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हमें अच्छी पत्रकारिता में पुनःनिवेश करने की आवश्यकता है: राज चेंगप्पा

‘इंडियन मैगजीन कांग्रेस’ के दौरान ‘इंडिया टुडे’ समूह के ग्रुप एडिटोरियल डायरेक्टर (पब्लिशिंग) राज चेंगप्पा ने मैगजीन की पत्रकारिता और डिजिटल के दौर में इसकी प्रासंगिकता के बारे में अपनी बात रखी।

समाचार4मीडिया ब्यूरो 5 months ago

देश में पत्रिकाओं का प्रतिनिधित्व करने वाले संगठन ‘द एसोसिएशन ऑफ इंडियन मैगजींस’ (AIM) के प्रमुख इवेंट ‘इंडियन मैगजीन कांग्रेस’ (IMC) का तीन मई को मुंबई में आयोजन किया गया।

मुंबई स्थित ताज सांताक्रूज होटल में आयोजित इस कार्यक्रम के दौरान ‘इंडिया टुडे’ समूह के ग्रुप एडिटोरियल डायरेक्टर (पब्लिशिंग) राज चेंगप्पा ने मैगजीन की पत्रकारिता और डिजिटल के दौर में इसकी प्रासंगिकता के बारे में अपनी बात रखी।

चेंगप्पा का कहना था कि कार्यक्रम में मौजूद तमाम वक्ताओं की तरह वह एक मालिक-संपादक नहीं हैं, बल्कि एक आम संपादक हैं। ‘द एसोसिएशन ऑफ इंडियन मैगजींस’ (AIM) के प्रेजिडेंट अनंत नाथ द्वारा कार्यक्रम की थीम यानी न्यू रेवेन्यू स्ट्रैटेजीज (new revenue strategies) को लेकर बात की गई तो चेंगप्पा का कहना था कि वह अभी इस दिशा में जाने की कोशिश कर रहे हैं। चेंगप्पा का कहना था, ‘मैं अभी दीवार के इस तरफ हूं और दूसरी तरफ को समझने की कोशिश कर रहा हूं। लेकिन, आपको बता दूं कि मैंने करीब 40 साल तक मैगजीन पत्रकारिता की है।’

उनका कहना था कि खास बात यह है कि कॉन्फ्रेंस का दिन वही है, जब इंडिया टुडे मैगजीन का नवीनतम संस्करण आया है और खासकर उसका शीर्षक वही है जो आप यहां बात कर रहे हैं- ‘the big battle for survival'। बेशक, इसमें महाराष्ट्र के साथ-साथ अन्य राज्यों के हालात के बारे में बात की गई है। लेकिन यह इस अवसर के लिए बहुत उपयुक्त है, क्योंकि मुझे लगता है कि हम सभी अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे हैं। मैं कौन हूं? मैं क्या हूं? मैं क्यों हूं? और मेरा क्या उद्देश्य है? अपने अस्तित्व को लेकर यह सवाल हम सभी को परेशान करते हैं और संपादक के तौर पर मुझे भी यह सवाल रोजाना परेशान करते हैं। इस तरह के सवाल सिर्फ मेरे नहीं हैं, बल्कि यह मैगजींस के सवाल भी हैं। हम रोजाना अपने आप से पूछते हैं कि इंडिया टुडे मैगजीन में हम आगे क्या कर रहे हैं।’

इसके साथ ही राज चेंगप्पा का यह भी कहना था, ‘जब आप डिजिटल दुनिया की बात करते हैं तो आपको यहां तस्वीरें और ऑडियो सब कुछ मिलता है, जो काफी महत्वपूर्ण है और इसलिए यह हमें पीछे छोड़ रहा है। लेकिन, मैं बता दूं कि आप मैगजीन को पछाड़ नहीं सकते। आप एक फोटो को अपने मोबाइल में देखें और उसे मैगजीन में देखें, आपको अपने आप अंतर बता चल जाएगा। आप मैगजीन में जो करते हैं, दूसरे प्लेटफॉर्म पर उसकी बिल्कुल वैसी प्रतिकृति नहीं पा सकते हैं।’

चेंगप्पा का कहना था कि पिक्चर्स, ग्राफिक्स और अन्य कंटेंट के अलावा आंकड़ों और विश्लेषण पर आधारित मैगजीन का जो बेहतरीन लेखन होता है, वह उसे दूसरे मीडिया से अलग करता है। चेंगप्पा के अनुसार, ‘मैगजीन में आप एक पाठक को आकर्षित करते हैं। कभी-कभी यह होता है कि यदि आप टीवी देख रहे हैं, तो आपको वह फीलिंग नहीं आती है, लेकिन जब आप लिखते हैं या लिखा हुआ पढ़ते हैं, तो उसकी अलग बात होती है। ऐसा नहीं है कि हमें पूंजी निकालनी चाहिए और डिजिटल व अन्य रूपों में लगे रहना चाहिए। हमें अच्छी पत्रकारिता में पुनःनिवेश करने की आवश्यकता है।’

चेंगप्पा ने कहा कि गुणवत्तापरक काम मैगजीन और दर्शकों को जोड़ने में मदद करेगा और यह इंडस्ट्री के अस्तित्व के लिए महत्वपूर्ण है। पहले यह सिर्फ प्रोडक्शन और सर्कुलेशन के आंकड़ों का खेल था, ताकि ज्यादा आंकड़े प्रस्तुत किए जा सकें और विज्ञापनदाताओं को आकर्षित किया जा सके।

कार्यक्रम के दौरान चेंगप्पा का कहना था, ‘मुझे लगता है कि मूल्य यानी वैल्यू अब मुख्य है। आप अपने पाठक के लिए बेहतर कंटेंट कैसे लेकर आते हैं और आप अपने पाठक, श्रोता अथवा दर्शक को उस तरह कितना समझते हैं, जिस तरह से आप उनके साथ कम्युनिकेट करना चाहते हैं। मेरा मानना है कि हम उस दौर में हैं, जहां आप किसी स्क्रीन पर कुछ देखते हैं अथवा मोबाइल पर कुछ पढ़ते हैं, वह आपको इतना याद नहीं रहता, जितना आप मैगजीन को अपने हाथ में लेते हैं और उसके पन्ने पलटते हैं, उससे आपके मन में एक पिक्चर बनती है। यही एक मैगजीन की खासियत है, जो डिजिटल में किसी तरह से नहीं आ सकती है।’


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