हर रविवार की सुबह मैं वीर सांघवी द्वारा खानपान के बारे ‘एचटी ब्रंच’ (HT Brunch) में लिखे गए अपने पसंदीदा कॉलम को पढ़ना नहीं भूलता हूं।
स्टार इंडिया के पूर्व सीईओ पीटर मुखर्जी ने पिछले दिनों अपना संस्मरण 'Starstruck: Confessions of a TV Executive' जारी किया है।
संयोग देखिए कि पहली पटना यात्रा के 25 वर्षों के बाद ‘गांधी मैदानः Bluff of Social Justice’ जैसी उत्कृष्ट किताब पढ़ने को मिल गई। इसे लिखा है वरिष्ठ पत्रकार व संपादक अनुरंजन झा ने।
बीते दस सालों से मीडिया की दुनिया में कार्यरत पत्रकार और लेखिका हिमानी का लघु कथा संग्रह 'नमक' इन दिनों चर्चा में है
अगर आप औरंगजेब को नायक मानते हैं तो इस किताब में आपको उसकी खलनायकी पढ़ने को मिलेगी और यदि आप उसे खलनायक मानते हैं तो कई जगहों पर आपको वो एक नायक की तरह खड़ा मिलेगा
पिछले पांच-एक साल में एक नई बात हुई है। अपन लोग बात-बात पर आहत होने लगे हैं। आहत हैं इसलिए आक्रामक भी हो गए हैं
भारत की चुनाव केन्द्रित राजनीति लेखकों-समीक्षकों के लिए हमेशा से एक आकर्षण का विषय रही है