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संसदीय समिति ने रखा ट्विटर-फेसबुक के लिए एक अलग निकाय स्थापित करने का प्रस्ताव
पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल 2019 पर संयुक्त संसदीय समिति ने ट्विटर और फेसबुक जैसे प्लेटफॉर्म्स के लिए प्रेस काउंसिल की तर्ज पर एक अलग स्वतंत्र निकाय स्थापित करने की सिफारिश की है।
समाचार4मीडिया ब्यूरो 2 years ago
पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल 2019 (Personal Data Protection Bill 2019) पर संयुक्त संसदीय समिति (Joint Parliamentary Committee) ने ट्विटर और फेसबुक जैसे प्लेटफॉर्म्स के लिए प्रेस काउंसिल की तर्ज पर एक अलग स्वतंत्र निकाय स्थापित करने की सिफारिश की है।
कमेटी का सुझाव है कि जो सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स मध्यस्थ की तरह नहीं हैं, उन्हें प्रकाशकों या पब्लिशर्स (Publishers) के रूप में वर्गीकृत किया जाना चाहिए। इसके साथ ही उनके प्लेटफॉर्म्स पर प्रकाशित सभी सामग्री के लिए उन्हें ही जिम्मेदार बनाया जाना चाहिए।
वर्तमान में, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को मध्यस्थ के रूप में माना जाता है और उनके प्लेटफॉर्म पर प्रकाशित सामग्री से कानूनी सुरक्षा प्राप्त होती है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, संसदीय कमेटी ने यह भी सिफारिश की है कि ऐसे में सभी पब्लिशर्स को पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल 2019 पर संसद की संयुक्त समिति की रिपोर्ट के अनुसार सभी यूजर्स की पहचान को अनिवार्य रूप से सत्यापित करना होगा। समिति गैर-व्यक्तिगत डेटा को भी इस बिल के दायरे में लेकर आयी है।
इसके अलावा, पैनल ने सिफारिश की है कि डेटा से संबंधित कंपनियों को अधिनियम के प्रावधानों को लागू करने के लिए लगभग 24 महीने का समय मिलना चाहिए।
माना जा रहा है कि इस प्रस्ताव को आगामी संसद के शीतकालीन सत्र में पेश किया जा सकता है। अपने सुझाव में संसदीय समिति ने यह भी कहा है कि उन सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को भारत में काम करने की अनुमति नहीं होगी, जिनकी पैरेंट या सहयोगी कंपनी का देश में कहीं ऑफिस नहीं होगा।
समिति ने अपनी रिपोर्ट में सोशल मीडिया तंत्र को लेकर मौजूदा कानूनों को अपर्याप्त बताया है और यह भी कहा है कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को आईटी अधिनियम के तहत मध्यस्थों के रूप में नामित किया गया है। इस रिपोर्ट को दो साल के विचार-विमर्श के बाद सदस्यों द्वारा अपनाया गया था। अब अगले हफ्ते से शुरू होने वाले संसद के आगामी शीतकालीन सत्र के दौरान इसे पेश किए जाने की उम्मीद है।
बता दें कि संयुक्त संसदीय समिति ने सोमवार को हुई मीटिंग में पर्सनल डेटा संरक्षण विधेयक 2019 को दो साल से अधिक समय तक विचार विमर्श करने के बाद इसे अंतिम रूप दे दिया है। यह मीटिंग BJP सांसद पीपी चौधरी के नेतृत्व में हुई थी। इस बिल को जल्द ही संसद के आगामी शीतकालीन सत्र (Winter Session) में पेश किया जाएगा। यह शीतकाली सत्र इस महीने के अंत में शुरू होने की उम्मीद है। समिति को इस बिल को अंतिम रूप देने में 2 साल लग गए। इसे 5 बार विस्तार किया गया है।
संसद की संयुक्त समिति ने विधेयक की मसौदा रिपोर्ट पर विचार करने और उसे अपनाने के लिए 22 नवंबर से पहले 12 नवंबर को दिल्ली में बैठक की थी। संयुक्त समिति का गठन ‘पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल 2019 की जांच के लिए किया गया है, जिसे 11 दिसंबर, 2019 को लोकसभा में पेश किया गया था।
इस विधेयक का उद्देश्य अपने व्यक्तिगत डेटा से संबंधित व्यक्तियों की गोपनीयता की सुरक्षा प्रदान करना है। इसमें व्यक्तिगत डेटा का प्रवाह और उपयोग, व्यक्तिगत डेटा को संसाधित करने वाले व्यक्तियों और संस्थाओं के बीच विश्वास का संबंध बनाना, उन व्यक्तियों के अधिकारों की रक्षा करना, जिनके व्यक्तिगत डेटा को संसाधित किया जाता है।
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