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न्यूजप्रिंट की कीमतों में सुधार को लेकर डीबी कॉर्प के गिरीश अग्रवाल ने कही ये बात
‘डीबी कॉर्प लिमिटेड’ के नॉन एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर गिरीश अग्रवाल का कहना है भारत में आर्थिक सुधार जारी है और त्योहारी सीजन की मदद से यह तिमाही असाधारण रूप से अच्छी रही है
समाचार4मीडिया ब्यूरो 1 year ago
‘डीबी कॉर्प लिमिटेड’ (D. B. Corp Ltd) के नॉन एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर गिरीश अग्रवाल का कहना है भारत में आर्थिक सुधार जारी है और त्योहारी सीजन की मदद से यह तिमाही असाधारण रूप से अच्छी रही है। वित्तीय वर्ष 2023 की दूसरी तिमाही की अर्निंग कॉन्फ्रेंस कॉल (earnings conference call) के दौरान गिरीश अग्रवाल ने यह बात कही।
उन्होंने कहा कि ‘हम सभी सेगमेंट में तिमाही-दर-तिमाही के साथ-साथ साल-दर-साल बहुत मजबूत परिणाम देने में सक्षम हैं। हमें उम्मीद है कि इंडस्ट्री की रफ्तार फिर से वहीं से शुरू होगी, जब साल 2020 में कोविड से पहले यह धीमी पड़ गई थी।’
इस दौरान, उन्होंने न्यूजप्रिंट (अखबारी कागज) की कीमतों को कम किए जानें पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा, ‘वर्तमान में घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बाजार को देखते हुए और न्यूजप्रिंट सप्लायर्स से संपर्क के आधार पर हम यह कह सकते हैं कि अखबार की कीमतों में देश और देश के बाहर दोनों जगह लगभग 12 से 15% तक सुधार होना चाहिए और इसका प्रभाव ही वित्तीय वर्ष 2023 की चौथी तिमाही के हमारे नंबरों पर दिखाई देना चाहिए और हम उम्मीद करते हैं कि ऐसा ही होगा।’
समूह के वित्तीय प्रदर्शन और लागत अनुकूलन पर बोलते हुए अग्रवाल ने कहा कि उनका पूरा फोकस यह सुनिश्चित करने पर है कि विभिन्न चीजों में की गई कॉस्ट-कटिंग लंबे समय तक बरकरार रहे। एक तरफ, जब हम अपने राजस्व आधार को बढ़ाने की दिशा में काम कर रहे हैं, तो वहीं दूसरी तरफ हम वित्तीय वर्ष 2020 की दूसरी तिमाही की तुलना में ऑपरेटिंग कॉस्ट में लगभग 10% बचाने में भी कामयाब रहे, जिसका परिणाम यह रहा कि वित्तीय वर्ष की दूसरी तिमाही का प्रिंट बिजनेस का EBITDA मार्जिन न्यूजप्रिंट की उच्च कीमतों के बावजूद 21% की मजबूत स्थिति पर बना रहा।
पिछली चार तिमाही में न्यूजप्रिंट की कीमतों के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि वित्तीय वर्ष 2021-22 की तीसरी तिमाही में, न्यूजप्रिंट के लिए खरीद लागत लगभग 47,000 रुपए प्रति टन थी, जोकि चौथी तिमाही में बढ़कर सीधे 53,000 प्रति टन तक चली गयी। इसके बाद वित्तीय वर्ष 2022-23 की पहली तिमाही में यह नंबर सीधे 66,000 रुपए तक चला गया और फिर दूसरी तिमाही में यह 65,500 रुपए पर आ गया। लेकिन अब ऐसा लगता है कि चौथी तिमाही से कीमतें लगभग 10 से 15% तक कम हो जाएंगी। इसलिए हम उम्मीद कर रहे हैं कि 65,000 - 66,000 रुपए से कीमतें घटकर 60,000 तक पहुंच जाएंगी और चौथी तिमाही के बाद यह और ज्यादा घट जाएंगी।
ऐडवर्टाइजिंग (विज्ञापनों) को लेकर विश्लेषकों से बात करते हुए अग्रवाल ने सभी कैटेगरीज में अपने परिप्रेक्ष्य को साझा किया। शिक्षा क्षेत्र के संदर्भ में उन्होंने कहा कि यदि मैं दूसरी तिमाही की तुलना कोरोना आने के पहले के समय से करूं, तो इसमें हमनें ग्रोथ देखी है और यह ग्रोथ मजबूत दोहरे अंकों पर है। सरकारी विज्ञापनों के संदर्भ में हमनें गिरावट दर्ज की है। रियल एस्टेट में फिर से दोहरे अंकों की वृद्धि हुई है। ऑटोमोबाइल एक ऐसा क्षेत्र है जहां हम कोरोना आने से पहले की तुलना में लगभग 50% नीचे हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि ऑटोमोबाइल कंपनियां पिछले दो वर्षों से सप्लाई के मुद्दें से जूझ रही हैं और इसलिए वह ज्यादा नई गाड़ियां लॉन्च नहीं कर पा रही हैं।
उन्होंने आगे कहा, ‘एफएमसीजी में भी लगभग 15 -18% की गिरावट आई है, लेकिन कोरोना से पहले की तुलना में ज्वैलरी ने अच्छी मजबूती दिखायी है, जोकि लगभग 100% देखा गया है। हॉस्पिटल, क्लीनिक और हेल्थ सर्विस सभी बढ़ रहे हैं। एक और कैटेगरी है लाइफस्टाइल, जिसमें कोविड आने से पहले की तुलना में अब 24 फीसदी की गिरावट आई है। एक बार जब ऑटोमोबाइल सेक्टर की सप्लाई संबंधी मुद्दें सुलझ जाएंगे, तो यह गिरावट ग्रोथ में बदल जाएगी। यह हमारे लिए भी बड़ा उलटफेर होगा।’
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