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फ्रंट पेज पर अखबारों में आज इन खबरों ने बनाई अपनी जगह
दैनिक जागरण और हिन्दुस्तान में आज दो फ्रंट पेज बनाए गए हैं, वहीं दैनिक भास्कर और नवभारत टाइम्स में फ्रंट पेज पर आधा पेज विज्ञापन है
नीरज नैयर 4 years ago
दिल्ली से प्रकाशित होने वाले अखबारों ने आज लटकती फांसी पर सुप्रीम कोर्ट के सख्त रुख को सबसे बड़ी खबर के रूप में पेश किया है। सबसे पहले बात करते हैं दैनिक जागरण की, जहां विज्ञापनों के चलते दो फ्रंट पेज बनाए गए हैं। पहले पेज पर लीड अनुच्छेद 370 पर हुई सुनवाई को रखा गया है। इसमें केंद्र सरकार ने स्पष्ट किया है कि फैसला वापस लेना मुमकिन नहीं है। गाजियाबाद में वायुसेना के 2-सीटर विमान की आपात लैंडिंग फोटो के रूप में पेज पर है। कल ये खबर इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की सुर्खियां थी।
इसके अलावा, पेज पर दो अन्य खबरें हैं। पहली, मध्यप्रदेश के दो युवकों के खाते में आये 274 करोड़ और दूसरी, कश्मीर पर बयानबाजी पर पाकिस्तान को लताड़। वहीं, दूसरे फ्रंट पेज की बात करें तो फांसी पर सुप्रीम कोर्ट के सख्त रुख को लीड का दर्जा मिला है। अदालत का कहना है कि फांसी से जुड़े मामलों में अंतहीन मुकदमेबाजी की इजाजत नहीं दे सकते। दिल्ली में नागरिकता संशोधन कानून के विरोधियों पर गरजे अमित शाह को भी पेज पर जगह मिली है। शाह का कहना है कि देश तोड़ने की बात करने वालों को जेल जाना होगा।
हिन्दुस्तान में भी आज पाठकों को दो फ्रंट पेज मिले हैं। पहले फ्रंट पेज पर बृजेश सिंह की बाईलाइन स्टोरी को लीड का दर्जा मिला है। बृजेश ने शाहीन बाग़ में चल रहे प्रदर्शन को देखते हुए चुनाव आयोग की तैयारियों पर प्रकाश डाला है। गाजियाबाद के एक्सप्रेस-वे पर विमान की आपात लैंडिंग फोटो के रूप में पेज पर है। इसके अलावा, असम में 644 उग्रवादियों के समर्पण सहित कुछ अन्य समाचारों को भी स्थान मिला है।
दूसरे फ्रंट पेज का रुख करें तो यहां अनुच्छेद 370 पर केंद्र की दलील को लीड और लटकती फांसी पर सुप्रीम कोर्ट के सख्त रुख को सेकंड लीड लगाया गया है। पेज पर दो बाईलाइन खबरें भी हैं। रिंकू झा ने जहां एक ऐसे गांव के बारे में बताया है, जिसकी 56 बेटियां राष्ट्रीय खिलाड़ी बन चुकी हैं। वहीं, स्कंद विवेक धर ने मेडिकल पीजी में सीटें बढ़ने की संभावना पर प्रकाश डाला है। कोरोना वायरस के चलते सऊदी अरब में 30 भारतीय नर्सों की निगरानी की जा रही है, ये समाचार भी फ्रंट पेज पर प्रमुखता के साथ है। एंकर में विराट कोहली के गुस्से को स्थान मिला है। कोहली लगातार होने वाले क्रिकेट आयोजनों से खफा हैं और उन्होंने इसके लिए एक तरह से बीसीसीआई पर निशाना साधा है।
अब दैनिक भास्कर को देखें तो यहां भी फ्रंट पेज पर ज्यादा जगह नहीं है। आधा पेज विज्ञापन के चलते केवल चार बड़ी खबरों को ही स्थान मिल सका है। लीड लटकती फांसी पर सुप्रीम कोर्ट का सख्त रुख है। चीफ जस्टिस का कहना है कि फांसी के खिलाफ अपीलों का एक छोर पर अंत जरूरी है। दरअसल, चीफ जस्टिस ने यह टिप्पणी 7 लोगों के हत्यारे प्रेमी जोड़े की पुनर्विचार याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान की। लीड में ही निर्भया केस में डेथ वारंट जारी करने वाले जज के तबादले का भी जिक्र है।
दूसरी बड़ी खबर के रूप में पवन कुमार की बाईलाइन को लगाया गया है, जिसके अनुसार, 30 लाख आशा-आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के परिवारों को आयुष्मान भारत का लाभ मिल सकता है। वहीं, वर्तमान आंदोलनों पर पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का बयान और भीमा कोरेगांव हिंसा पर पुलिस के साथ महाराष्ट्र की समीक्षा बैठक को भी पेज पर जगह मिली है। मुखर्जी का कहना है कि मौजूदा शांतिपूर्ण आंदोलन देश को मजबूत करेंगे।
नवभारत टाइम्स के फ्रंट पेज पर भी आधा पेज विज्ञापन है। लीड लटकती फांसी पर सुप्रीम कोर्ट के सख्त रुख को लगाया गया है। एक्सप्रेस-वे पर विमान की आपात लैंडिंग के फोटो को भी जगह मिली है। वहीं, नागरिकता संशोधन कानून का पहली बार खुलकर विरोध करने वाले अरविंद केजरीवाल को भी प्रमुखता के साथ पेज पर रखा गया है। इसके अलावा, पेज पर केवल तीन सिंगल समाचार हैं।
सबसे आखिरी में बात करते हैं राजस्थान पत्रिका की। फ्रंट पेज की शुरुआत एक्सप्रेस वे पर विमान की आपात लैंडिंग के फोटो से हुई है। लीड लटकती फांसी पर सुप्रीम कोर्ट का सख्त रुख है और इसमें अभिनेत्री कंगना रनौत की वरिष्ठ वकील इंदिरा जय सिंह पर की गई तीखी टिप्पणी को भी शामिल किया गया है। इंदिरा ने निर्भया के दोषियों को माफ करने को कहा था। पृथ्वी के दोहन से जुड़ी एक वैश्विक रिपोर्ट को अखबार ने बेहद आकर्षक अंदाज में पाठकों के समक्ष पेश किया है। हालांकि इसके आंकड़े डराने वाले हैं। वहीं, सीएए समर्थक जुलूस पर रांची में पथराव सहित कुछ अन्य समाचार भी पेज पर हैं। एंकर में दिल्ली विधानसभा से जुड़ी दो ख़बरों लगाया गया है। इससे दो फायदे हुए हैं एक तो दिल्ली के समाचारों को पेज पर स्थान मिला है और दूसरा टाइप्ड हो चुके सेकंड हाफ से भी छुटकारा मिला है।
आज का ‘किंग’ कौन?
1: लेआउट के लिहाज से आज राजस्थान पत्रिका और हिन्दुस्तान को अव्वल कहा जा सकता है। विज्ञापनों के चलते शेष अख़बारों के लिए ज्यादा कुछ करने की गुंजाइश ही नहीं थी।
2: खबरों की प्रस्तुति के मामले में दैनिक जागरण को छोड़कर सभी अखबारों के फ्रंट पेज अच्छे नजर आ रहे हैं।
3: शीर्षक को कलात्मक बनाने का प्रयास आज भी अखबारों ने नहीं किया है।
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