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OTT पर लाइव टीवी चैनलों के प्रसारण से DPOs चिंतित, MIB से करेंगे हस्तक्षेप की मांग
डिस्ट्रीब्यूशन प्लेटफॉर्म ऑपरेटर्स जल्द ही सूचना-प्रसारण मंत्रालय से संपर्क करने की योजना बना रहे हैं, ताकि OTT प्लेटफॉर्म्स पर लाइव टीवी चैनलों के प्रसारण को रोकने के लिए एक एडवाइजरी जारी की जा सके।
समाचार4मीडिया ब्यूरो 2 days ago
अदिति गुप्ता, असिसटेंट एडिटर, एक्सचेंज4मीडिया ग्रुप ।।
डिस्ट्रीब्यूशन प्लेटफॉर्म ऑपरेटर्स (DPOs) जल्द ही सूचना और प्रसारण मंत्रालय (MIB) से संपर्क करने की योजना बना रहे हैं, ताकि OTT प्लेटफॉर्म्स पर लाइव टीवी चैनलों के प्रसारण को रोकने के लिए एक एडवाइजरी जारी की जा सके। घटनाक्रम से जुड़े सूत्रों के अनुसार, इस अनुरोध का मसौदा लगभग तैयार है और जल्द ही इसे मंत्रालय के पास भेजा जाएगा।
OTT पर लाइव टीवी: केबल और DTH के लिए खतरा
एक सीनियर इंडस्ट्री एक्सपर्ट ने कहा, "OTT प्लेटफॉर्म्स पर टीवी चैनलों के प्रसारण से केबल और DTH इंडस्ट्री पर बुरा असर पड़ रहा है।"
इंडस्ट्री के अंदरूनी सूत्रों के अनुसार, OTT सेवाओं से मिल रही चुनौती के कारण पारंपरिक केबल और DTH सेवाओं का अस्तित्व खतरे में है, जोकि चिंता का विषय है।
घट रहे हैं DTH सब्सक्राइबर्स
2021 से DTH सर्विस प्रदान करने वाली चार प्रमुख कंपनियों के सब्सक्राइबर्स की संख्या में 7.6 मिलियन की गिरावट आई है। टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (TRAI) की भारतीय टेलीकॉम सेवाओं की वार्षिक प्रदर्शन रिपोर्ट 2023-2024 के अनुसार, 31 मार्च 2024 तक DTH प्रदाताओं के एक्टिव पे सब्सक्राइबर्स की संख्या 61.97 मिलियन थी, जबकि 2021 में यह संख्या 69.57 मिलियन थी। यह गिरावट लगातार जारी है, जो पारंपरिक DTH इंडस्ट्री के लिए चिंता का विषय है।
यह गिरावट पिछले कुछ वर्षों में लगातार बनी हुई है। मार्च 2021 में सब्सक्राइबर्स बेस 69.57 मिलियन था, जो मार्च 2022 तक घटकर 66.92 मिलियन हो गया और मार्च 2023 तक और गिरकर 65.25 मिलियन हो गया। 31 मार्च, 2024 तक, एक्टिव सब्सक्राइबर्स की संख्या 61.97 मिलियन थी। हालांकि इन आंकड़ों से पता चलता है कि डीटीएच सेक्टर में गिरावट का जारी है।
DTH मार्केट में हिस्सेदारी
31 मार्च 2024 तक, टाटा प्ले लिमिटेड ने कुल एक्टिव DTH सब्सक्राइबर्स में 32.53% हिस्सेदारी के साथ सबसे बड़ी हिस्सेदारी प्राप्त की है। इसके बाद भारती टेलीमीडिया लिमिटेड 28.45% हिस्सेदारी के साथ दूसरे स्थान पर है। डिश टीवी इंडिया की हिस्सेदारी 20.46% और सन डायरेक्ट की 18.57% है।
MSOs इंडस्ट्री की स्थिति
31 मार्च 2024 तक, देश में 880 मल्टी-सिस्टम ऑपरेटर्स (MSOs) सूचना-प्रसारण मंत्रालय में पंजीकृत हैं। इनमें से 11 MSOs और 1 हेडेंड-इन-द-स्काई (HITS) ऑपरेटर के पास एक मिलियन से ज्यादा सब्सक्राइबर हैं। GTPL हैथवे 9.11 मिलियन सब्सक्राइबर्स के साथ सबसे आगे है, जबकि सिटी नेटवर्क्स लिमिटेड और हैथवे डिजिटल लिमिटेड के क्रमश: 5.30 मिलियन और 5.29 मिलियन सब्सक्राइबर्स हैं और वे क्रमश: दूसरे और तीसरे स्थान पर हैं। थमिग्ज़ा केबल टीवी कम्युनिकेशन लिमिटेड के 3.81 मिलियन सब्सक्राइबर्स हैं और केरल कम्युनिकेटर्स केबल लिमिटेड के 3.50 मिलियन सब्सक्राइबर्स हैं।
OTT का बढ़ता प्रभाव
डिजिटलाइजेशन ने पारंपरिक पे टीवी इंडस्ट्री के लिए पहले से ही बड़ी चुनौती पेश की थी और अब OTT प्लेटफॉर्म्स पर लाइव चैनल्स के प्रसारण ने स्थिति और गंभीर कर दी है। ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स पर मौजूद विविध और अनगिनत कंटेंट और ऑन-डिमांड वीडियो देखने की सुविधा ने दर्शकों की टीवी देखने की आदतों को बदल दिया है। खासकर हाल के दिनों में OTT प्लेटफॉर्म्स पर लाइव चैनलों की उपलब्धता ने इस बदलाव को और तेज कर दिया है। इस वजह से केबल ऑपरेटर्स को अपने सब्सक्राइबर्स बनाए रखने और बदलते माहौल में अपनी प्रासंगिकता बचाए रखने को लेकर गंभीर चिंता हो रही है।
एक अध्ययन के अनुसार, 84% घरों में एक से अधिक लोग कनेक्टेड टीवी (CTV) पर अलग-अलग कंटेंट देख रहे हैं। जैसे पहले टीवी पर लोग चैनल बदलते थे, अब वे OTT, गेमिंग और अन्य चैनलों के बीच स्विच करते हैं। इससे OTT सेवाओं ने भी अपने ऑफर्स का विस्तार किया है।
केबल इंडस्ट्री को अब अपनी लंबी अवधि की स्थिरता को लेकर गहरे संदेह हो रहे हैं। इन प्लेटफॉर्म्स के बढ़ते प्रभाव ने दर्शकों को अधिक विकल्प दिए हैं और उन्हें कहीं भी, कभी भी अपने पसंदीदा कार्यक्रम देखने की सुविधा प्रदान की है। इस स्थिति में केबल ऑपरेटर्स खुद को एक ऐसे मोड़ पर खड़ा पा रहे हैं, जहां उन्हें तेजी से बदलते इस परिदृश्य के साथ तालमेल बिठाना होगा, जो उनके लिए एक बड़ी चुनौती है।
एक अन्य एक्सपर्ट ने नाम न बताने की शर्त पर कहा, "स्ट्रीमिंग की ओर बदलाव से सब्सक्राइबर्स के पारंपरिक सेवाओं से दूर होने की संभावना है, जिससे उनके सब्सक्राइबर्स बेस में और कमी आएगी। यह चिंता बताती है कि तत्काल ही कोई आवश्यक कदम उठाया जाए, क्योंकि इससे इंडस्ट्री को बड़ा नुकसान हो सकता है।" उन्होंने कहा, "MIB को प्रस्तुत किया जाने वाला मसौदा इन चिंताओं को रेखांकित करता है।"
वैसे सिर्फ डिस्ट्रीब्यूशन प्लेटफॉर्म ऑपरेटर्स (DPOs) ही नहीं, बल्कि बड़े नेटवर्क्स भी OTT प्लेटफॉर्म्स पर अपनी उपस्थिति से प्रभावित हो रहे हैं। विडंबना यह है कि इन नेटवर्क्स की यू-ट्यूब (YouTube) चैनलों से होने वाली कमाई उनकी पेड टीवी सेवाओं के सब्सक्राइबर्स को कम कर रही है, क्योंकि दर्शक अब कनेक्टेड टीवी पर रिकॉर्ड किया हुआ या पहले से प्रसारित कंटेंट देखना ज्यादा पसंद कर रहे हैं।
हालांकि, ब्रॉडकास्टर्स इस विचार से सहमत नहीं हैं और उनका मानना है कि यह सही नहीं है।
ब्रॉडकास्टर्स का पक्ष
ब्रॉडकास्टर्स इस बात से असहमत हैं कि OTT प्लेटफॉर्म्स पर लाइव चैनल्स दिखाए जा रहे हैं। एक ब्रॉडकास्टर ने बताया, "OTT पर लाइव चैनल्स नहीं दिखाए जा रहे हैं। वहां चयनित कंटेंट दिखाया जा रहा है, जिसके कॉपीराइट ब्रॉडकास्टर के पास हैं। जिसके पास कॉपीराइट है, वह उसे किसी भी प्लेटफॉर्म पर दिखा सकता है और इसे कोई रोक नहीं सकता।"
उन्होंने कहा, "यह पहली बार नहीं है जब केबल ऑपरेटर्स ने यह मुद्दा उठाया है। लेकिन चूंकि सूचना-प्रसारण मंत्रालय अंतर्निहित अधिकारों को समझता है, इसलिए ब्रॉडकास्टर्स को अपने कंटेंट का उपयोग करने से रोक नहीं सकते।''
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