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मीडिया परिदृश्य में मैगजींस की अपनी खास जगह है: मिनेट फरेरा

साउथ अफ्रीका में ‘Media24’ की जनरल मैनेजर (लाइफस्टाइल और कम्युनिटी न्यूज) मिनेट फरेरा ने बताया कि कैसे उनकी कंपनी मैगजीन पब्लिशिंग मॉडल को नए सिरे से तैयार कर रही है।

समाचार4मीडिया ब्यूरो 1 year ago

देश में पत्रिकाओं का प्रतिनिधित्व करने वाले ‘द एसोसिएशन ऑफ इंडियन मैगजींस’ (AIM) ने चार साल के लंबे अंतराल के बाद दिल्ली में 24 मार्च को अपने प्रमुख इवेंट ‘इंडियन मैगजीन कांग्रेस’ (IMC) का एक बार फिर आयोजन किया।

दिल्ली में द ओबेरॉय होटल में आयोजित ‘इंडियन मैगजीन कांग्रेस‘ 2023 के मंच पर दुनियाभर के पब्लिशिंग इंडस्ट्री के दिग्गजों ने अपनी बात रखी। इस साल इस कांग्रेस की थीम रखी गई थी कि कैसे डिजिटल युग में भी मैगजींस लोगों को जोड़े रखने के लिए (Building Engaged Communities) सबसे प्रभावी माध्यम हैं।

इस मौके पर साउथ अफ्रीका में ‘Media24’ की जनरल मैनेजर (लाइफस्टाइल और कम्युनिटी न्यूज) मिनेट फरेरा (Minette Ferreira) ने बताया कि कैसे उनकी कंपनी मैगजीन पब्लिशिंग मॉडल को नए सिरे से तैयार कर रही है। इसके अलावा उन्होंने मैगजीन सबस्क्रिप्शन को लेकर भी अपनी बात रखी।  

फरेरा के अनुसार, ‘मीडिया परिदृश्य में मैगजींस अपनी अनूठी जगह रखती हैं और मुझे लगता है कि यह इसलिए भी अनूठी हैं, क्योंकि यह खास तरीके से स्टोरीज को पाठकों के सामने रख सकती हैं। मैगजींस एक बहुत ही खास तरीके से कम्युनिटीज से जुड़ सकती हैं। फिर चाहे आप एक ऐसी मैगजीन के बारे में बात कर रहे हैं जो एक बड़े समूह (एक मैगजीन जो बड़े पैमाने पर प्रकाशित होती है) के लिए लक्षित है या चाहे आप एक ऐसी मैगजीन के बारे में बात कर रहे हैं जो वास्तव में एक छोटे से समुदाय के लिए विशिष्ट है, मैगजींस समुदायों को जोड़ सकती हैं, चाहे वह बड़ा या छोटा।’

फरेरा का कहना था, ‘मैगजीन स्टोरीटेलिंग के साथ जुड़ी हुई हैं। इनमें सुंदर लेखन है, सुंदर स्टोरी हैं और मुझे लगता है कि यह कभी भी फैशन से बाहर नहीं होंगी।’ आज के तेजी से बढ़ते डिजिटल दौर के बारे में फरेरा का कहना था, ‘मुझे लगता है कि अधिकांश मैगजीन मीडिया कंपनियां डिजिटल माइग्रेशन से जूझ रही हैं और जब यह सवाल उठता है कि क्या हम फ़ायरवॉल के दृष्टिकोण से सफल होंगे। मुझे विश्वास है कि यह एक संयोजन होगा। हम इतने सालों से प्रिंट के खत्म होने की बात कर रहे हैं। फिर भी हम यहां हैं और हम अभी भी मैगजींस पब्लिश कर रहे हैं।’

फरेरा का मानना ​​है कि स्पर्श संबंधी अनुभव और मैगजींस की विलासिता को कभी भी ऑनलाइन अनुभव से बदला नहीं जा सकता है। लेकिन क्या एक मैगजीन ऑनलाइन दुनिया में रह सकती है, जिसके लिए भुगतान किया जाता है, तो मुझे विश्वास है कि यह हो सकता है।

अगर मैं किसी वेबसाइट पर जाती हूं तो वह विलासिता का क्षण नहीं है; इसमें वह चमकदार अनुभव नहीं है। यह उन अवसरों को खोजने के बारे में है। और मुझे लगता है कि फिर से इसका उत्तर स्टोरीटेलिंग में निहित है। मेरी नजर में अद्वितीय चीजें जो हम डिजिटल रूप से प्रस्तुत कर सकते हैं, वे चीजें हैं जो हम प्रिंट में नहीं कर सकते हैं। जो स्टोरी के पीछे की स्टोरी कह रही हैं। दरअसल, डिजिटल उस बाधा से निपटता है जो हमारे पास प्रिंट में है। यानी एक पब्लिशर के भौतिक उत्पाद पर सीमित मात्रा में अचल संपत्ति (खासकर स्पेस) है। बेशक, हमारे पास डिजिटल रूप से अचल संपत्ति की अंतहीन मात्रा है, लेकिन यह इस बारे में है कि आप उसके साथ क्या करते हैं। इसलिए, उसका अधिक प्रभावी ढंग से उपयोग करने में, मैगजींस के लिए प्रीमियम कंटेंट के लिए बहुत अधिक मूल्य है। ऐसा कंटेंट जो स्पष्ट रूप से लोगों को आकर्षित करने वाला है।

फरेरा के अनुसार, ‘मुझे लगता है कि प्रीमियम कंटेंट के नजरिये से मैगजींस वास्तव में काफी अच्छा कर सकती हैं। सेलिब्रिटी कवर स्टोरी के साथ इंटरव्यू का वीडियो कौन नहीं देखना चाहेगा? पर्दे के पीछे की शूटिंग में क्या हुआ, यह कौन नहीं जानना चाहेगा। यह स्टोरीटेलिंग का का एक अलग तरीका है, जिससे प्रिंट गुजरा है। दर्शकों को जोड़े रखने के लिए आपको इसे मनोरंजक बनाना होगा। इसलिए मुझे लगता है कि यह डिजिटल स्पेस में स्टोरीटेलिंग के अलग-अलग तरीके खोज रही हैं।’

फरेरा के अनुसार, हम दक्षिण अफ्रीका में जो प्रयोग कर रहे हैं (और मुझे उम्मीद है कि एक साल में हम बताएंगे कि यह सफल रहा है), उसमें हम पेवॉल के दौर में अखबारों की मैगजींस के साथ बंडलिंग कर रहे हैं। यह वास्तव में इसलिए है क्योंकि मैगजींस एक अलग भूमिका निभाती हैं जो कि अखबार करते हैं।


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