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ब्रॉडकास्टर्स ने ISEC की कार्यप्रणाली को समझने के लिए गठित किया टास्क फोर्स
स्टेकहोल्डर्स की चिंताओं को समझते हुए 'इंडियन ब्रॉडकास्टिंग एंड डिजिटल फाउंडेशन' (IBDF) ने नई कार्यप्रणाली और उसके प्रभाव को समझने के लिए एक टास्क फोर्स का गठन किया है
समाचार4मीडिया ब्यूरो 7 months ago
भले ही ब्रॉडकास्ट ऑडियंस रिसर्च काउंसिल (BARC) वर्तमान में मार्केट रिसर्च सोसाइटी ऑफ इंडिया (MRSI) द्वारा प्रस्तावित नवीनतम सामाजिक-आर्थिक वर्गीकरण प्रणाली (new socio-economic classification system) 'इंडियन सोशियो इकोनॉमिक क्लासिफिकेशन' (ISEC) का मूल्यांकन कर रही है, लेकिन ब्रॉडकास्टर्स नई प्रणाली के नतीजे के बारे में सोच रहे हैं। जो उपभोक्ताओं की पुरानी वर्गीकरण प्रणाली- 'नई उपभोक्ता वर्गीकरण प्रणाली' यानी NCCS को प्रतिस्थापित करना चाहते हैं।
एक टीवी एग्जिक्यूटिव ने नाम न छापने के शर्त पर हमारी सहयोगी वेबसाइट 'एक्सचेंज4मीडिया' को बताया कि स्टेकहोल्डर्स की चिंताओं को समझते हुए 'इंडियन ब्रॉडकास्टिंग एंड डिजिटल फाउंडेशन' (IBDF) ने नई कार्यप्रणाली और उसके प्रभाव को समझने के लिए एक टास्क फोर्स का गठन किया है।
'एक्सचेंज4मीडिया' को मिली जानकारी के मुताबिक, 5 से 6 सदस्यों वाले इस टास्क फोर्स में जनरल एंटरटेनमेंट (GEC), न्यूज, स्पोर्ट्स व अन्य जॉनर का प्रतिनिधित्व करने वाले लोगोंं के शामिल होने की संभावना है।
एक टीवी अधिकारी ने दावा किया, “एंटरटेनमेंट चैनल ISEC को लेकर बहुत चिंतित हैं, क्योंकि उन्हें डर है कि ISEC लागू होने के बाद वे प्रभावित हो सकते हैं। हालांकि, न्यूज व स्पोर्ट्स चैनल फायदे में रहेंगे।”
MRSI ने पिछले सप्ताह अपनी नवीनतम सामाजिक-आर्थिक वर्गीकरण प्रणाली ISEC को अपनाने और लागू करने की घोषणा की, जो महिलाओं की शिक्षा को सामाजिक पूंजी का प्रमुख डिफाइनर मानती है। यह वर्तमान सामाजिक-आर्थिक वर्गीकरण प्रणाली NCCS से पूरी तरह से अलग है, जो कंज्यूमर ड्यूरेबल्स व वेहिकल्स के स्वामित्व पर आधारित है।
टीवी इंडस्ट्री के प्रमुखों का कहना है कि यही बदलाव कुछ जॉनर्स के ब्रॉडकास्टर्स को चिंतित कर रहा है।
टीवी एक्सपर्ट्स का कहना है, “NCCS के आंकड़ों के अनुसार, हर तबके की महिलाएं हिंदी जनरल एंटरटेनमेंट चैनलों पर धारावाहिकों से जुड़ी हुई हैं। जबकि, ISEC शिक्षित महिलाओं के दर्शक पैटर्न को कम शिक्षित लोगों के साथ अलग करेगा, जो जनरल एंटरटेनमेंट चैनलों की वास्तविक दर्शकों की संख्या पर क्लियरिटी दे सकता है।”
चूंकि अधिकांश शिक्षित महिलाएं हाई क्वॉलिटी वाले कंटेंट के लिए ओटीटी की ओर जा रही हैं, जहां तक विज्ञापन का सवाल है, इससे जनरल एंटरटेनमेंट चैनलों की ताकत और कम हो सकती है।
टैग्स एक्सचेंज4मीडिया ब्रॉडकास्ट ऑडियंस रिसर्च काउंसिल शशि सिन्हा मार्केट रिसर्च सोसाइटी ऑफ इंडिया सामाजिक-आर्थिक वर्गीकरण प्रणाली इंडियन सोशियो इकोनॉमिक क्लासिफिकेशन