ऐसे वक्त में जब तमाम वरिष्ठ पत्रकारों ने खुद को केवल जेएनयू हिंसा तक सीमित कर रखा है, ‘टाइम्स नाउ’ के एडिटर-इन-चीफ राहुल शिवशंकर ने एक ऐसा मुद्दा उठाया है, जिस पर गंभीरता से बात करना बेहद जरूरी है।
करीब चार साल पुराना है मामला। अब अदालत के फैसले के अनुसार जुर्माने के रूप में पीड़िता को मिलेगी भारी भरकम राशि
कार्यवाही से बचने के लिए ‘गूगल इंडिया’ ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, लेकिन यहां भी उसे कोई राहत नहीं मिली है
अपने वकील के माध्यम से अदालत में दायर की है याचिका, कोर्ट ने 20 दिसंबर दी है अगली तारीख
शीर्ष अदालत ने मामले से जुड़ी हर छोटी-बड़ी जानकारी मीडिया में चलने पर नाराजगी जताई
हालांकि संतोष बस इतना है कि पिछले 12 सालों में भारत की स्थिति में यदि सुधार नहीं हुआ, तो बद से बदतर भी नहीं हुई है
राजनीतिक गलियारों के अलावा सरकारी एजेंसियां और देश-विदेश की निजी एजेंसियां भी वर्षों से अधिकृत अथवा गैरकानूनी ढंग से भारत में जासूसी करती रही हैं
निर्भया केस में वरिष्ठ पत्रकार अजीत अंजुम द्वारा किए गए लगातार कई ट्वीट्स को लेकर लोग दे रहे हैं अपनी प्रतिक्रिया
लगातार एक के बाद एक किए दस ट्वीट, कहा- तब अगर हमने एक घंटे का ये स्पेशल शो और स्टिंग चला दिया होता तो रेटिंग भी आती, देश भर में चर्चा भी होती और चैनल का नाम भी होता
एबीपी न्यूज के पत्रकार ने ट्विटर के इस कदम को उनकी कलम तोड़ने और मुंह बंद करने की कोशिश के साथ ही अभिव्यक्ति की आजादी की हत्या करार दिया