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जयदीप कर्णिक से बोले अरुण योगीराज, पांच पीढ़ियों में से भगवान ने मुझे चुना
हमारा परिवार पांच पीढ़ी यानी कोई तीन सौ वर्षों से यह काम कर रहा था। उन पांच पीढ़ियों में से भगवान ने शायद मुझे उस मूर्तिकार के रूप में चुना, जो उनकी मूर्ति बनाए।
समाचार4मीडिया ब्यूरो 7 months ago
जैसे अयोध्या में भव्य प्राण-प्रतिष्ठा के साथ विराजे रामलला की प्रतिमा सदा के लिए इतिहास में दर्ज हो गई है, वैसे ही अरुण योगीराज का नाम उसके मूर्तिकार के रूप में हमेशा के लिए लिखा जा चुका है। अमर उजाला डिजिटल के संपादक जयदीप कर्णिक ने बालक राम के विग्रह को बनाने वाले अरुण योगीराज से ख़ास बातचीत की है।
इस चर्चा के दौरान अरुण योगीराज ने बताया कि, हमारा परिवार पांच पीढ़ी यानी कोई तीन सौ वर्षों से यह काम कर रहा था। उन पांच पीढ़ियों में से भगवान ने शायद मुझे उस मूर्तिकार के रूप में चुना, जो उनकी मूर्ति बनाए। मूर्तिकार के रूप में देश के सामने मेरा परिचय हो सका, यह मेरे पूर्वजों का पुण्य है। उन्होंने यह भी बताया कि वो 11 साल की उम्र से मैंने मूर्ति बनाने का काम कर रहे हैं।
अरुण ने उस अनुभव को भी साझा किया जब उन्हें बालक राम के विग्रह को बनाने की जिम्मेदारी दी गई। उन्होंने बताया, पूरा देश पांच सौ साल से इंतजार में है और हमें कहा गया कि पांच साल की उम्र के लला चाहिए। बहुत रिसर्च किया, लेकिन कुछ हाथ नहीं लगा।
ऐसे में पहली बार रामलला की मूर्ति देश के सामने आई तो लगा कि देश उसे कैसे स्वीकार करेगा। सात महीने मैं सोचते-सोचते ठीक से नहीं सो सका। इतना बड़ा मौका मैं नहीं खोना चाहता था। हर दिन चिंतन चलता था। पत्थर को बहुत वक्त देना पड़ता है, फिर पत्थर आपसे बात करने लग जाते हैं। मैं युवा था तो मैंने सोचा कि मैं ज्यादा ऊर्जा से काम कर सकता हूं।
इस बातचीत का पूरा वीडियो आप यहां देख सकते हैं।
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