मूल रूप से मुजफ्फरनगर के रहने वाले तरण पाल ने मेरठ की सुभारती यूनिवर्सिटी से जर्नलिज्म और मास कम्युनिकेशन में मास्टर्स की डिग्री हासिल की, उनके पिता भी पत्रकारिता में सक्रिय हैं
अन्य दिनों के मुकाबले हिंदी के प्रमुख अखबारों के फ्रंट पेज पर आज ज्यादा विज्ञापन नहीं है, इस वजह से पाठकों को काफी खबरें पढ़ने को मिली हैं
28 महीनों में अनुशासन समिति के समक्ष गड़बड़ी के 18 मामले रेफर किए गए हैं। इस तरह के सबसे ज्यादा मामले दक्षिण भारत से हैं
तब राजेश दिल्ली की मेन स्ट्रीम मीडिया से जुड़ते तो राजेश का ही नहीं, देश की टीवी पत्रकारिता का चेहरा आज कुछ अलग होता
मूल रूप से लखनऊ के रहने वाले आकाश कश्यप पूर्व में कई मीडिया संस्थानों के साथ काम कर चुके हैं
इस माहौल में कुछ अखबारों, चैनलों और उनके एंकर्स-पत्रकारों ने जो भूमिका निभाई है, उनका तहे दिल से शुक्रिया और सलाम! चैनल की नीति के खिलाफ जाकर सच के साथ खड़ा होना कोई आसान नहीं है