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फ्री बेसिक्‍स के महंगे विज्ञापनों के पीछे की कहानी पर कुछ यूं प्रकाश डाला वरिष्ठ पत्रकार अंशुमान तिवारी ने

‘लाइसेंस परमिट राज खत्म होने के बाद भी भारत का बाजार पूरी तरह खुल नहीं सका। अगर सरकार हटी तो लोग चुनिंदा कंपनियों के बंधुआ हो गए।’ अपने ब्लॉग ‘अर्थात’ के जरिए ये कहना है वरिष्ठ पत्रकार अंशुमन तिवारी का। उनका पूरा ब्लॉग आप यहां पढ़ सकते हैं:

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Published - Tuesday, 12 January, 2016
Last Modified:
Tuesday, 12 January, 2016
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‘लाइसेंस परमिट राज खत्म होने के बाद भी भारत का बाजार पूरी तरह खुल नहीं सका। अगर सरकार हटी तो लोग चुनिंदा कंपनियों के बंधुआ हो गए।’ अपने ब्लॉग ‘अर्थात’ के जरिए ये कहना है वरिष्ठ पत्रकार अंशुमन तिवारी का। उनका पूरा ब्लॉग आप यहां पढ़ सकते हैं: anhsumanकोई गणेश हैं जिन्होंने फेसबुक के फ्री बेसिक्स के ट्रायल मात्र से इतनी जानकारी हासिल कर ली कि उनके खेतों की पैदावार दोगुनी हो गई! अगर आप भारत की खेती की ताजा दशा से वाकिफ हैं तो आप दुनिया की सबसे बड़ी सोशल नेटवर्क कंपनी के विज्ञापनों की इस गणेश कथा को नियम तो दूर, अपवाद भी नहीं मानेंगे लेकिन फिर इतना तय है कि फेसबुक फ्री बेसिक्स के विशाल विज्ञापन आपको “कुछ तो राजनीति है” वाले संदिग्ध एहसास भरे बिना नहीं छोड़ेंगे। जैसे चुनावी विज्ञापनों में गरीबी व असमानता हटाने के लिए वोट मांगे जाते हैं ठीक उसी तर्ज पर फेसबुक अगर भारत में डिजिटल असमानता दूर करने के लिए अपनी फ्री बेसिक्स सेवा को चुनने की अपील करे तो सब कुछ सामान्य नहीं है। दरअसल, इससे पहले कि हम अपने बाजार व उदारीकरण को, सरकारी व निजी दोनों, एकाधिकार से मुक्त कर पाते, हम बाजार की जटिल राजनीति में लिथड़ने जा रहे हैं। यह सियासत रोजमर्रा की राजनीति से ज्यादा पेचीदा और प्रभावी है क्योंकि इसमें चुनी हुई सरकारें भी शामिल हो जाती हैं। फेसबुक के फ्री बेसिक्स से जुड़ा सवाल निहायत बेसिक है। कोई हमें शॉपिंग मॉल में बुला रहा है जहां एंट्री फ्री होगी लेकिन बदले में सिर्फ चुनिंदा दुकानों से सामान लेने की छूट होगी। अगर पूरे मॉल में घूमना-खाना-खरीदना चाहते हैं तो फिर मुफ्त एंट्री नहीं मिलेगी। क्या हम ऐसा चाहते हैं? इससे पहले कि हम फ्री इंटरनेट बहस में उतरें, इंटरनेट की मौजूद व्यवस्था को समझना जरूरी है। भारत की मौजूदा नीति के तहत मोबाइल ऑपरेटर्स को स्पेक्ट्रम मिला है जिसके तहत सबको समान रूप से इंटरनेट मिलता है। जो जिस स्पीड का डाटा पैकेज लेता है उतना इंटरनेट चलता है। इंटरनेट का सस्ता होना जरूरी है और इसके लिए कंपनियों को सुविधाएं और रियायतें मिलनी चाहिए लेकिन कोई कंपनी मुफ्त इंटरनेट के बदले आपको एक सीमित क्षेत्र में सैर कराना चाहे तो यह इंटरनेट की उस आजादी के खिलाफ है जो भारत दे रहा है और दुनिया के लिए आदर्श है। इंटरनेट की दुनिया में तीन भागीदार हैं जो इसे मुक्त संसार बनाते हैं। फेसबुक का फ्री बेसिक्स इन तीनों को बिगाड़ देगा। इंटरनेट तक पहुंचाने की सड़क यानी टेलीकॉम नेटवर्क मोबाइल ऑपरेटरों ने बनाई है। जाहिर है, फेसबुक का फ्री बेसिक्स एक ही कंपनी के नेटवर्क पर मिलेगा यानी कि इससे ऑपरेटर को ज्यादा ग्राहक मिलेंगे जिससे मोबाइल बाजार की प्रतिस्पर्धा बिगड़ेगी। इस बाजार के दूसरे भागीदार मीडिया, ई-कॉमर्स आदि कंटेट व सेवा कंपनियां हैं। भारत में इंटरनेट पूरी तरह स्वतंत्र है। लेकिन फेसबुक के बाजार में उन्हीं की दुकान लगेगी जो उसके साथ होंगे तीसरा, खुद इंटरनेट है जिसमें मुफ्त लेकिन सीमित पहुंच का नियम, इसके स्वतंत्र होने की बुनियाद ही हिला देगा। देश के सबसे बड़े ऑपरेटर एयरटेल ने पिछले साल एयरटेल जीरो सर्विस के तहत कुछ वेबसाइट पर फ्री इंटरनेट एक्सेस देने का प्रस्ताव किया था इसके बदले वे वेबसाइट एयरटेल को पैसा देने वाली थीं। यह पेशकश भारत में नेट न्यूट्रेलिटी की बहस की शुरुआत थी। फेसबुक फ्री बेसिक्स जैसी पेशकश, प्रतिस्पर्धा को पूजने वाले पश्चिम के बाजारों में कर ही नहीं सकती, यह तो सिर्फ पिछड़े और विकासशील देशों को लुभा सकती है। इसके बावजूद दो दिन पहले इजिप्ट ने फ्री बेसिक्स बंद कर दिया। दरअसल, फेसबुक, एयरटेल के कारोबारी हित मुक्त बाजार में ही सुरक्षित हैं न कि उस बाजार में जिसे वे गढऩा चाहती हैं। भारतीय बाजार में एकाधिकार व कार्टेलों का दखल पहले से है। फेसबुक तो अपने आकार, फॉलोअर्स और रसूख के सहारे इस असंतुलन को मजबूत करने जा रहा है। लाइसेंस परमिट राज खत्म होने के बाद भी भारत का बाजार पूरी तरह खुल नहीं सका। अगर सरकार हटी तो लोग चुनिंदा कंपनियों के बंधुआ हो गए। हमारे मासिक बिल भुगतान हमें बता देंगे कि हम किस तरह अधिकांश पैसा करीब दो दर्जन कंपनियों को दे रहे हैं। चाकलेट से लेकर मोबाइल तक दर्जनों उत्पाद व सेवाएं ऐसी हैं जिनमें हमारे पास चुनिंदा विकल्प हैं। इसलिए इनके बाजार में या तो एकाधिकार (मोनोपली) हैं या कार्टेल। दूसरी तरफ पेट्रोलियम, रेलवे, कोयला, बिजली आदि पर सरकार का एकाधिकार है इसलिए दोनों जगह उपभोक्ता ऐंटी कंपीटिशन गतिविधियों का शिकार हो होता है जबकि इनकी तुलना में ऑटोमोबाइल, खाद्य उत्पाद, दवा में प्रतिस्पर्धा बेहतर है। भारत को जिन सुधारों की जरूरत है वे बाजार को खोलने के साथ उसे संतुलित करने थे और इनमें सरकार की भूमिका सबसे बड़ी होने वाली है। सरकार को न केवल अपने एकाधिकार वाले क्षेत्रों से निकलना था बल्कि जिन क्षेत्रों में निजी कार्टेल बन गए हैं वहां प्रतिस्पर्धा बढ़ानी है। मसलन, मोबाइल को ही लें जहां 2जी से 4जी तक जाते ऑपरेटरों की संख्या घट रही है यानी प्रतिस्पर्धा कम हो रही है। इन अपेक्षाओं के बीच जब सरकार में रह चुके नंदन नीलकेणि जैसे विशेषज्ञ आधार कार्ड के जरिए लोगों को मुफ्त इंटरनेट देने की वकालत करते हैं तो यह समझना मुश्किल हो जाता है कि आखिर हम सरकारी सब्सिडी की समाप्ति की तरफ बढ़ रहे हैं या नई सब्सिडी स्कीमें शुरू करने की तरफ। हम उदारीकरण के जरिए सभी को अवसर देने वाला मुक्त बाजार बनाने चले थे। हमने सोचा था कि लोगों की जिंदगी व कारोबार में सरकार की भूमिका सीमित होती जाएगी लेकिन कांग्रेस से बीजेपी तक आते भारत के आर्थिक उदारीकरण का पूरा मॉडल ही गड्डमड्ड हो गया है। हम नए किस्म के सरकारीकरण से मुकाबिल हैं और बाजार में प्रतिस्पर्धा सीमित करने के नए तरीकों का इस्तेमाल बढ़ गया है। पिछले साल एयरटेल जीरो के विरोध के बाद भारत में नेट न्यूट्रेलिटी से खतरा टल गया था लेकिन टीआरएआइ ने इस बहस को फिर खोल दिया है और फेसबुक के कथित गणेश महंगे विज्ञापनों के जरिए खेती में सोशल नेटवर्किंग के फायदे बताने लगे हैं। यकीनन इस बहस की दोबारा शुरुआत को फेसबुक के अमेरिकी मंच पर भारतीय प्रधानमंत्री की मौजूदगी से जोडऩे का समर्थन नहीं किया जा सकता लेकिन अगर बात निकली है तो दूर तलक जाएगी और लोग नरेंद्र मोदी से उम्मीद जरूर करेंगे कि उनकी सरकार बाजार की आजादी की पैरोकार बनकर उभरेगी, प्रतिस्पर्धाएं सीमित करने की कोशिशों की हिमायती नहीं। (साभार: अर्थात ब्लॉग से)

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डिजिटल अरेस्ट पर बोले पीएम मोदी, राजीव सचान ने पूछा ये बड़ा सवाल

देश में डिजिटल अरेस्ट के मामले इन दिनों तेजी से बढ़ रहे हैं। डिजिटल अरेस्ट के जरिए साइबर ठग आसानी से लोगों को अपना शिकार बना लेते हैं।

Last Modified:
Monday, 28 October, 2024
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प्रधानमंत्री मोदी ने 'मन की बात' के 115वें एपिसोड में 'डिजिटल अरेस्ट' धोखाधड़ी को लेकर देशवासियों को सावधान किया। पीएम मोदी ने कहा कि कोई भी सरकारी एजेंसी फोन पर धमकी देकर पैसे नहीं मांगती है। इस तरह की धोखाधड़ी में संलिप्त लोग पुलिस, सीबीआई, आरबीआई या नारकोटिक्स अधिकारी बनकर लोगों को डराने की कोशिश करते हैं।

इस मसले पर वरिष्ठ पत्रकार राजीव सचान ने भी सोशल मीडिया हैंडल से एक पोस्ट की और अपनी राय दी। उन्होंने एक्स हैंडल पर लिखा, डिजिटल अरेस्ट का भय दिखाकर कर लोगों को ठगने वाले किस कदर बेलगाम हो गए हैं, इसका प्रमाण है मन की बात कार्यक्रम में प्रधानमंत्री की ओर से इन ठगों के बारे में जनता को आगाह करना, लेकिन सवाल यह है कि हमारी एजेंसियां इन ठगों पर कोई लगाम क्यों नहीं लग पा रही हैं?

आपको बता दें, देश में डिजिटल अरेस्ट के मामले इन दिनों तेजी से बढ़ रहे हैं। डिजिटल अरेस्ट के जरिए साइबर ठग आसानी से लोगों को अपना शिकार बना लेते हैं। कई लोग इसमें फंसकर अपने मेहनत की कमाई गंवा भी चुके हैं। हालांकि, पुलिस और सरकार की ओर से लगातार डिजिटल अरेस्ट से बचने को लेकर कई सुझाव सामने आते रहते हैं।

 

 

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विनोद अग्निहोत्री ने खुले दिल से की संकेत उपाध्याय की तारीफ, जानिये इसका कारण

ये है अहर्निश पत्रकार होना। जाने माने पत्रकार संकेत उपाध्याय और मैं पुणे से लौट रहे थे। मैंने कश्मीर में मारे गये श्रमिकों पर अपनी पोस्ट की चर्चा की।

समाचार4मीडिया ब्यूरो by
Published - Thursday, 24 October, 2024
Last Modified:
Thursday, 24 October, 2024
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अमर उजाला समूह के वरिष्ठ सलाहकार संपादक विनोद अग्निहोत्री ने अपने सोशल मीडिया हैंडल से एक पोस्ट की और स्वतंत्र पत्रकार संकेत उपाध्याय की खुले दिल से तारीफ की। उन्होंने अपने एक्स हैंडल पर लिखा, ये है अहर्निश पत्रकार होना। जाने माने पत्रकार संकेत उपाध्याय और मैं पुणे से लौट रहे थे।

मैंने कश्मीर में मारे गये श्रमिकों पर अपनी पोस्ट की चर्चा की। संकेत का पत्रकार जाग गया। वहीं हवाई अड्डे पर इस मुद्दे पर मुझसे ये चर्चा रिकॉर्ड कर डाली। जन सरोकार की इस त्वरित पत्रकारिता को सलाम।

आप विनोद अग्निहोत्री और संकेत उपाध्याय के बीच हुई इस बातचीत का वीडियो आप इस लिंक पर क्लिक करके देख और सुन सकते हैं।

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दीपोत्सव को जुटे छात्रों पर भांजी लाठी, दीपक चौरसिया का फूटा गुस्सा

जब छात्रों का धड़ा दीपावली मना रहा था तभी मुस्लिम छात्र आए दीयों, रंगोली, मिठाइयों, फूलों को पैरों और गाड़ियों से कुचलते हुए मजहबी उन्माद के नारे लगाने लगे।

समाचार4मीडिया ब्यूरो by
Published - Thursday, 24 October, 2024
Last Modified:
Thursday, 24 October, 2024
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दिल्ली पुलिस ने जामिया मिल्लिया इस्लामिया में दिवाली समारोह के लिए एकत्र हुए करीब आधा दर्जन छात्रों को बुधवार को हिरासत में ले लिया। छात्रों पर पुलिस ने लाठिया भांजी। इसके बावजूद छात्र विश्वविद्यालय के बाहर दीपोत्सव मनाने पर अड़े रहे।

दरअसल, विश्वविद्यालय प्रशासन ने दिवाली कार्यक्रम आयोजित करने की अनुमति नहीं दी थी। इस जानकारी के सामने आने के बाद वरिष्ठ पत्रकार दीपक चौरसिया ने अपने सोशल मीडिया हैंडल से एक पोस्ट की और अपना क्रोध प्रकट किया।

उन्होंने एक्स हैंडल पर लिखा, जामिया के हिंदू छात्र अपने कैंपस में दीपावली नहीं मनाएंगे तो और कहां मनाएंगे ? ये सवाल खड़ा हुआ है कल की झड़प के बाद जब छात्रों का धड़ा दीपावली मना रहा था तभी मुस्लिम छात्र आए दीयों, रंगोली, मिठाइयों, फूलों को पैरों और गाड़ियों से कुचलते हुए मजहबी उन्माद के नारे लगाने लगे, सवाल ये है कि क्या वहां ये इसलिए हो रहा है कि वो एक सेंट्रल मुस्लिम यूनिवर्सिटी है?

आपको बता दें, जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू), दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) और अन्य संस्थानों के अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) से जुड़े लगभग 30-40 विद्यार्थी बुधवार को 'दीप महोत्सव' मनाने के लिए विश्वविद्यालय के बाहर एकत्र हुए थे। 22 तारीख की रात को प्रशासन से अनुमति लेकर हिंदू छात्र दीप महोत्सव मना रहे थे। तभी वहां पर अन्य समुदाय के विद्यार्थी आ गए। उन्होंने मजहबी नारे लगाए और दीये व रंगोली तोड़ दीं। 23 तारीख को ये छात्र जामिया कैंपस में मंगलवार रात को हुई घटना का विरोध कर रहे थे, तब दिल्ली पुलिस ने कैंपस के बाहर सांकेतिक दीये लगाने की अनुमति दी।  

 

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भारत ने चीन पर अनेक मुद्दों पर सफलता हासिल की: डॉ. सुधांशु त्रिवेदी

दोनों नेताओं की 50 मिनट तक बात हुई। इस बैठक में पीएम मोदी के साथ विदेश मंत्री एस जयशंकर और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल भी मौजूद थे।

समाचार4मीडिया ब्यूरो by
Published - Thursday, 24 October, 2024
Last Modified:
Thursday, 24 October, 2024
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की पाँच साल बाद रूस के कज़ान में बुधवार को ब्रिक्स समिट से अलग द्विपक्षीय मुलाक़ात हुई। कहा जा रहा है कि दोनों नेताओं की 50 मिनट तक बात हुई। इस बैठक में पीएम मोदी के साथ विदेश मंत्री एस जयशंकर और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल भी मौजूद थे।

इस मसले पर बीजेपी के राज्य सभा सांसद और राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉक्टर सुधांशु त्रिवेदी ने एक टीवी डिबेट में अपनी राय व्यक्त की है। उन्होंने कहा, भारत के चीन के साथ रिश्तों की बात है तो ब्रिक्स में जो दिख रहा है। भारत ने आर्थिक कूटनीतिक और राजनीतिक तीनों मुद्दों पर भारत ने PM मोदी जी के नेतृत्व में बहुत कूटनीतिक दक्षता का परिचय दिया है।

पहली बार हुआ है कि भारत में इतनी दृढ़ता के साथ बराबरी से कूटनीति की मेज़ पर आके बातचीत की है। पिछले चार पाँच साल से चल रहा है जिसमें भारत ने चाइना पर अनेक मुद्दों पे सफलता हासिल की है। धारा 370 के मुद्दे पर पाकिस्तान सर के बल खड़ा खड़ा हो गया मगर चीन कुछ नहीं कर पाया।

एमटीसीआर के हम मेंबर बन गये। चीन नहीं रोक पाया। मसूद अज़हर को हमने आतंकवादी घोषित करवा दिया मगर चीन नहीं रोक पाया। शंघाई कारपोरेशन में आतंकवाद का शब्द सामने आया मगर चीन नहीं रोक पाया। इसलिए अब हमारी कूटनीति अप्रोच बिलकुल अलग है।

अब सब देशों के साथ बराबरी के स्तर पर ही बातचीत होती है। आपको बता दें, विदेश मंत्रालय के अनुसार, इस मुलाक़ात में दोनों नेताओं ने एलएसी से सैनिकों के पीछे हटने और 2020 में जो विवाद शुरू हुआ था, उसे सुलझाने के लिए हुए समझौते का स्वागत किया।

 

 

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भारत ने उच्च स्तर की कूटनीतिक निपुणता का प्रदर्शन किया: राहुल कंवल

पीएम मोदी और जिनपिंग के बीच यह बैठक ऐसे समय में हुई है, जब दो दिन पहले ही भारत और चीन ने एलएसी पर सभी विवादित बिंदुओं से डिसइंगेजमेंटकी घोषणा की है।

समाचार4मीडिया ब्यूरो by
Published - Thursday, 24 October, 2024
Last Modified:
Thursday, 24 October, 2024
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 23 अक्टूबर को चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात की। पिछले पांच सालों में दोनों नेताओं के बीच यह पहली द्विपक्षीय बैठक थी।  पीएम मोदी और जिनपिंग के बीच यह बैठक ऐसे समय में हुई है, जब दो दिन पहले ही भारत और चीन ने एलएसी पर सभी विवादित बिंदुओं से डिसइंगेजमेंटकी घोषणा की है।

इस बीच वरिष्ठ पत्रकार राहुल कंवल ने अपने सोशल मीडिया हैंडल से एक पोस्ट की है और अपनी राय व्यक्त की। उन्होंने एक्स हैंडल पर लिखा, भले ही चीन के साथ मेलजोल कितना भी आगे बढ़ जाए, भारत ने उच्च स्तर की कूटनीतिक निपुणता का प्रदर्शन किया है।

खालिस्तानी आतंकवादियों को अमेरिका और कनाडा के समर्थन के कारण वाशिंगटन और ओटावा के साथ संबंध तनावपूर्ण हो गए हैं। इस मोड़ पर, दिल्ली और बीजिंग के बीच हालिया विवाद का पिघलना, भू-राजनीतिक वैकल्पिकता का प्रमाण है, जिसे भारत इस्तेमाल कर सकता है, अगर धक्का लगता है।

भारत सरकार की सबसे बड़ी गलती बीजिंग के साथ कथित मित्रता से प्रभावित होना है। लेकिन बार-बार धोखा मिलने के बाद, इसमें संदेह है कि सरकारी सेवा में कोई भी ड्रैगन की चाल से प्रभावित होगा। आपको बता दें, अमेरिका के दबाव के बावजूद पिछले तीन महीनों में मोदी की रूस की दो यात्राओं ने चीन को समझौते के लिए राजी करने में अहम भूमिका निभाई है।

 

 

 

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कल्याण बनर्जी के इस कृत्य पर बोले अवधेश कुमार, यह शर्मनाक हरकत है

विपक्ष को कुछ हुआ नहीं है विपक्ष ऐसा ही है। कल्याण बनर्जी ने बोतल फोड़ने की शर्मनाक हरकत की। वह पूर्व लोकसभा में अध्यक्ष के नकल कर मजाक उड़ाते थे।

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Published - Thursday, 24 October, 2024
Last Modified:
Thursday, 24 October, 2024
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वक्फ बिल पर संयुक्त संसदीय समिति यानी जेपीसी की बैठक के दौरान हंगामें में विवाद बढ़ता जा रहा है। टीएमसी सांसद कल्याण बनर्जी की तरफ से कांच की बोतल तोड़कर अध्यक्ष पर फेंके जाने के एक दिन बाद, पैनल में शामिल तीन भाजपा सांसदों ने इस घटना को 'अभूतपूर्व हिंसा' बताया।

इस घटना पर वरिष्ठ पत्रकार अवधेश कुमार ने भी एक टीवी डिबेट में अपने विचार व्यक्त किये। उन्होंने कहा, विपक्ष को कुछ हुआ नहीं है विपक्ष ऐसा ही है। कल्याण बनर्जी ने बोतल फोड़ने की शर्मनाक हरकत की। वह पूर्व लोकसभा में अध्यक्ष के नकल कर मजाक उड़ाते थे।

ऐसे लोग अगर संसद में विपक्ष चुनकर भिजवाता है तो इससे पता चलता है कि उसकी मंशा और सोच क्या है। आपको बता दें, वक्फ संशोधन विधेयक पर जेपीसी बैठक के दौरान मंगलवार को भाजपा और टीएमसी सांसद आपस में भिड़ गए थे।

टीएमसी सांसद कल्याण बनर्जी ने पीने के पानी के लिए रखी शीशे की बोतल तोड़कर अध्यक्ष जगदंबिका पाल की ओर उछाल दी थी। इसके बाद कल्याण बनर्जी को समिति से एक दिन के लिए निलंबित कर दिया गया था।

 

 

 

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प्रियंका गांधी के नामांकन पर बोलीं सुप्रिया श्रीनेत, आप आधी आबादी की मिसाल बनेंगी

मैंने उन्हें जितना जाना है, जितना देखा है, उनके अंदर एक ग़ज़ब की कूवत है किसी को अपना बना लेने की। वो एक बेहद संवेदनशील इंसान हैं।

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Published - Wednesday, 23 October, 2024
Last Modified:
Wednesday, 23 October, 2024
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कांग्रेस लीडर प्रियंका गांधी वाड्रा ने आज वायनाड लोकसभा से नामांकन भर दिया है। राहुल गांधी के इस्तीफा देने के बाद यह सीट खाली हो गई थी। इस बीच कांग्रेस पार्टी की प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने सोशल मीडिया से एक पोस्ट की और अपने मन की बात कही।

उन्होंने एक्स हैंडल पर लिखा, मेरे लिये एक वो शख़्स, जिनसे मुझे बेहद प्यार है। मतलब बहुत सारा वाला। मैंने उन्हें जितना जाना है, जितना देखा है, उनके अंदर एक ग़ज़ब की कूवत है किसी को अपना बना लेने की। वो एक बेहद संवेदनशील इंसान हैं, लेकिन उतनी ही साहसी भी हैं।

बेहिसाब मेहनती हैं और बेपनाह ज़िंदादिल भी। उनके साथ काम करने में खूब मज़ा आता है।  काम कभी बोझिल नहीं लगता। बहुत सारी हंसी-ख़ुशी के साथ काम होता है। अपने परिवार के लिए वह शेरनी की तरह खड़ी रहती हैं और जनता की बुलंद आवाज़ बनकर दुनिया के सामने आती हैं।

मुझे याद है किसी ने उनसे एक बार यूपी में पूछा था कि आप 10 साल पहले राजनीति में क्यों नहीं आयीं? और उन्होंने बेझिझक होकर मुस्कुराते हुए कहा-क्योंकि तब मेरी बेटी 8 साल की थी। नवरात्रि के दौरान एक मंदिर से निकलीं और पत्रकार ने पूछ लिया आपने क्या माँगा? तो बोलीं बताया थोड़े ही जाता है। फिर मुस्कुरा कर बता ही दिया कि अपने बेटे के लिए प्रार्थना की।

आप उनकी पूरी पोस्ट को इस लिंक पर क्लिक करके पढ़ सकते हैं।

 

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शिवेसना ने जारी की 45 उम्मीदवारों की पहली लिस्ट, पढ़ें समीर चौगांवकर का विश्लेषण

2019 में वर्ली से आदित्य ठाकरे के सामने राज ठाकरे ने कोई उम्मीदवार नहीं उतारा था। महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना का किसी से गठबंधन नहीं होना बीजेपी के लिए फ़ायदेमंद रहेगा।

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Published - Wednesday, 23 October, 2024
Last Modified:
Wednesday, 23 October, 2024
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महाराष्ट्र चुनाव के मद्देनजर एकनाथ शिंदे की शिवसेना ने 45 उम्मीदवारों की पहली लिस्ट जारी कर दी है। एकनाथ शिंदे कोपरी पाचपाखाडी सीट से चुनाव लड़ेंगे। इस जानकारी के सामने आने के बाद वरिष्ठ पत्रकार समीर चौगांवकर ने अपने सोशल मीडिया हैंडल से एक पोस्ट कर अपनी राय व्यक्त की। उन्होंने लिखा, एकनाथ शिंदे की शिवसेना ने 45 उम्मीदवारों की पहली सूची जारी कर दी हैं। सीएम शिंदे अपनी परंपरागत सीट कोपड़ी पाचपाखाडी से चुनाव लड़ेंगे। माहिम सीट पर महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) अध्यक्ष राज ठाकरे के बेटे अमित ठाकरे के सामने सदानंद सरवणकर को उतारा है।

माहिम सीट शिवसेना का गढ़ है। 2009 में महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना ने यह सीट जीती थी। वर्ली से आदित्य ठाकरे के सामने कोई उम्मीदवार अभी नही है। बीजेपी यहां से प्रत्याशी उतार सकती है। इस बात की संभावना है कि उद्धव ठाकरे अपने भतीजे अमित ठाकरे के सामने कोई प्रत्याशी न उतारकर मौन समर्थन दे सकते है। 2019 में वर्ली से आदित्य ठाकरे के सामने राज ठाकरे ने कोई उम्मीदवार नहीं उतारा था। महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना का किसी से गठबंधन नहीं होना बीजेपी के लिए फ़ायदेमंद रहेगा। राज ठाकरे जो भी नुक़सान करेंगे वह उद्धव और एकनाथ शिंदे का ही होगा।

हालाँकि राज ठाकरे अब कोई बड़ी ताक़त नहीं हैं। एक विधायक और 1.75 फ़ीसदी को वोट है लेकिन विधानसभा के बाद होने वाले नगरी निकाय चुनाव में ज़रूर राज ठाकरे का प्रभाव रहेगा। शिवसेना ने पहली सूची में पार्टी के तमाम नेताओं और मंत्रियों के टिकटों का ऐलान कर दिया है। लोकसभा चुनावों में जीतकर सांसद बने रवींद्र वायकर की पत्नी को शिवसेना जोगेश्वरी पूर्व से मैदान में उतारा है। जलगांव की एरंडोल सीट से मौजूदा विधायक चिमनराव पाटिल की जगह उनके बेटे अमोल चिमनराव पाटिल को उम्मीदवार बनाया गया है।

अमरावती लोकसभा सीट पर बीजेपी की नवनीत राणा को हराने में भूमिका निभाने वाले आनंदराव अडसुल के बेटे अभिजीत अडसुल को अमरावती की दरियापुर विधानसभा सीट से उम्मीदवार बनाया है। भाजपा की नवनीत राणा भी यहां से चुनाव लड़ना चाहती थी। मंत्री उदय सामंत को रत्नागिरी से, जबकि उनके भाई किरण सामंत को राजापुर से उम्मीदवार बनाया गया है। दिवंगत सेना विधायक अनिल बाबर के बेटे सुहास बाबर को खानापुर से उम्मीदवार घोषित किया गया है।

एकनाथ शिंदे ने कुछ ऐसी सीटों पर भी कैंडिडेट उतारे है,जहां बीजेपी मज़बूत है। बीजेपी ने यह सीटे क्यों दी समझ से परे हैं। महायुति ने अब तक 144 नाम की घोषणा की है। इसमें भाजपा के 99 और शिवसेना (शिंदे गुट) के 45 नाम शामिल हैं।

 

 

 

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महाराष्ट्र में योगेंद्र यादव के साथ धक्कामुक्की, राजदीप सरदेसाई ने पूछा ये सवाल

ये फुले-शाहू-अम्बेडकर और गोखले-तिलक-रानाडे-आगरकर की धरती पर हुआ। अकोला में जब श्री यादव भाषण देने आये थे तो उनका माइक छीन लिया।

समाचार4मीडिया ब्यूरो by
Published - Wednesday, 23 October, 2024
Last Modified:
Wednesday, 23 October, 2024
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महाराष्ट्र के अकोला में एक कार्यक्रम के दौरान योगेंद्र यादव पर नाराज भीड़ ने हमला कर दिया। भाषण के बीच ही नाराज 40 से 50 लोग मंच पर चढ़ गए और उन्हें बोलने से रोक दिया। इस दौरान उनके साथ धक्का-मुक्की भी हुई। इस घटना का वीडियो सामने आया है, जिसमें गुस्साई भीड़ के साथ योगेंद्र यादव उलझते हुए दिखाई दे रहे हैं।

इस जानकारी के सामने आने के बाद वरिष्ठ पत्रकार राजदीप सरदेसाई ने अपने सोशल मीडिया हैंडल से एक पोस्ट की और इस घटना की कड़ी निंदा की। उन्होंने एक्स पर लिखा, ये फुले-शाहू-अम्बेडकर और गोखले-तिलक-रानाडे-आगरकर की धरती पर हुआ।

अकोला में जब श्री यादव भाषण देने आये थे तो उनका माइक छीन लिया, कुर्सियाँ फेंक दीं और धक्का-मुक्की की। क्या उसे अपनी बात सुनने का अधिकार नहीं है? यदि आप नहीं सुनना चाहते तो उसकी बात न सुनें, लेकिन हिंसा क्यों? पता नहीं बाबा साहेब ने इस गुंडागर्दी पर क्या कहा होगा? क्या यही हमारा महाराष्ट्र धर्म है?

आपको बता दें, एक्स पर पोस्ट किए गए एक वीडियो में यादव ने उन पर और भारत जोड़ो अभियान के उनके साथियों पर हुए हमले को लोकतंत्र प्रेमियों के लिए गंभीर चिंता बताया। उन्होंने बताया कि जब भीड़ मंच पर चढ़ गई, उस समय हम 'संविधान की रक्षा और हमारे वोट' पर चर्चा कर रहे थे।

 

 

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भविष्य में भारत के इर्द-गिर्द घूम सकती है वैश्विक कूटनीति: राहुल शिवशंकर

वरिष्ठ पत्रकार राहुल शिवशंकर ने अपने सोशल मीडिया हैंडल से एक पोस्ट की और उम्मीद जताई है कि आने वाले समय में विश्व में भारत एक बड़ी भूमिका अदा कर सकता है।

समाचार4मीडिया ब्यूरो by
Published - Tuesday, 22 October, 2024
Last Modified:
Tuesday, 22 October, 2024
rahulshivshankar

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ब्रिक्स समिट में हिस्सा लेने के लिए 2 दिवसीय दौरे पर रूस पहुंचने वाले हैं। ब्रिक्स सम्मेलन के साथ ही पूरी दुनिया की नजर इस बात पर भी टिकी हुई है कि रूस में पीएम मोदी की किन देशों के प्रमुख के साथ द्विपक्षीय बैठक होगी।

इस बीच वरिष्ठ पत्रकार राहुल शिवशंकर ने अपने सोशल मीडिया हैंडल से एक पोस्ट की और उम्मीद जताई है कि आने वाले समय में विश्व में भारत एक बड़ी भूमिका अदा कर सकता है। उन्होंने अपने एक्स हैंडल से लिखा, रूस और यूक्रेन के बीच बातचीत के अलावा, क्या पीएम मोदी, जो ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में ईरानी राष्ट्रपति पेजेशकियान से बातचीत के लिए मिल रहे हैं, तेल अवीव और तेहरान के बीच तनाव को शांत करने में भी मदद कर सकते हैं?

पश्चिम तो नहीं, लेकिन इस सदी में हमारा अपना भारत तेजी से एक आधार बनकर उभर सकता है, जिसके इर्द-गिर्द वैश्विक कूटनीति घूम सकती है। संभावनाओं का एक युग इंतज़ार कर रहा है। आपको बता दें, चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में भाग लेने रूस के लिए रवाना हो गए हैं।

यहां उनके प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित सदस्य देशों के नेताओं से मिलने की उम्मीद है। शी शिखर सम्मेलन में ब्रिक्स ब्लॉक के अधिक सहयोग के लिए चीन के दृष्टिकोण को स्पष्ट करेंगे। 

 

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