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जानें, विज्ञापन को लेकर क्या है न्यूज प्लेटफॉर्म्स और ब्रैंड्स के बीच का ‘गणित’
‘एक्सचेंज4मीडिया’ समूह द्वारा 14 जुलाई को ‘बीबीसी ग्लोबल न्यूज वेबिनार’ का आयोजन किया गया।
समाचार4मीडिया ब्यूरो 4 years ago
‘एक्सचेंज4मीडिया’ (exchange4media) समूह द्वारा 14 जुलाई को ‘बीबीसी ग्लोबल न्यूज वेबिनार’ (The BBC Global News webinar) का आयोजन किया गया। ‘Recovery in a Recession’ टॉपिक पर हुए इस वेबिनार में इस बात पर प्रकाश डाला गया कि न्यूज प्लेटफॉर्म्स पर किए गए विज्ञापन ब्रैंड्स के लिए क्यों ज्यादा प्रभावी होते हैं और बेहतर परिणाम देते हैं। इस वेबिनार में ‘बीबीसी ग्लोबल न्यूज’ (BBC Global News) के मैनेजिंग डायरेक्टर (इंडिया) राहुल सूद और रिसर्च डायरेक्टर (Audience & Business Insights) एशिया पैसिफिक, सैली वू (Sally Wu) ने आर्थिक मंदी के दौर में ब्रैंड्स पर न्यूज के प्रभाव को लेकर चर्चा की। इस पूरी कवायद का उद्देश्य ऐसे सवालों के जवाब तलाशना था जो वर्तमान आर्थिक परिदृश्य में मार्केटर्स, एजेंसीज और पब्लिशर्स के लिए काफी महत्वूर्ण हैं। हमारी सहयोगी वेबसाइट ‘एक्सचेंज4मीडिया’ (exchange4media) के सीनियर एडिटर रुहैल अमीन ने इस सेशन को मॉडरेट किया।
इस सेशन में तमाम तथ्यों, आंकड़ों और रिसर्च से दर्शाया गया कि ब्रैंड्स के लिए न्यूज प्लेटफॉर्म्स पर विज्ञापन करना कितना बेहतर है। सूद का कहना था, ‘हालांकि ब्रैंड्स को हार्ड न्यूज कटेंट के साथ जुड़ने को लेकर काफी डर रहता है, लेकिन रिसर्च ने साबित किया है कि हार्ड न्यूज में विज्ञापन को लेकर ऑडियंस उनसे ज्यादा जुड़ता है और इससे मजबूत भावनात्क प्रभाव बनता है, जो एडवर्टाइजिंग कैंपेन में काम आता है और इसके बेहतर परिणाम मिलते हैं।’
न्यूज व्युअरशिप सिर्फ भारत में ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया में महीना दर महीना चरम पर रही है। न्यूज पब्लिशर्स की बात करें तो मार्च में जब देश में महामारी की शुरुआत हुई थी, तो उन्हें इसके नतीजे लगभग तुरंत महसूस हो गए थे। मंदी को देखते हुए ब्रैंड्स अपने मार्केटिंग बजट में कटौती कर रहे हैं ताकि कॉस्ट को कम किया जा सके।
सूद ने कहा, ‘कोविड-19 के कारण करीब 52 प्रतिशत ब्रैंड्स ने अपने विज्ञापन खर्च को आधे साल के लिए टाल दिया है। ऐसे में प्रतिद्वंद्वियों के मुकाबले उनकी ग्रोथ रेट 256 प्रतिशत दर्ज की गई है। और जिन ब्रैंड्स ने मंदी के दौरान अपनी मार्केटिंग को बनाए रखा है अथवा बढ़ाया है, उनके मार्केट शेयर में ऐसे ब्रैंड्स के मुकाबले दोहरी वृद्धि देखने को मिली है, जिन्होंने अपने खर्चों में कटौती की है।’
हालांकि, कंज्यूमर्स अभी भी खर्च कर रहे हैं और इससे मार्केट शेयर बनाने का अवसर मिलता है। पिछली आर्थिक मंदियों पर की गई स्टडी के अनुसार यह देखा गया है कि जो ब्रैंड्स मार्केट में एक्टिव रहते हैं, वे अपने प्रतिद्वंद्वियों के मुकाबले अच्छा बिजनेस करेंगे। लोगों की आदतों में शुमार होने, प्राथमिकताओं और निष्ठा के कारण ऐसे ब्रैंड्स तेजी से रिकवर कर पाते हैं, क्योंकि आने वाले वर्षों में कंज्यूमर्स खर्च बढ़ता है। ऐसे ब्रैंड्स जो मंदी के दौरान निवेश करते हैं, आने वाले वर्षों में उनकी प्रॉफिट ग्रोथ काफी ज्यादा होती है। क्योंकि अन्य ब्रैंड्स मार्केट से बाहर हो जाते हैं और मीडिया दरें घट जाती है, ऐसे में ज्यादा मार्केट शेयर हासिल करना आसान और सस्ता हो सकता है। ऐसे मीडिया पार्टर्स को सेलेक्ट करना जो सिर्फ पहुंच, फ्रीक्वेंसी और कंवर्शेसन के बजाय ब्रैंड के ऑब्जेक्टिव्स को सपोर्ट करते हैं, वे सेल्स में ज्यादा योगदान देंगे।
इस पर जोर देते हुए सूद ने यह भी कहा, ‘ब्रैंड्स मीडिया पर ज्यादा फोकस करते हैं, जिससे ऐसे समय में ज्यादा पहुंच मिलती है। अकेले मीडिया की तुलना में ब्रैंड्स सेल्स में पांच गुना ज्यादा योगदान देते हैं।’ आजकल फेक न्यूज और गलत सूचनाओं की भरमार है और ऐसे में ब्रैंड पर भरोसा करना काफी विश्वसनीय होता है। खासकर अमेरिका और भारत में जिस तरह के माहौल में दोनों देश चल रहे हैं, उसमें हम एक-दूसरे के पर्यायवाची हैं। यदि लोग आप पर भरोसा करते हैं तो वे आपके ब्रैंड्स पर ज्यादा तवज्जो देंगे।
सूद का मानना है कि इसमें कस्टमर का भरोसा और इसके साथ आने वाला भावनात्मक लगाव काफी प्रमुख है, जिससे मार्केटर के किसी भी ब्रैंड को टार्गेट किया जाएगा। इस महामारी से न्यूज चैनल्स के साथ ही ब्रैंड्स को मिले लाभ के बारे में वू ने कहा, ’कोविड के कारण 59 प्रतिशत लोग अब इंटरनेशनल न्यूज का उपभोग कर रहे हैं। भारत और आस्ट्रेलिया जैसे राष्ट्रीय बाजारों में यह बदलाव विश्व स्तर पर और एशिया पैसिफिक के मुकाबले अधिक है। जो लोग लगातार यात्राएं करते हैं वे यात्रा सुरक्षा के टिप्स के लिए न्यूज पर भरोसा करते हैं और महामारी खत्म होने के बाद वे जिस स्थान पर जाना चाहते हैं, वहां के बारे में न्यूज आर्टिकल पढ़ेंगे।’
‘बीबीसी ग्लोबल माइंड’ (BBC global minds) रिसर्च के अनुसार, तीन में दो से ज्यादा ऑडियंस मानते हैं कि एडवर्टाइजिंग के द्वारा न्यूज को सपोर्ट करना चाहिए। 68% निवेशक ऑडियंस इस समय अपने स्टॉक और निवेश में बदलाव करने के बारे में सोच रहे हैं, जबकि सरकार द्वारा जल्द से जल्द लॉकडाउन हटाने की दिशा में 37 प्रतिशत छुटिट्यों के बारे में सोच रहे हैं।
बीबीसी न्यूज प्लेटफॉर्म्स पर एक्टिव 11 कैंपेन बैंकिंग, फाइनेंस, टेल्को, टूरिज्, बी2बी, लग्जरी गुड्स, एयरलाइंस और टेक्नोलॉजी जैसे विभिन्न सेक्टर्स से आए थे। वर्तमान परिदृश्य में बीबीसी प्लेटफॉर्म्स पर विज्ञापन देने वाले ब्रैंड्स के बारे में वू का कहना था, ‘महामारी से पहले जो बेंचमार्क हमने तय किया था, कैंपेन का प्रदर्शन उससे छह से नौ प्रतिशत ज्यादा था। कोविड से पहले की तुलना में ब्रैंड रिकमंडेशन भी काफी ज्यादा हो गई थीं। ’
वू का यह भी कहना था, ‘यह गलतफहमी है कि इस समय विज्ञापन को लेकर ब्रैंड सेफ नहीं हैं। इस समय इस रिसर्च को लेकर एकमात्र कारण यही पता लगाना था कि लोगों को न्यूज कंटेंट मिल रहा है अथवा नहीं। हमें उम्मीद है कि इस स्टडीज को और आगे बढ़ाने के लिए हमारे पास पर्याप्त बजट होगा।’
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