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जानें, क्यों भारतीय प्रिंट मीडिया के लिए काफी राहत भरी है ये खबर

द साउथ एशिया मीडिया फेस्टिवल 2019 में विशेषज्ञों ने भारत में प्रिंट इंडस्ट्री के बारे में फैल रहे मिथकों को दूर करने का प्रयास किया

समाचार4मीडिया ब्यूरो 4 years ago

‘इंटरनेशनल न्यूज मीडिया एसोसिएशन’ (INMA) द्वारा पिछले दिनों दिल्ली में ‘द साउथ एशिया मीडिया फेस्टिवल 2019’ (The South Asia Media Festival 2019) का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में विशेषज्ञों ने भारत में प्रिंट इंडस्ट्री के बारे में फैल रहे मिथकों को दूर करने का प्रयास किया।

इस मौके पर जहां विशेषज्ञों ने प्रिंट इंडस्ट्री से जुड़े विभिन्न मामलों और मिथकों पर बात की, वहीं ‘कंतार मीडिया’ (Kantar Media) के सीईओ और चेयरमैन एंडी ब्राउन ने प्रिंट मीडियम की ग्रोथ के बारे में बताया। अपनी प्रजेंटेशन के दौरान उन्होंने  ‘टीजीआई ग्लोबल क्विक व्यू’ (TGI Global Quick View) द्वारा जारी रिपोर्ट में शामिल डाटा का हवाला भी दिया।

‘टीजीआई ग्लोबल क्विक व्यू’ कि रिपोर्ट में 22 देशों में से भारत न्यूजपेपर पब्लिशर्स के लिए चौथा सबसे बड़ा मार्केट है। आज के डिजिटल युग में भी टीवी के बाद उपभोग के मामले में प्रिंट दूसरे नंबर पर बना हुआ है। अपने खास और एक्सक्लूसिव रीडर बेस के कारण यह युवा वर्ग में भी सबसे ज्यादा विश्वसनीय माध्यम बना हुआ है।

ब्राउन का कहना था, ‘लगभग बीस सालों से इंटरनेट लोगों के जीवन में अहम भूमिका निभा रहा है, ऐसे में दुनिया में अखबार पढ़ने वालों की संख्या लगातार कम हो रही है, लेकिन भारत इसका एक बड़ा अपवाद है। यहां स्थिति इसके विपरीत है।’

ब्राउन का कहना था कि दुनिया भर में तमाम जगह कई सालों से विभिन्न न्यूज ब्रैंड्स को अपने पारंपरिक प्रिंटेड फॉर्मेट के ऑडियंस में कमी का सामना करना पड़ रहा है, लेकिन भारत में स्थिति बिल्कुल इसके विपरीत है। भारत में जनसंख्या बढ़ने और सामाजिक-आर्थिक क्षेत्र में बढ़ोतरी के कारण हिंदी और अन्य प्रादेशिक भाषाओं के अखबारों की रीडरशिप में काफी उछाल आया है।

‘नील्सन’ (Nielsen) की मार्केटिंग प्रमुख (Effectiveness Practice) डॉली झा ने ब्राउन की बातों से सहमति जताई। उनका कहना था कि हालांकि लोग सोचते हैं कि प्रिंट मीडिया खत्म हो चुका है, लेकिन भारत में यह अभी भी सबसे ज्यादा प्रभावी माध्यम बना हुआ है। झा के अनुसार, ‘भारतीय अभी भी प्रिंट पर ज्यादा समय दे रहे हैं।’

 ‘कंतार मीडिया’ द्वारा पेश किए गए आंकड़े दर्शाते हैं कि 48 प्रतिशत कंज्युमर्स आडियो बेस्ड मीडियम को प्राथमिकता देते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि हालांकि आज के दौर में ‘एलेक्सा’ (Alexa) और ‘अमेजॉन ईको’ (Amazon Echo) जैसी ऑडियो बेस्ड डिवाइसों की मांग बढ़ती जा रही है। ये डिवाइस निश्चित रूप से मार्केटिंग और एडवर्टाइजिंग का भविष्य हो सकते हैं, लेकिन न्यूज के उपभोग के लिए अधिकांश युवा पीढ़ी भी प्रिंट पर निर्भर है।


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