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AI एक टेक्नोलॉजी है, न्यूजरूम में इसका इस्तेमाल कैसे करें यह सोचना होगा: निकुंज गर्ग
एनडीटीवी के सीनियर मैनेजिंग एडिटर निकुंज गर्ग ने कहा कि टेलीविजन के ट्रेड में स्पीड इतनी ज्यादा होती है कि आप आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के प्रभाव आदि के बारे में बहुत अधिक नहीं सोच पाते हैं।
समाचार4मीडिया ब्यूरो 1 month ago
एक्सचेंज4मीडिया (exchange4media) समूह की हिंदी वेबसाइट 'समाचार4मीडिया' (samachar4media.com) द्वारा तैयार की गई 'समाचार4मीडिया पत्रकारिता 40 अंडर 40’ (40 Under 40)' की लिस्ट से 12 अगस्त 2024 को पर्दा उठ गया। दिल्ली में स्थित ‘इंडिया इंटरनेशनल सेंटर’ (IIC) के मल्टीपर्पज हॉल में आयोजित एक कार्यक्रम में इस लिस्ट में शामिल हुए प्रतिभाशाली पत्रकारों के नामों की घोषणा की गई और उन्हें सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने विजेताओं को पुरस्कृत किया।
सुबह दस बजे से 'मीडिया संवाद' कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें विभिन्न पैनल चर्चा और वक्ताओं का संबोधन शामिल था। इसके बाद शाम को पुरस्कार वितरण समारोह का आयोजन हुआ। ‘मीडिया संवाद’ 2024 कार्यक्रम का विषय था- ‘आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का बढ़ता मायाजाल और मीडिया पर इसका प्रभाव’, जिस पर चर्चा की गई। इस शिखर सम्मेलन में एक ही जगह टेलीविजन, प्रिंट व डिजिटल मीडिया से जुड़े तमाम दिग्गज जुटे और इस विषय पर अपने विचार व्यक्त किए।
इस दौरान एनडीटीवी के सीनियर मैनेजिंग एडिटर निकुंज गर्ग ने कहा, 'खुलकर कहूं तो टेलीविजन के ट्रेड में स्पीड इतनी ज्यादा होती है कि आप आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के प्रभाव आदि के बारे में बहुत अधिक नहीं सोच पाते हैं। 2022 में जब हम कोविड से उबर रहे थे, तो उस समय इस बात की बहुत ज्यादा चर्चा थी कि अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस किस तरह से काम करेगा और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से किस तरह का न्यूज रूम्स पर इम्पैक्ट होगा।'
निकुंज गर्ग ने आगे कहा कि हमारे इस प्रोफेशन का जो का सबसे बड़ा मिसफॉर्चून है, हिन्दुस्तान ही नहीं बल्कि ग्लोबल स्तर पर, वह है कि हम लोग लगातार कॉस्ट कट करने के रास्ते ढूंढते रहते हैं, क्योंकि कॉस्ट बियर करने वाला तो कोई है नहीं। सब्सक्राइबर्स को अच्छे जर्नलिज्म के लिए पैसा देने के लिए कन्वेंस करना और फिर अच्छा जर्नलिज्म देना दोनों ही चुनौतीपूर्ण बने हुए हैं। तो मैनेजमेंट भी उसी कॉस्ट इंपैक्ट पॉइंट ऑफ व्यू से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के इंग्रेस को देख रही थी। इसलिए किसी भी रियलस्टिक कन्वर्सेशन और उस समय हो रहे किसी भी रियलस्टिक आइडियाज के संदर्भ में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से मेरा पहला परिचय खबरों के जरिए में हुआ। तो एक बहुत बड़े एक्सपर्ट हैं, जो काफी युवा हैं। शायद उनकी उम्र 30 के आसपास होगी, उनका नाम है वरुण माया। उन्हें ट्वविटर की मैनेजमेंट ने एक प्रेजेंटेशन देने के लिए बुलाया था कि वह बताए कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस क्या है, इसका क्या प्रभाव है, यह न्यूजरूम पर क्या प्रभाव डालेगा, यह किस तरह से काम करेगा, इत्यादि?
निकुंज गर्ग ने आगे बताया कि उन्होंने पूरी प्रेजेंटेशन में बहुत से तथ्यों की जानकारी दी कि कैसे आप इसको आगे यूज कर सकते हैं, किस तरह से आप इसको एनहांस कर सकते हैं, इसके एक्सपीरियंस के बारे में और कुछ बहुत ही सरल उपकरणों का उपयोग करके आप अपनी खबरों को जुटाने के अनुभव को कितना समृद्ध कर सकते हैं आदि के बारे में। जैसे कि किसी भी टेक्नोलॉजी के साथ बीते वर्षों में हुआ है। एडोब आया तो माइक्रोसॉफ्ट एमएस वर्ड से बेटर हो गया, इत्यादि। लेकिन पत्रकार के बारे में उन्होंने बहुत ही प्रासंगिक बात कही जो मुझे दो साल बाद भी याद है और उन्होंने जो कहा वह सच था। उन्होंने कहा था कि आप कुछ भी कर लीजिए लेकिन रिलेशनशिप्स जो जर्नलिस्ट के हैं और जो कॉन्टेक्ट हैं जर्नलिज्म के और जो उस रिलेशनशिप और कॉन्टेक्ट के बेसिस पर वो प्रोड्यूस करते हैं यानी कि लिखते हैं, जो स्रोत आधारित खबरें लाते हैं या जो स्टोरी ब्रेक करते हैं उसको कोई आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस नहीं कर सकता है। यानी इसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से रिप्लेस नहीं किया जा सकता है। सच कहूं तो अभी तक की शायद मेरी वह पहली और आखिरी वर्कशॉप थी।
उन्होंने आगे कहा कि ‘आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का बढ़ता मायाजाल और मीडिया पर इसका प्रभाव’ तो है, देखिए हमें वह समय भी याद है जब घरों में टेलीविजन की भी आलोचना और विरोध होता था। जब टेलीविजन शुरू में आया था तो उसकी आलोचना इस तरह से होती थी कि अब सब लोग सब चीजें देखेंगे घर में बैठकर के और तो हमारे घर की जो वैल्यूज है, वो बिगड़ जाएगी। यह टेलीविजन की आलोचना थी। आज के दिन में टेलीविजन को आप वरदान ही मानते हैं। अब तो घर के हर कमरे में ही टीवी लगा होता है। इसलिए जब भी कोई नई तकनीक आती है, तो हम हमेशा भयभीत हो जाते हैं, फिर हम इसे अपना लेते हैं। मुझे अभी भी याद है कि जब भारत में गूगल मैप्स का पहली बार सर्वे कई पार्ट्स में चल रहा था, तो बहुत ही भ्रम की स्थिति बन गई थी कि हमारे संवेदनशील जानकारियां गूगल मैप्स पर डाल दी जाएंगी, सरकार को इस सर्वे को बैन कर देना चाहिए, सरकार को ये कर देना चाहिए, सरकार को वो कर देना चाहिए इत्यादि और आज देखिए, जो ट्रांसपोर्ट का इस्तेमाल करते हैं, वो इसका प्रयोग खुशी से करते हैं और इसके इस्तेमाल के लिए खुशी से पेमेंट भी करते हैं। इसलिए कहना चाहता हूं कि जब भी कोई नई टेक्नोलॉजी आती है, तो पहले तो वो डराती है और डर स्वाभिक भी है और फिर हम उसका इस्तेमाल करने लग जाते हैं। इसलिए मेरा मानना है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एक टेक्नोलॉजी है और अब समय आ गया है। हमें सोचना होगा कि हमें इसका इस्तेमाल न्यूज प्रोडक्ट के लिए किस तरह से करना है।
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