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एनकाउंटर में मारे गए अपराधी की जाति पर सियासत ठीक नहीं: रजत शर्मा
सोमवार को अनुज सिंह का एनकाउंटर हुआ, अनुज राजपूत समुदाय से था तो अखिलेश यादव की पार्टी ने कहा कि अब योगी सरकार एनकाउंटर में जाति का संतुलन बैठाने में लगी है।
समाचार4मीडिया ब्यूरो 2 weeks ago
रजत शर्मा, इंडिया टीवी के चेयरमैन एवं एडिटर-इन-चीफ।
उत्तर प्रदेश में एक बार फिर एनकाउंटर में मारे गए अपराधी की जाति पर सियासत हुई। सुल्तानपुर में डकैती का आरोपी अनुज प्रताप सिंह पुलिस एनकाउंटर में मारा गया। उस पर एक लाख रुपये का इनाम था। पुलिस ने लूट का माल भी बरामद कर लिया है। कुल 14 में से दो डकैत मारे जा चुके हैं, नौ जेल में हैं, तीन फरार हैं।
इस केस में पहला एनकाउंटर मंगेश यादव का हुआ था, तो अखिलेश यादव ने कहा था कि मंगेश यादव था, इसलिए पुलिस ने उसे मार डाला। सोमवार को अनुज सिंह का एनकाउंटर हुआ, अनुज राजपूत समुदाय से था तो अखिलेश यादव की पार्टी ने कहा कि अब योगी सरकार एनकाउंटर में जाति का संतुलन बैठाने में लगी है। अखिलेश ने ट्वीट किया, 'किसी का भी फर्ज़ी एनकाउंटर नाइंसाफी है'।
सोमवार को ही महाराष्ट्र के बदलापुर में नर्सरी में पढ़ने वाली बच्चियों के साथ गलत हरकत करने वाले आरोपी ने पुलिस वैन के अंदर पुलिस की रिवॉल्वर छीनकर फायर किया। जवाबी फायरिंग में उसकी मौत हो गई।
ये बहस तो अनंतकाल से चल रही है कि क्या किसी अपराधी का एनकाउंटर करना सही है? लेकिन अखिलेश यादव ने इसमें एक नया एंगल जोड़ दिया है। वो पूछते हैं कि अगर अपराधी यादव है या मुसलमान है तो ही उसका एनकाउंटर क्यों होता है?
दूसरी जाति के अपराधी को पुलिस की गोली क्यों नहीं लगती है? सवाल जायज़ है। इसी पृष्ठभूमि में सोमवार को जब अनुज प्रताप सिंह की एनकाउंटर में मौत हुई, उसके पिता का एक वाक्य 'अब तो अखिलेश यादव के कलेजे को ठंडक पहुंच गई होगी' बहुत कुछ कहता है।
मैं तो मानता हूं कि अपराधी की न कोई जाति होती है और न कोई मजहब। किसी जाति में , किसी धर्म में ये नहीं सिखाया जाता कि गुंडागर्दी करो, लूटपाट करो, किसी की जान लो लेकिन चूंकि पिछले कुछ हफ्तों में बार-बार एनकाउंटर में मारे जाने वालों की जाति पूछी गई तो मैंने अपने रिपोर्टर से कहा कि मार्च 2017 में जब योगी आदित्यनाथ यूपी के मुख्यमंत्री बने थे, उसके बाद से अब तक के आंकड़े निकालें।
पता चला कि 7 साल में यूपी में 207 अपराधी एनकाउंटर में मारे गए। इन अपराधियों में 67 मुस्लिम, 20 ब्राह्मण, 18 ठाकुर, 17 जाट और गुर्जर, 16 यादव, 14 दलित, तीन ट्राइबल, दो सिख, 8 ओबीसी और 42 दूसरी जातियों के थे।
इसलिए ये कहना तो गलत होगा कि यूपी की पुलिस जाति देखकर एनकाउंटर करती है। लेकिन राजनीति के मैदान में ये सब नहीं देखा जाता। सब लोग जाति के नाम पर, धर्म के नाम पर सियासत करते हैं। इसीलिए ये मसला तो बार-बार बनेगा, बार-बार उठेगा।
( यह लेखक के निजी विचार हैं )
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