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इस बड़े अखबार के एग्जिक्यूटिव एडिटर की भूमिका को वरिष्ठ पत्रकार सागरिका घोष ने बनाया मुद्दा...
समाचार4मीडिया ब्यूरो ।। वरिष्ठ महिला पत्रकार सागरिका घोष ने एक ट्वीट कर ‘फ्रंटलाइन’ मैगजीन में छपे लेख का हवाला देते हुए एक प्रतिष्ठित अखबार के एग्जिक्यूटिव एडिटर की भूमिका पर सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि जब इतने बड़े अखबार का एग्जिक्यूटिव एडिटर आम आदमी पार्टी
समाचार4मीडिया ब्यूरो 7 years ago
समाचार4मीडिया ब्यूरो ।।
वरिष्ठ महिला पत्रकार सागरिका घोष ने एक ट्वीट कर ‘फ्रंटलाइन’ मैगजीन में छपे लेख का हवाला देते हुए एक प्रतिष्ठित अखबार के एग्जिक्यूटिव एडिटर की भूमिका पर सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि जब इतने बड़े अखबार का एग्जिक्यूटिव एडिटर आम आदमी पार्टी के खिलाफ मोदी सरकार के एजेंट की तरह काम कर रहा है तो हमें यह सवाल जरूर उठाना चाहिए कि आखिर मीडिया में इतने बड़े भ्रष्टाचार के लिए कौन जिम्मेदार है।
Sagarika Ghose Retweeted Frontline
When an executive editor of a daily works as agent of Centre against AAP, we must ask: who's responsible for so much corruption in media?
दरअसल ‘फ्रंटलाइन’ मैगजीन में अक्षय देशमाने ने एक लेख लिखा है। इस लेख के अनुसार, ‘विभिन्न आरटीआई से खुलासा हुआ है कि जब से दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार बनी है, तब से मोदी सरकार दिल्ली के प्रशासनिक कामों में जरूरत से ज्यादा रुचि दिखा रही है।’
PMO has been taking extraordinary interest in matters linked to administration of Delhi since AAP came to power. http://www.frontline.in/cover-story/under-close-
इस लेख में बताया गया है कि हाल ही में जब दिल्ली के तत्कालीन उप राज्यपाल नजीब जंग ने अपने इस्तीफे की घोषणा की थी तो लोगों को काफी आश्चर्य हुआ था। हालांकि नजीब जंग ने अपने इस्तीफे का कोई कारण नहीं बताया था लेकिन उन्होंने केंद्रीय गृह मंत्रालय (MHA) को इस्तीफा भेजने के बजाय प्रधानमंत्री कार्यायल (PMO) को भेजा था। अगली सुबह नजीब जंग ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मुलाकात की थी। तकरीबन एक घंटे की इस मुलाकात के बाद नजीब जंग ने कुछ पत्रकारों को बताया था कि वह पूर्व में भी दो बार इस्तीफे की पेशकश कर चुके थे लेकिन प्रधानमंत्री ने उन्हें अपने पद पर बने रहने को कहा था। यह काफी बड़ी घटना थी, जिसमें न सिर्फ एक केंद्र सरकार के प्रतिनिधि के तौर पर एक नौकरशाह के द्वारा दिल्ली के कामों में प्रधानमंत्री के दखल की पुष्टि हुई थी, जबकि इससे पहले तक दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ही इस तरह के आरोप लगाते रहते थे। हालांकि भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता सदैव इन आरोपों का खंडन करते रहे हैं।
अक्षय देशमाने ने इस लेख में बताया है कि मामले की जांच के दौरान इस बात का खुलासा हुआ कि जंग और केजरीवाल की इस लड़ाई पर प्रधानमंत्री कार्यालय भी पूरी नजर रखे हुए था। इसका पहला उदाहरण है ‘हिन्दुस्तान टाइम्स’ के एग्जिक्यूटिव एडिटर शिशिर गुप्ता द्वारा 28 मार्च 2015 को भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह और प्रधानमंत्री कार्यालय में विशेष कार्य अधिकारी (Officer on Special Duty) हिरेन जोशी को भेजा गया ई-मेल।
‘KEJRIWAL AGAINST CENTRE’ सब्जेक्ट लाइन से भेजे गए इस ई-मेल में गुप्ता ने लिखा है, ‘दिल्ली के मुख्यमंत्री एनसीआर में केंद्र सरकार की सभी पॉवर्स को खत्म करने में लगे हुए हैं जबकि न तो गृह मंत्रालय और न ही भाजपा इस बारे में कोई कदम उठा रही है। गुप्ता ने ऐसे नौ निर्णयों का हवाला भी दिया है और उन्हें ‘example of violations by Kejriwal’ बताया है।’ बताया जाता है कि यह ई-मेल इस प्रारूप में लिखा गया था कि उसमें भाजपा अध्यक्ष अथवा प्रधानमंत्री कार्यालय से किसी जवाब की अपेक्षा नहीं की गई थी बल्कि सिर्फ सूचना दी गई थी।
यही नहीं, एग्जिक्यूटिव एडिटर की ओर से ‘HT’ के दिल्ली एडिशन में पहले पेज पर एक अप्रैल को एक स्टोरी प्रकाशित की गई थी। ‘On collision course: Delhi CM Kejriwal steps on LG Jung’s toes’ शीर्षक से प्रकाशित स्टोरी में बताया गया था कि केजरीवाल कैसे अपने अधिकार क्षेत्र का उल्लंघन कर रहे हैं। हालांकि इस मुद्दे पर इसके बाद से गुप्ता ने कोई स्टोरी नहीं लिखी।
वैसे इस मुद्दे पर दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने भी एक रिट्वीट किया है और शोभना भरतिया से पूछा कि क्या वो अब अपने एडिटर को निष्कासित करेंगी?
Arvind Kejriwal Retweeted Rohini Singh
Executive Editor of HT gets PMO to act against AAP govt in Delhi. Will Shobhna Bhartiya sack her editor? HT's credibility at stake
‘फ्रंटलाइन’ के अनुसार, इस बारे में जानकारी मांगे जाने पर गुप्ता ने इस बात पर जोर दिया कि ई-मेल में उनकी प्रस्तावित स्टोरी की खास बातें थीं और यह उस हिसाब से भेजा गया था ताकि न्यूज स्टोरी के लिए भाजपा अध्यक्ष व पीएमओ का पक्ष लिया जा सके। हालांकि गुप्ता का कहना था कि इस ई-मेल को न तो भाजपा अध्यक्ष और न ही पीएमओ ने गंभीरता से लिया।
लेख के अनुसार, इस बारे में गृहमंत्रालय से आरटीआई के जरिये मांगी गई जानकारी में यह भी खुलासा हुआ कि 31 मार्च को प्रधानमंत्री कार्यालय के वरिष्ठ अधिकारी नृपेंद्र मिश्रा ने एडिशनल सेक्रेटरी अनंत कुमार मिश्रा को अपने कार्यालय में बुलाकर इस ई-मेल को लेकर पांच दिन में वास्तविक रिपोर्ट (factual report) तैयार करने के आदेश दिए थे। इसके अलावा अप्रैल व मई में आप सरकार और Anti-Corruption Branch (ACB) के बीच चल रहे मामले में कुछ इसी तरह हुआ था।
सागरिका घोष ने अपने ट्वीट के साथ मैगजीन का एक लिंक भी शेयर किया है। नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक कर आप इस पूरे आर्टिकल को पढ़ सकते हैं।
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