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वक्फ की जमीन को लेकर अमिश देवगन ने उठाए सवाल, किया ये बड़ा खुलासा
उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने प्रदेश में चल रहे गैर मान्यता प्राप्त मदरसों के सर्वे के ऐलान के बाद अब वक्फ संपत्तियों के सर्वे का फैसला लिया है।
समाचार4मीडिया ब्यूरो 2 years ago
उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने प्रदेश में चल रहे गैर मान्यता प्राप्त मदरसों के सर्वे के ऐलान के बाद अब वक्फ संपत्तियों के सर्वे का फैसला लिया है। दरअसल, योगी सरकार ने प्रदेश में बंजर, ऊसर आदि सार्वजनिक संपत्तियों को वक्फ के तौर पर दर्ज करने के 1989 के शासनादेश को रद्द कर दिया है। सरकार ने इसी के साथ प्रदेश में वक्फ की संपत्तियों का सर्वे शुरू कर दिया है।
सरकार के इन फैसलों पर सियासत तेज हो गई है। सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने इन फैसलों का विरोध किया है। अखिलेश यादव का साफ कहना है कि हम सर्वे के खिलाफ हैं, सर्वे नहीं होना चाहिए। एआईएमआईएम ने भी वक्फ की संपत्तियों के सर्वे पर योगी सरकार की मंशा पर सवाल खड़े किए हैं। एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने योगी सरकार पर हमला बोलते हुए पूछा कि वह केवल वक्फ संपत्तियों का सर्वेक्षण क्यों कर रहे हैं? उन्हें हिंदू बंदोबस्ती बोर्ड की संपत्तियों की भी जांच करनी चाहिए। उन्होंने मदरसों के सर्वे कराने को सरकार की साजिश करार देते हुए यूपी सरकार पर अनुच्छेद 300 (संपत्ति का अधिकार) के उल्लंघन का आरोप लगाया है।
इस बीच ‘न्यूज18 इंडिया’ (हिंदी) के मैनेजिंग एडिटर और सीनियर एंकर अमिश देवगन ने अपने शो ‘आर-पार’ में इस पूरे मुद्दे को जनता के सामने रखा है। उन्होंने कहा है कि देश में रेलवे और सेना के बाद वक्फ बोर्ड के पास सबसे ज्यादा आठ लाख एकड़ जमीन है। उन्होंने सवाल उठाया कि आखिर वक्फ बोर्ड के पास ये लाखों एकड़ की जमीन कैसे आई।
इसके साथ ही अमिश देवगन ने इस शो में पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार की ‘कारगुजारियों’ को लेकर काफी बड़ा खुलासा भी किया है। अपने शो में अमिश देवगन ने बताया है कि वर्ष 2014 में जब लोकसभा चुनाव को लेकर देश में आचार संहिता लगी थी, उससे कुछ ही घंटों पहले तत्कालीन मनमोहन सिंह की सरकार ने काफी बड़ा ‘खेल’ किया था।
अमिश देवगन ने बताया कि पांच मार्च 2014 को जारी शासनादेश में तत्कालीन मनमोहन सरकार द्वारा दिल्ली में 123 वक्फ संपत्तियों को दिल्ली वक्फ बोर्ड को गिफ्ट में दे दिया गया था। इनमें लोदी रोड और मिंटो ब्रिज जैसे वीवीआईपी इलाकों में भी जमीन दी गई। इसके बाद कनॉट प्लेस, अशोक रोड और मथुरा रोड पर भी जमीन दी गई।
अमिश देवगन ने सवाल उठाया कि क्या आपने कहीं देखा है कि सरकार में कोई अर्जी लगाएं और एक हफ्ते में उसका रिजल्ट आ जाए, लेकिन वक्फ बोर्ड की अर्जी पर सरकार ने तुरत-फुरत में एक हफ्ते के अंदर यह फैसला ले लिया। अमिश देवगन ने इन संपत्तियों की कीमत 120 करोड़ रुपये से 150 करोड़ रुपये होने का अनुमान लगाया है।
अमिश देवगन ने सवाल उठाते हुए कहा कि ऐसा कभी हुआ है कि आप एक अर्जी लगाएं और मात्र एक हफ्ते में उसका रिजल्ट आ जाए। क्या ये तुष्टिकरण की पराकाष्ठा थी? इस पर गंभीर सवाल खड़े होंगे। अमिश देवगन ने अपने शो में इस शासनादेश की कॉपी भी दिखाई और कहा कि इसमें पूरा विवरण है कि दिल्ली में कहां-कहां पर और कितनी प्रॉपर्टी दिल्ली वक्फ बोर्ड को दी गई।
यही नहीं, अमिश देवगन ने 1995 में तत्कालीन पीवी नरसिम्हा राव की सरकार का जिक्र करते हुए बताया कि कैसे इस एक्ट को अमलीजामा पहनाया गया। उन्होंने कहा कि 1995 में इस वक्फ एक्ट को पूरे एक्शन के साथ लाया गया। इस वक्फ एक्ट के सेक्शन 40 के अनुसार किसी संपप्ति को वक्फ घोषित करने का अधिकार दिया गया। यानी यदि किसी संपत्ति पर वक्फ बोर्ड अपना दावा कर देता है तो दूसरे पक्ष को अपना मालिकाना हक साबित करना होगा। इस एक्ट के सेक्शन 54 के तहत वक्फ बोर्ड डीएम के जरिये संपत्ति से अतिक्रमण हटवा सकता है। यही नहीं, सेक्शन चार और पांच में यह भी कहा गया है कि वक्फ की संपत्ति का सर्वे राज्य सरकार के खर्चे से होगा। अमिश देवगन के अनुसार, उस समय किसी ने भी इस एक्ट को लेकर सवाल खड़े नहीं किए। अब जब सर्वे की बात हो रही है तो इसका विरोध हो रहा है।
‘आर-पार’ के इस एपिसोड को आप यहां देख सकते हैं।
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