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तरुण तेजपाल मामले में बॉम्बे हाई कोर्ट ने सेशन कोर्ट को दिए ये निर्देश
कथित यौन शोषण के मामले में तहलका पत्रिका के पूर्व एडिटर-इन-चीफ तरुण तेजपाल को बरी किए जाने के खिलाफ दायर याचिका पर गुरुवार को बॉम्बे हाई कोर्ट में सुनवाई हुई।
समाचार4मीडिया ब्यूरो 3 years ago
महिला साथी के साथ कथित यौन शोषण के मामले में तहलका पत्रिका के पूर्व एडिटर-इन-चीफ तरुण तेजपाल को बरी किए जाने के खिलाफ दायर याचिका पर गुरुवार को बॉम्बे हाई कोर्ट में सुनवाई हुई। सुनवाई न्यायमूर्ति एस.सी. गुप्ते की अवकाशकालीन पीठ के सामने हुई। हाई कोर्ट ने सेशन कोर्ट को तरुण तेजपाल मामले में सुनाए गए निर्णय में संपादन के आदेश दिए हैं।
हाई कोर्ट ने बलात्कार मामले में सेशन कोर्ट की तरफ से जारी 527 पन्नों के फैसले में पीड़िता की पहचान और उससे जुड़ी जानकारियों को हटाने का निर्देश दिया है।
गोवा की सेशन कोर्ट ने करीब 8 साल बाद बीते शुक्रवार को बरी कर दिया गया था। सेशन कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ गोवा सरकार ने पीड़ित महिला को इंसाफ दिलाने के लिए बॉम्बे हाई कोर्ट में अपील की है। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता हाई कोर्ट में गोवा सरकार की ओर से पेश हुए।
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बॉम्बे हाईकोर्ट की न्यायमूर्ति एस.सी. गुप्ते की अवकाशकालीन पीठ ने 2013 के बलात्कार मामले में पत्रकार तरुण तेजपाल को बरी करने के खिलाफ गोवा सरकार की अपील पर सुनवाई की। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बॉम्बे हाई कोर्ट की अवकाशकालीन पीठ को बताया कि निर्णय और उसकी कुछ टिप्पणियां ‘आश्चर्यजनक’ हैं और उन्होंने उसमें न केवल पीड़िता की पहचान का खुलासा किया, बल्कि उसकी मां और पति का नाम भी दिया है। उन्होंने बेंच को बताया कि वास्तव में फैसले में पीड़िता के ई-मेल का भी जिक्र किया गया है।
मेहता ने उस कड़ी में कई टिप्पणियों पर भी रोशनी डाली, जहां पीड़िता के व्यवहार की भी स्पष्ट जानकारी दी गई थी। राज्य को अपनी अपील के आधार में संशोधन करने के लिए तीन दिन का समय दिया गया है। साथ ही यह भी निर्देश दिए हैं कि अदालत की वेबसाइट पर फैसला अपलोड करने से पहले इन संदर्भों को हटा दिया जाए। मामले की सुनवाई अब 2 जून को होगी।
इस बीच, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने यह भी कहा कि फैसले से पीड़िता की पहचान का भी खुलासा होता है। उन्होंने कहा कि यौन उत्पीड़न केस में पीड़ितों की पहचान का खुलासा करना एक आपराधिक अपराध है। तुषार मेहता ने कहा कि यह दुखद है कि निचली अदालत इन मुद्दों के प्रति संवेदनशील नहीं थी।
राज्य के वकील ने यह भी बताया कि एक पैराग्राफ में पीड़िता की मां के नाम का भी जिक्र है, जिसे संशोधित भी किया जाना चाहिए। मेहता ने अदालत को बताया कि मामले की गंभीरता को देखते हुए सरकार ने फैसले की प्रति मिलने से पहले ही अपील दाखिल कर दी। मेहता ने कहा, 'हमें फैसले की प्रति 25 मई को मिली। हम इस फैसले को रिकॉर्ड में लाना चाहते हैं और याचिका में चुनौती के आधार में भी संशोधन करना चाहते हैं।'
इसके बाद, बॉम्बे हाई कोर्ट ने सत्र न्यायाधीश क्षमा जोशी को पीड़ित की पहचान का खुलासा करने वाले सभी संदर्भों को फैसले से दूर करने का निर्देश दिया है। अब इस मामले को दो जून के लिए सूचीबद्ध कर दिया गया है।
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