बाजार से सामान लेने के लिए निकले थे पत्रकार। विपक्षी दलों के नेताओं ने सरकार के इस कदम की आलोचना की है।
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने अब लोकतंत्र का चौथा स्तंभ कहे जाने वाले मीडिया पर भी दबाव बनाना शुरू कर दिया है।
जब हम प्रेस स्वतंत्रता की बात करते हैं तो इन दिनों कोरोना काल में जो कुछ घट रहा है, वह हमें आईना दिखाने के लिए बेहतर है।
अंतरराष्ट्रीय पत्रकारिता गैर लाभ संगठन की ओर से प्रकाशित विश्व प्रेस फ्रीडम इंडेक्स 2021 में भारत की रैंकिंग नीचे नहीं गिरी है
प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा, ‘क्या यह अभिव्यक्ति की आजादी के साथ-साथ प्रेस की आजादी के खिलाफ नहीं है?
केंद्रीय सूचना-प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने रविवार को कहा कि वह हमेशा ही प्रेस की स्वतंत्रता चाहते हैं और यह जरूरी भी है
एक बार फिर गंभीर विवाद। प्रिंट, टीवी चैनल, सीरियल, फिल्म, सोशल मीडिया को कितनी आजादी और कितना नियंत्रण? सरकार, प्रतिपक्ष और समाज कभी खुश, कभी नाराज।
अजब दौर है। भारतीय पत्रकारिता का अंधकार युग। कब तक चलेगा? कोई नहीं जानता। विचार और निरपेक्ष-निर्भीक विश्लेषण की क्षमता खोते जाने का नतीजा क्या होगा।
पैनल में वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल, श्याम दीवान, राजीव नायर, संजय हेगड़े, मेनका गुरुस्वामी, प्रशांत कुमार और शाहरुख आलम को शामिल किया गया है।
एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने ‘शिलॉन्ग टाइम्स’ की एडिटर पैट्रिशिया मुखिम पर दर्ज आपराधिक मामले को लेकर गहरी चिंता व्यक्त की है