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बॉम्बे हाई कोर्ट के इस फैसले को एडिटर्स गिल्ड ने बताया, लोकतांत्रिक मूल्यों की जीत
एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने बॉम्बे हाई कोर्ट के उस फैसले की सराहना की है, जिसमें विवादास्पद 2023 आईटी संशोधन नियमों को रद्द कर दिया गया है।
समाचार4मीडिया ब्यूरो 2 weeks ago
एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने बॉम्बे हाई कोर्ट के उस फैसले की सराहना की है, जिसमें विवादास्पद 2023 आईटी संशोधन नियमों को रद्द कर दिया गया है। इन नियमों के तहत सरकार को एक 'फैक्ट-चेक यूनिट' स्थापित करने का अधिकार दिया जाना था, जो सोशल मीडिया सहित ऑनलाइन सामग्री की निगरानी और नियंत्रण करती। ये संशोधन सरकार को यह तय करने का अधिकार देते कि कौन-सी सामग्री 'फर्जी खबर' है और कौन-सी भ्रामक।
हालांकि, कोर्ट ने इस फैसले को भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19(1)(a) में निहित अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उल्लंघन माना। कोर्ट ने कहा कि यह संशोधन लोगों की बोलने और अभिव्यक्ति की आजादी के खिलाफ है।
एडिटर्स गिल्ड ने पहले ही इन नियमों को प्रेस की स्वतंत्रता के लिए खतरनाक बताया था। उनका मानना था कि सरकार द्वारा नियुक्त इकाई को ऑनलाइन सामग्री की सच्चाई परखने का अधिकार देना स्वतंत्र पत्रकारिता को कमजोर करेगा। इससे प्रेस की स्वतंत्रता पर अंकुश लगेगा और सरकार को यह तय करने का असीमित अधिकार मिल जाएगा कि कौन-सी जानकारी सही है और कौन-सी गलत। इसका असर सूचना के स्वतंत्र प्रवाह और जनता के विविध विचारों तक पहुंचने के अधिकार पर भी पड़ेगा।
हाई कोर्ट के इस फैसले में इस तरह की असीमित सरकारी शक्ति के संभावित खतरों को उजागर किया गया और कहा गया कि यह नियम सेंसरशिप का हथियार बन सकते थे। कोर्ट ने यह भी कहा कि आईटी संशोधन नियम संविधान द्वारा दिए गए स्वतंत्रता और समानता के अधिकारों के साथ मेल नहीं खाते और यह एक तरह से सरकारी शक्ति का दुरुपयोग है।
एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने कोर्ट के इस फैसले को लोकतांत्रिक मूल्यों की जीत बताया। उन्होंने कहा कि यह फैसला कार्यकारी शक्ति पर एक ज़रूरी रोक लगाता है और प्रेस की उस भूमिका को सुरक्षित करता है, जिसमें वह लोकतंत्र में पहरेदार की भूमिका निभाता है। गिल्ड ने दोहराया कि स्वतंत्र और स्वतंत्र मीडिया ही स्वस्थ लोकतंत्र का आधार है और प्रेस की इस भूमिका को कमजोर करने वाली किसी भी कोशिश का विरोध किया जाना चाहिए।
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