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पत्रकार अपर्णा कार्तिकेयन ने साधारण लोगों की कहानियों को कुछ यूं दिए अपने शब्द
स्वतंत्र पत्रकार अपर्णा कार्तिकेयन मूलरूप से चेन्नई निवासी हैं और उनका ग्रामीण परिवेश से खासा जुड़ाव रहा है। यही वजह है कि वह लंबे समय से इस बारे में लिखती आ रही हैं
समाचार4मीडिया ब्यूरो 5 years ago
वरिष्ठ पत्रकार अपर्णा कार्तिकेयन अब लेखक बन गई हैं। उनकी पहली किताब ‘नाइन रुपीज एन ऑवर’ (NINE RUPEES AN HOUR) इसी माह लॉन्च होने जा रही है। फिलहाल इसे ऑनलाइन खरीदा जा सकता है। अपर्णा ने विशेषरूप से तमिलनाडु पर केंद्रित अपनी किताब में ऐसे साधारण लोगों की कहानियों को अपने शब्द दिए हैं, जो जीवनयापन करने के लिए असाधारण काम करते हैं। इसमें किसानों से लेकर हैंडलूम साड़ी कारीगरों तक के जीवन पर प्रकाश डाला गया है।
इसके अलावा, ‘नाइन रुपीज एन ऑवर’ कई ऐसे मुद्दों को छूती है, जिसका सामना तमिलनाडु को करना पड़ता है। जैसे कि कृषि संकट, भूजल समस्या और तकनीकी प्रगति के बीच हथकरघा बुनकरों के लिए चुनौतियां। अपर्णा ने अपनी किताब में महिलाओं से जुड़ी कहानियों को तवज्जो दी है, क्योंकि उनका मानना है कि कड़ा संघर्ष करने के बावजूद महिलाओं वो सम्मान नहीं मिल पाता, जिसकी वे हकदार हैं।
स्वतंत्र पत्रकार अपर्णा कार्तिकेयन मूलरूप से चेन्नई निवासी हैं और उनका ग्रामीण परिवेश से खासा जुड़ाव रहा है। यही वजह है कि वह लंबे समय से इस बारे में लिखती आ रही हैं। दरअसल, गर्मियों की छुट्टियों में अपर्णा गांव जाया करती थीं और ये यात्रा धीरे-धीरे कब विशेष लगाव में बदल गई, उन्हें पता ही नहीं चला। जब उन्हें अहसास हुआ कि उन्हें इस दिशा में कुछ करना चाहिए तो उन्होंने वरिष्ठ पत्रकार पी साईंनाथ से संपर्क किया, जो ‘पीपल्स आर्काइव ऑफ रूलर इंडिया (परी)’ के संस्थापक हैं और लंबे समय तक ‘द हिंदू’ से जुड़े रहे हैं। साईंनाथ की पेशकश पर अपर्णा ने परी के लिए लिखना शुरू किया। उन्होंने श्रम और आजीविका पर कई स्टोरियां कवर कीं, अपने उल्लेखनीय काम के लिए अपर्णा को कई बार सम्मानित भी किया जा चुका है।
अपर्णा की स्टोरी को ‘द हिंदू’ सहित कई नामी मीडिया हाउस प्रकाशित करते रहे हैं। ग्रामीण भारत से अच्छी तरह परिचित होने के बाद करीब दो साल पहले उन्होंने अपनी कहानियों को किताब की शक्ल देने का फैसला लिया और आज उनकी किताब पाठकों के बीच है। ‘नाइन रुपीज एन ऑवर’ का करीब 50% भाग महिलाओं के नाम है।
इस बारे में अपर्णा कहना है ‘हमारे पास महिलाओं से जुड़ी पर्याप्त कहानियां नहीं हैं। जब हम किसान की बात करते हैं तो हमेशा धोती पहने एक पुरुष की छवि सामने आती है। खेती में पुरुष का काम जितना महत्वपूर्ण है, उतना ही महिलाओं का भी, फिर भी उसे अनदेखा कर दिया जाता है। मैंने अपनी किताब में इस असमानता को दूर करने की कोशिश की है।’ यह किताब अमेजॉन पर उपलब्ध है। आप ऑनलाइन एडिशन 303 रुपए और पेपरएडिशन 319 रुपए में प्राप्त कर सकते हैं।
समाचार4मीडिया की ओर से अपर्णा कार्तिकेयन को उनकी किताब के लिए बधाई एवं शुभकामनाएं!
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