क्लिप के माध्यम से कार्यक्रम में रखा गया।
इस किताब के बारे में मुले ने बताया कि अपने जीवन के चुनौतीपूर्ण मोड़ों से आगे बढ़ते हुए उनके संवेदनशील मन ने जो अनुभव किया, वह 'नौकरस्याही के रंग' में पाठकों को पढ़ने को मिलेगा। यह किताब पाठकों को विदेशी जन-जीवन, व्यक्ति-प्रकृति, भाषा-परिवेश और दीन-दुनिया की यात्रा पर ले जाती है। इसमें कहीं संस्मरण तो कहीं आत्मकथा के रूप में उन्होंने अपनी बात कही है। इस किताब में बीच-बीच में कुछ कविताओं को भी जगह दी गई है।
बता दें कि ज्ञानेश्वर मुले का चयन 1983 में भारतीय विदेश सेवा के लिए हुआ था। उन्होंने भारतीय विदेश मंत्रालय में कई महत्वपूर्ण पदों पर काम किया है। इसके अलावा वह मालदीव में सबसे लंबे समय तक हाई कमिश्नर भी रहे हैं। महाराष्ट्र में कोल्हापुर के रहने वाले और पासपोर्ट मैन के नाम से लोकप्रिय ज्ञानेश्वर मुले की पूर्व में कई किताबें पब्लिश हो चुकी हैं। ज्ञानेश्वर मुले हिंदी और मराठी के पुरस्कृत लेखक हैं। उनकी कई किताबों का उर्दू और अरबी में अनुवाद भी किया गया है।
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