देशभर में कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। कोरोना की कवरेज के दौरान पत्रकारों में स्वास्थ्य जोखिम का खतरा लगातार बढ़ता जा रहा है
तो आशंकाएं सच होने लगी हैं। हिन्दुस्तान की पत्रकारिता पिछले 73 साल में अपने सबसे बुरे दौर में जा पहुंची है। कमर तो पहले ही टूटी हुई थी। रही सही कसर कोरोना ने पूरी कर दी है।
पत्रकारिता को अगर लोकतंत्र में चौथा स्तंभ कहा जाता है, तो प्रश्न यह है कि इस महत्वपूर्ण स्थान की क्या हम रक्षा कर पा रहे हैं?
‘रिपब्लिक टीवी’ के संपादक अरनब गोस्वामी से मुंबई में दस-बारह घंटे की पूछताछ इन दिनों बहस का मुद्दा है।
देश भर में कोरोना का कहर बढ़ता ही जा रहा है। ऐसे में पत्रकार अपनी जान की बाजी लगाकर इस घातक बीमारी को दिन-रात कवर कर रहे हैं
देशभर में कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। इस बीच कोरोना वायरस ने देश के कई अलग-अलग शहरों में पत्रकारों को भी अपनी चपेट में ले लिया है।
वाकई मुश्किल दौर है। देश के लिए भी और पत्रकारिता के लिए भी। कोरोना जैसी संक्रामक भयावह महामारी ने समूची दुनिया को आतंकित कर दिया है
कोरोनावायरस (कोविड-19) के खिलाफ जंग में पूरी दुनिया समेत भारत भी जोर-शोर से लगा हुआ है।
कोरोना को परास्त करने की रणनीति के तहत लॉकडाउन को बढ़ाया जा सकता है। कई राज्य इसके पक्ष में हैं।
कोरोना से मुकाबले के लिए सरकार आवश्यक कदम उठाने के साथ-साथ लॉकडाउन को चरणबद्ध तरीके से उठाने की तैयारी कर रही है।