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सुप्रीम कोर्ट अधूरे डेटा को क्यूं देश के सामने रखना चाहता है: सुशांत सिन्हा

एसबीआई पूरा मिलान करके डेटा देना चाह रही कि किसने कितने के चुनावी बॉन्ड से किस पार्टी को पैसा दिया जबकि सुप्रीम कोर्ट के मौजूदा आदेश से ये पता ही नहीं चलेगा।

समाचार4मीडिया ब्यूरो 7 months ago

इलेक्टोरल बॉन्ड की जानकारी देने से जुड़े केस में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की याचिका पर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने करीब 40 मिनट में फैसला सुना दिया। करीब 40 मिनट की सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट की 5 जजों की संविधान पीठ ने फैसला सुनाते हुए कहा, एसबीआई 12 मार्च तक सारी जानकारी का खुलासा करे। इलेक्शन कमीशन सारी जानकारी को इकट्ठा कर 15 मार्च शाम 5 बजे तक इसे वेबसाइट पर पब्लिश करे।

इस जानकारी के सामने आने के बाद पत्रकार और एंकर सुशांत सिन्हा ने अपने 'एक्स' हैंडल से एक पोस्ट कर एक बड़ा सवाल पूछा है। उन्होंने अपनी पोस्ट में लिखा, एसबीआई पूरा मिलान करके डेटा देना चाह रही कि किसने कितने के चुनावी बॉन्ड से किस पार्टी को पैसा दिया जबकि सुप्रीम कोर्ट के मौजूदा आदेश से ये पता ही नहीं चलेगा कि किसने किसको पैसा दिया।

सिर्फ किसने बॉन्ड खरीदा और किसने बॉन्ड भुनाया कि एक अलग अलग बिना मिलान वाली लिस्ट आ जाएगी। उसमें से भी किस पार्टी को कितना चुनावी बॉन्ड से पैसा मिला ये ऑलरेडी पब्लिक डोमेन में है। फिर भी सारे लबड़धोधो बम्पर खुश हैं क्योंकि उन्हें शायद यकीन है कि डेटा कुछ भी हो, मिलान तो इकोसिस्टम स्थापित कर ही देगा।

पर सवाल तो ये है कि सुप्रीम कोर्ट इस अधूरे डेटा को क्यूँ देश के सामने रखना चाहता है? बता दे, एसबीआई ने कोर्ट से कहा- बॉन्ड से जुड़ी जानकारी देने में हमें कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन इसके लिए कुछ समय चाहिए।

 


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