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फिर गरमाया टीवी चैनल्स पर विज्ञापनों का मामला, TRAI पहुंचा कोर्ट
टीवी चैनलों पर 10+2 ऐड कैप (10+2 Ad Cap) का मामला एक बार फिर सुर्खियों में है
समाचार4मीडिया ब्यूरो 2 years ago
टीवी चैनलों पर 10+2 ऐड कैप (10+2 Ad Cap) का मामला एक बार फिर सुर्खियों में है। दरअसल ऐसा इसलिए क्योंकि टेलिकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया यानी कि ट्राई ने न्यूज चैनल्स द्वारा दिखाए जा रहे अत्याधिक विज्ञापनों के खिलाफ दिल्ली हाई कोर्ट का रुख किया है। ट्राई की इस याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट ने न्यूज ब्रॉडकास्टर्स एसोसिएशन (एनबीए) और केंद्र सरकार से जवाब मांगा है।
ट्राई ने अपनी याचिका में कहा है कि तमाम टेलीविजन चैनल्स पर जरूरत से ज्यादा विज्ञापन दिखाए जा रहे हैं, जिसे लेकर उपभोक्ताओं से उन्हें कई शिकायती पत्र मिले में हैं, जिसमें उपभोक्ताओं ने टीवी देखने के अपने अनुभव को साझा करते हुए उनसे शिकायत की है।
ट्राई ने केबल टेलीविजन नेटवर्क नियम, 1994 के नियम 7(11) को चुनौती देने वाली न्यूज ब्रॉडकास्टर्स एसोसिएशन (एनबीए) द्वारा दायर एक याचिका में हस्तक्षेप आवेदन (intervention application) दायर किया है। एनबीए ने तर्क दिया है कि ये नियम संविधान द्वारा प्रदत्त वाक एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के लिए अधिकारहीन हैं।
बता दें कि केबल टेलीविजन नेटवर्क नियम, 1994 के नियम 7(11) में कहा गया है कि कोई भी टीवी चैनल एक घंटे में 12 मिनट से ज्यादा विज्ञापन नहीं दिखा सकता है। उक्त नियम में कहा गया है, ‘कोई भी कार्यक्रम बारह मिनट प्रति घंटे से अधिक के विज्ञापन नहीं दिखाएगा, जिसमें प्रति घंटे दस मिनट तक वाणिज्यिक विज्ञापन और दो मिनट प्रति घंटे तक चैनल के प्रमोशनल प्रोग्राम शामिल हो सकते हैं।’
ट्राई की ओर से शामिल वकील मनीषा धीर ने चीफ जस्टिस डीएन पटेल व जस्टिस ज्योति सिंह की पीठ को बताया कि यह पहले से ही सेवा की गुणवत्ता के मानक (टेलीविजन चैनल्स में विज्ञापन की अवधि) संशोधन विनियम 2012 और सेवा की गुणवत्ता के मानक (टेलीविजन चैनल्स में विज्ञापन की अवधि) संशोधन विनियमन 2013 को चुनौती देने वाली समान याचिकाओं के एक समूह में एक प्रतिवादी हैं।
ऐड कैप रेगुलेशन को न्यूज ब्रॉडकास्टर्स ने चुनौती दी थी, जिसमें तर्क दिया गया था कि ट्राई के पास टीवी चैनल्स पर विज्ञापनों की समय-सीमा तय करने की पावर नहीं है। विज्ञापन को रेगुलेट करने का मतलब संविधान के अनुच्छेद 19 (1) (ए) के तहत सिर्फ फ्री कमर्शियल स्पीच को ही रेगुलेट करने के अलावा और कुछ नहीं है।
बेंच ने मामले की सुनवाई 23 दिसंबर तक स्थगित कर दी है और इस मामले से जुड़ी पहले से पेंडिंग याचिकाओं को एनबीए की लंबित याचिका के साथ जोड़ दिया और एनबीए और केंद्र से ट्राई के हस्तक्षेप आवेदन का जवाब देने को कहा।
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