होम / सोशल मीडिया / आज पत्रकारिता के मूल सिद्धांत हो गए ग्लैमर, रुतबा और पैसा

आज पत्रकारिता के मूल सिद्धांत हो गए ग्लैमर, रुतबा और पैसा

ये 1992 का पत्रकारिता का दौर था जब मैं माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल के पहले बैच से प्रशिक्षण लेकर ‘नईदुनिया’ भोपाल के दफ्तर पहुंचा था...

समाचार4मीडिया ब्यूरो 7 years ago

अमिताभ श्रीवास्तव

वरिष्ठ पत्रकार ।।

अब भाषा से दुष्कर्म करने में भी कोई शर्म नहीं

ये 1992 का पत्रकारिता का दौर था जब मैं माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल के पहले बैच से प्रशिक्षण लेकर नईदुनिया भोपाल के दफ्तर पहुंचा था। उस वक्त स्व. मदन मोहन जोशी संपादक थे और पत्रकारों में उनकी कठोरता के किस्से पहले ही कानों तक गूंज रहे थे। मुलाकात हुई, बात हुई और अपनी फाइल दिखाई जिसमें तमाम समाचारपत्रों में छपे लेख थे। पन्ने पलटते हुए बोले, लिखते तो ठीक है, भाषा ठीक है, उन्होंने घंटी बजाई और संपादकीय पेज के सहयोगी को बुलाया। उनके हवाले किया और बोले इन्हें देखो। चार पांच दिन संपादकीय पेज रहा, जोशी तक ओके रिपोर्ट गई तो केबिन में बुलाया और रिपोर्टिंग डेस्क के हवाले कर दिया। इस तरह भाषा के बलबूते पर मैं नईदुनिया का भोपाल में रिपोर्टर बन गया।

भाषा क्या होती है, ये जाना वहां काम करने के दौरान, उस वक्त मोबाइल तो थे नहीं, जैसे ही दफ्तर से निकलने के बाद जोशी जी का फोन आता,समझ जाते थे कि रास्ते में भी उनका मन संपादकीय पढ़ रहा था, जिसने भी फोन उठाया, उसे कहा जाता था कि संपादकीय पेज की किस लाइन में कौन सा कोमा या पूर्ण विराम हटाना है और कौन शब्द बदलना है। उन्हें एक एक लाइन याद रहती थी और एक एक शब्द को लेकर उनका आग्रह समझ में आता था कि पत्रकारिता में भाषा का कितना महत्व है।

जब बाइलाइन छपती थी तो सामने पन्ने दर पन्ने लिखवाना और उन्हें फिर फाड़ना, समझ में आता था कि पत्रकारिता आसान नहीं। पूरा केबिन पन्नों से भर जाता था। उस वक्त कंप्यूटर तो थे नहीं। तेजी से लिखते लिखते हाथों में दर्द होने लगता था। जमाना बदल गया तो पत्रकारिता के अंदाज बदल गए। कंप्यूटर और मोबाइल आ गए और सूचना तंत्र तेज हो गया लेकिन पत्रकारिता के मूल सिद्धांत, परंपरा, कामकाज का तरीका कहीं पीछे छूट गया। नईदुनिया के बाद मुझे किसी ने नहीं सिखाया, जो लिखा, जस का तस छप गया, जैसा लिखा, सत्य हो गया।

 

आज के दौर में जो युवा आ रहे हैं वो नहीं जानते कि भाषा किस चिड़िया का नाम है। जिससे जितना बन रहा है, भाषा से दुष्कर्म करने से नहीं चूक रहा। रोमन में लिखी स्क्रिप्ट में यूपी में गड्ढा मुक्त सड़क की जगह गदहा मुक्त सड़क भी छप जा रहा था। कोमा और विराम कहां लगनी है, ये बात तो दूर की बात है। आज पत्रकारिता के मूल सिद्धांत हो गए ग्लैमर, रुतबा और पैसा। टाई और शूट वाले हो गए। किसी पार्टी के प्रवक्ता बनने में अब उन्हें कोई शर्म नहीं और वक्त के साथ पलटने में कोई दिक्कत नहीं। अब खबरों की भाषा और शैली पर चर्चा नहीं होती। तमाम नए युवाओं से चर्चा होती रहती है, जब उनका लिखा देखते हैं तो लगता है कि एक साल से तीन साल तक का कोर्स करने के बाद भी उनके शिक्षकों ने भाषा नहीं सिखाई।

टीवी का कोर्स करने वालों को ये नहीं पता कि टीवी में प्रचलित बाइट या प्रोमो क्या है। उन्हें ये नहीं मालूम कि स्क्रिप्ट किस तरह लिखी जाती है। हैरानी होती है कि तीन साल तक प्रशिक्षण के बाद उन्होंने सीखा है तो इंटरव्यू लेना। लेकिन ये नहीं सीखा कि इंटरव्यू लेना कैसे है। किसी की दिलचस्पी डेस्क में नहीं। पूछता हूं तो कहते हैं कि एंकर या रिपोर्टर। रिपोर्टर भी पॉलिटिकल। सीखने में वक्त क्या बर्बाद करना। जितनी देर में सीखेंगे उतनी देर में तो वे स्टार एंकर हो जाएंगे। फिर स्त्रीलिंग को पुर्लिंग बोले, क्या फर्क पड़ता है। स्टार हैं, एंकर हैं, जो कहेंगे, वही सत्य होगा और इसी से कड़वा सच पनपता है जब लोग कहते हैं कि चैनल, अखबार और पत्रकार किस दल से हैं। कोई बुराई नहीं है किसी दल से जुड़ना, लेकिन पत्रकारिता छोड़ कर कई पत्रकार नेता बने हैं। वो उनका फैसला है, लेकिन दोनों साथ साथ तो नहीं चल सकते और चलेंगे तो पत्रकारिता का बेड़ा गर्क होगा ही।


 

समाचार4मीडिया.कॉम देश के प्रतिष्ठित और नं.1 मीडियापोर्टल exchange4media.com की हिंदी वेबसाइट है। समाचार4मीडिया में हम अपकी राय और सुझावों की कद्र करते हैं। आप अपनी राय, सुझाव और ख़बरें हमें mail2s4m@gmail.com पर भेज सकते हैं या 01204007700 पर संपर्क कर सकते हैं। आप हमें हमारे फेसबुक पेज पर भी फॉलो कर सकते हैं।


टैग्स
सम्बंधित खबरें

डिजिटल अरेस्ट पर बोले पीएम मोदी, राजीव सचान ने पूछा ये बड़ा सवाल

देश में डिजिटल अरेस्ट के मामले इन दिनों तेजी से बढ़ रहे हैं। डिजिटल अरेस्ट के जरिए साइबर ठग आसानी से लोगों को अपना शिकार बना लेते हैं।

2 days ago

विनोद अग्निहोत्री ने खुले दिल से की संकेत उपाध्याय की तारीफ, जानिये इसका कारण

ये है अहर्निश पत्रकार होना। जाने माने पत्रकार संकेत उपाध्याय और मैं पुणे से लौट रहे थे। मैंने कश्मीर में मारे गये श्रमिकों पर अपनी पोस्ट की चर्चा की।

5 days ago

दीपोत्सव को जुटे छात्रों पर भांजी लाठी, दीपक चौरसिया का फूटा गुस्सा

जब छात्रों का धड़ा दीपावली मना रहा था तभी मुस्लिम छात्र आए दीयों, रंगोली, मिठाइयों, फूलों को पैरों और गाड़ियों से कुचलते हुए मजहबी उन्माद के नारे लगाने लगे।

5 days ago

भारत ने चीन पर अनेक मुद्दों पर सफलता हासिल की: डॉ. सुधांशु त्रिवेदी

दोनों नेताओं की 50 मिनट तक बात हुई। इस बैठक में पीएम मोदी के साथ विदेश मंत्री एस जयशंकर और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल भी मौजूद थे।

5 days ago

भारत ने उच्च स्तर की कूटनीतिक निपुणता का प्रदर्शन किया: राहुल कंवल

पीएम मोदी और जिनपिंग के बीच यह बैठक ऐसे समय में हुई है, जब दो दिन पहले ही भारत और चीन ने एलएसी पर सभी विवादित बिंदुओं से डिसइंगेजमेंटकी घोषणा की है।

5 days ago


बड़ी खबरें

'जागरण न्यू मीडिया' में रोजगार का सुनहरा अवसर

जॉब की तलाश कर रहे पत्रकारों के लिए नोएडा, सेक्टर 16 स्थित जागरण न्यू मीडिया के साथ जुड़ने का सुनहरा अवसर है।

48 minutes from now

‘Goa Chronicle’ को चलाए रखना हो रहा मुश्किल: सावियो रोड्रिग्स

इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिज्म पर केंद्रित ऑनलाइन न्यूज पोर्टल ‘गोवा क्रॉनिकल’ के फाउंडर और एडिटर-इन-चीफ सावियो रोड्रिग्स का कहना है कि आने वाले समय में इस दिशा में कुछ कठोर फैसले लेने पड़ सकते हैं।

3 hours from now

रिलायंस-डिज्नी मर्जर में शामिल नहीं होंगे स्टूडियो के हेड विक्रम दुग्गल 

डिज्नी इंडिया में स्टूडियो के हेड विक्रम दुग्गल ने रिलायंस और डिज्नी के मर्जर के बाद बनी नई इकाई का हिस्सा न बनने का फैसला किया है

2 minutes from now

फ्लिपकार्ट ने विज्ञापनों से की 2023-24 में जबरदस्त कमाई

फ्लिपकार्ट इंटरनेट ने 2023-24 में विज्ञापन से लगभग 5000 करोड़ रुपये कमाए, जो पिछले साल के 3324.7 करोड़ रुपये से अधिक है।

1 day ago

क्या ब्रॉडकास्टिंग बिल में देरी का मुख्य कारण OTT प्लेटफॉर्म्स की असहमति है?

विवादित 'ब्रॉडकास्टिंग सर्विसेज (रेगुलेशन) बिल' को लेकर देरी होती दिख रही है, क्योंकि सूचना-प्रसारण मंत्रालय को हितधारकों के बीच सहमति की कमी का सामना करना पड़ रहा है। 

23 hours ago