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‘PHDCCI’ के मंच पर उठा भाषाई अखबारों का मुद्दा, दिग्गजों ने कही ये बात
‘पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री’ (PHDCCI) ने भारतीय भाषाई अखबारों के उदय और मीडिया इंडस्ट्री पर टेक्नोलॉजी के प्रभाव पर चर्चा करने के लिए 13 सितंबर को अपनी पहली मीडिया समिट का आयोजन किया।
समाचार4मीडिया ब्यूरो 1 year ago
‘पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री’ (PHDCCI) ने भारतीय भाषाई अखबारों (Vernacular Newspapers) के उदय और मीडिया इंडस्ट्री पर टेक्नोलॉजी के प्रभाव पर चर्चा करने के लिए 13 सितंबर को अपनी पहली मीडिया समिट का आयोजन किया। दिल्ली स्थित 'पीएचडी हाउस' में आयोजित इस समिट में सरकारी अधिकारियों से लेकर मीडिया संस्थानों से जुड़े प्रतिनिधि और शिक्षाविद् शामिल हुए। इस दौरान तमाम दिग्गजों का कहना था कि देश में अखबारों का सर्कुलेशन लगातार बढ़ रहा है, जिससे पता चलता है कि आज भी लोगों में अखबार का क्रेज है। अखबार आज भी खबरों के लिए सबसे विश्वसनीय माध्यम बने हुए हैं। पाठक दिन भर टीवी और डिजिटल मीडिया पर खबरें देखने के बाद भी अखबार पढ़ता है।
कार्यक्रम के दौरान सूचना-प्रसारण सचिव अपूर्व चन्द्रा ने भाषाई अखबारों के महत्व पर जोर दिया। अपूर्व चन्द्रा का कहना था, ‘मीडिया देश के विभिन्न हिस्सों के लोगों से जुड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और सरकार स्थानीय भाषाओं को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है।’
उन्होंने कहा कि अपनी शिक्षा प्रणाली और अन्य कारकों की वजह से हम अंग्रेजी पर बहुत अधिक निर्भर हैं। अंग्रेजी भारत में एक लोकप्रिय भाषा हो सकती है और राष्ट्रीय मीडिया में गहराई तक पैठ बना चुकी है, लेकिन क्षेत्रीय मीडिया मजबूत है और कंटेंट व रीडरशिप के मामले में लगातार बढ़ रहा है। नरेंद्र मोदी सरकार ने रीजनल मीडिया को बढ़ावा देने की दिशा में कई कदम उठाए हैं। सरकार और इंडस्ट्री के रूप में हमें क्षेत्रीय भाषाओं को बढ़ावा देने की दिशा में और ज्यादा काम करने की आवश्यकता है। इसके साथ ही उन्होंने पब्लिशिंग हाउसेज से पाठकों की बदलती जरूरतों के अनुसार, नए-नए इनोवेशन करने और उन्हें अपनाने पर भी जोर दिया। अपूर्व चन्द्रा के अनुसार, ‘आज के दौर में युवा तेजी से छोटे फॉर्मेट्स में न्यूज का उपभोग (consumption) कर रहे हैं और मीडिया को उन तक पहुंचने के तरीके तलाशने की जरूरत है।’
‘PHDCCI’ के प्रेजिडेंट साकेत डालमिया का कहना था, ‘मीडिया न केवल सूचना का स्रोत है, बल्कि वह जनमत (public opinion) को आकार देने वाला भी है।’ इसके साथ ही उनका यह भी कहना था कि यह समिट मीडिया इंडस्ट्री के सामने आने वाली चुनौतियों पर चर्चा करने और उनसे निपटने के तरीके खोजने का एक अवसर है। वहीं, ‘PHDCCI’ के एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर डॉ. रंजीत मेहता का कहना था कि यह समिट देश में अपने तरह का पहला आयोजन है।
‘दैनिक भास्कर’ समूह के डिप्टी मैनेजिंग डायरेक्टर पवन अग्रवाल और ‘टाइम्स ग्रुप’ के चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर मोहित जैन भी इस मीडिया समिट में शामिल हुए और अपने विचार रखे। पवन अग्रवाल ने क्षेत्रीय मीडिया के भारतीय संस्कृति में गहराई से निहित होने पर जोर दिया और बताया कि प्रिंट मीडिया किस तरह से अभी भी समाचार के सबसे विश्वसनीय माध्यमों में से एक है। वहीं, मोहित जैन ने कार्यक्रम में मुख्य अतिथि अपूर्व चन्द्रा को धन्यवाद देते हुए मीडिया सेक्टर को आगे बढ़ाने वाले सरकार के प्रयासों की सराहना की।
वहीं, एक सेशन के दौरान ‘अमर उजाला’ के प्रबंध निदेशक तन्मय महेश्वरी का कहना था, ‘मीडिया में महिला पत्रकारों की संख्या लगातार बढ़ रही है। इसका स्वागत किया जाना चाहिए।’ इसके साथ ही उनका यह भी कहना था कि इस तरह की चिंता बिल्कुल बेबुनियाद है कि नए दौर में अखबार समाप्त हो जाएंगे। ‘एबीपी’ समूह के सीईओ ध्रुब मुखर्जी का कहना था कि हाइपरलोकल तक पहुंचना अखबारों की सबसे बड़ी ताकत है, जहां सामान्य रूप से बड़े टीवी न्यूज चैनल्स नहीं पहुंच पाते हैं। इसी सेशन में ‘ईनाडू’ समूह के निदेशक आई वेंकट ने फैक्ट चेक पर जोर देते हुए कहा, ‘विश्वसनीयता करने के लिए फैक्ट चेकिंग व्यवस्था को मजबूत बनाने की जरूरत है।’
मीडिया समिट के दौरान ‘पाठकों को आकर्षित करने और जोड़े रखने में किस तरह एडोटिरयल कंटेंट प्रमुख भूमिका निभा रहा है’ टॉपिक पर एक सेशन के दौरान ‘अमर उजाला’ के सलाहकार संपादक विनोद अग्निहोत्री का कहना था, ‘पत्रकारिता लोकतांत्रिक पेशा है। अखबारों के सामने सबसे बड़ी चुनौती यह है कि टीवी और डिजिटल के जमाने में उसे अगले दिन सुबह भी जनता के लिए प्रासंगिक और उपयोगी बने रहना है।’ अखबारों के सामने चुनौती के बारे में उनका कहना था कि फेक न्यूज के जमाने में विश्वसनीयता सबसे बड़ी चुनौती है।
‘दैनिक भास्कर’ के नेशनल एडिटर लक्ष्मी पन्त का कहना था, ’निचले और छोटे इलाकों के पत्रकार आज व्यवस्था के सामने सबसे गंभीर प्रश्न उठा रहे हैं। नए लोग साक्षर हो रहे हैं। खबरों का उपभोग बढ़ रहा है। इसके प्लेटफार्म बदल रहे हैं।‘ इसके साथ ही उनका यह भी कहना था कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) कभी मनुष्य की कल्पनाशक्ति को खत्म नहीं कर सकता। लिखने का काम पत्रकार ही करेंगे। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस उसे बेहतर रूप से दिखाने में मदद कर सकता है।‘वहीं, इस सेशन के दौरान ‘हिन्दुस्तान’ समूह के प्रबंध संपादक प्रताप सोमवंशी ने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को सीखकर अपना काम बेहतर बनाने की कोशिश की जानी चाहिए। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सिर्फ खबरों को बेहतर रूप से दिखाने में मदद कर सकता है।
इस सेशन को वरिष्ठ पत्रकार और ‘एनडीटीवी’ के कंसल्टिंग एडिटर सुमित अवस्थी ने मॉडरेट किया। उनका कहना था कि आज आर्टिफिशियल एंकर की बात हो रही है, इसे अमर उजाला ने अपने डिजिटल पेज पर डेढ़-दो साल पहले दिखाया था। तब मेरे मन में सवाल आया था कि आज यह फॉर्मेट अखबार में आया है तो कल न्यूज रूम में टीवी के पास आएगा। उसका एक जवाब है कि यदि यहां कोई घटना हो जाती है तो एआई एंकर वही दिखाएगा/दिखाएगी जो उसे सिखाया जाएगा, लेकिन दर्शक या पत्रकार के रूप में जो आप लोग बताएंगे, वह एक एआई एंकर नहीं बता सकता है। कहने का मतलब है कि आपके इमोशन और इंटेलिजेंस को कोई चुनौती नहीं दे सकता है, वह आपका अपना है, इसलिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से डरने की जरूरत नहीं है। सुमित अवस्थी का कहना था, ‘लिखने का काम पत्रकार ही करेंगे। यह कल्पनाशीलता और रचनाधर्मिता का क्षेत्र है, जिसकी कोई मशीन या कोई टेक्नोलॉजी तुलना नहीं कर सकती। बस करना यह है कि आप उस टेक्नोलॉजी को सीखो, उसे अपनाओ और अपने फायदे के लिए इस्तेमाल करो।’
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