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NTO 2.0 को चुनौती देने वाली याचिकाएं वापस लेंगे ब्रॉडकास्टर्स!
इंडियन ब्रॉडकास्टिंग एंड डिजिटल फाउंडेशन (IBDF) और उसके सदस्यों ने सुप्रीम कोर्ट में नए टैरिफ ऑर्डर 2.0 को चुनौती देने वाली अपनी याचिकाओं को वापस लेने का मन बना लिया है
समाचार4मीडिया ब्यूरो 2 years ago
ब्रॉडकास्टर्स के शीर्ष निकाय इंडियन ब्रॉडकास्टिंग एंड डिजिटल फाउंडेशन (IBDF) और उसके सदस्यों ने सुप्रीम कोर्ट में नए टैरिफ ऑर्डर (NTO) 2.0 को चुनौती देने वाली अपनी याचिकाओं को वापस लेने का मन बना लिया है। एक्सचेंज4मीडिया को इंडस्ट्री के उच्च पदस्थ सूत्रों से मिली जानकारी में इस बात का खुलासा हुआ है।
बताया जा रहा है कि यह वापसी बिना शर्त होगी। वहीं इस बात का भी पता चला है कि भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण यानि कि ट्राई ब्रॉडकास्टर्स सहित सभी स्टेकहोल्डर्स की शिकायतों का ध्यान रखने के लिए एक परामर्श पत्र (consultation paper) जारी कर सकता है।
मिली जानकारी के मुताबिक, आईबीडीएफ और अन्य ब्रॉडकास्टर्स ने याचिकाओं को वापस लेने के लिए सुप्रीम कोर्ट के समक्ष पहले ही आवेदन दायर कर दिए हैं। शीर्ष अदालत द्वारा आज इन आवेदनों पर विचार किए जाने की संभावना है।
वैसे बता दें कि एक्सचेंज4मीडिया ने 10 जनवरी को ही यह खबर दे दी थी कि संशोधित टैरिफ पर विवाद को खत्म करने के लिए ट्राई और ब्रॉडकास्टर्स के बीच बातचीत हुई है।
सूत्रों ने यह भी खुलासा किया कि ट्राई ब्रॉडकास्टर्स की परेशानी को ध्यान में रखते हुए एक परामर्श पत्र जारी करेगा, विशेष रूप से बुके में शामिल करने के लिए चैनल की कीमत घटाकर 12 रुपए करने को लेकर।
हालांकि, ट्राई चाहता था कि आईबीडीएफ सुप्रीम कोर्ट में मामले को वापस ले। लेकिन तब आईबीडीएफ, अपनी ओर से गैर-प्रतिबद्ध था, क्योंकि वह चाहता था कि ट्राई सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष एक आधिकारिक रुख अपनाए।
घटनाक्रम से जुड़े एक करीबी सूत्र के मुताबिक, आईबीडीएफ की सुप्रीम कोर्ट से एक बार नहीं बल्कि दो बार अंतरिम राहत न मिल पाने की असमर्थता ने ही उसे ट्राई के अनौपचारिक आश्वासन को ध्यान में रखते हुए पुनर्विचार करने के लिए प्रेरित किया है।
जुलाई 2021 में, आईबीडीएफ ने बॉम्बे हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था, जिसमें ब्रॉडकास्टर्स द्वारा ट्राई के एनटीओ 2.0 को चुनौती देने वाली याचिकाओं को खारिज कर दिया गया था। अपनी 1137 पन्नों की याचिका में आईबीडीएफ ने कहा था कि बॉम्बे हाई कोर्ट का आदेश गलत है और इसे नहीं रद्द किया जा सकता है।
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