होम / विचार मंच / भावुक क्षणों में अरुण जेटली की असल भूमिका भूल गए 

भावुक क्षणों में अरुण जेटली की असल भूमिका भूल गए 

अरुण जेटली को यह हुनर हासिल था कि वे राजनीति में पदार्पण से लेकर आख़िरी सक्रिय साँस तक अपनी असहमति को व्यक्त करते रहे। जब मैं इसे उनके हुनर की तरह याद करता हूँ तो

समाचार4मीडिया ब्यूरो 5 years ago

राजेश बादल, वरिष्ठ पत्रकार।। 

अरुण जेटली चले गए। शनिवार को दिन भर समाचार माध्यमों और राजनीतिक जगत में उनके व्यक्तित्व के अनेक पहलू और कृतित्व के अनेक अनछुए अध्याय सामने आए। मगर भारतीय राजनीति में नेताओं के योगदान को जल्दी ही भूल जाने की आदत के चलते जेटली का भी वास्तविक मूल्यांकन शायद अभी भी नहीं हो रहा है। आम तौर पर जब  सार्वजनिक क्षेत्र के किसी  शिखर पुरुष के होते उसके होने का असल महत्त्व हम नहीं समझते और न समझने की कोशिश करते हैं। जब वह इस लोक से चला जाता है ,तो पता चलता है कि उसके होने का अर्थ क्या था। अरुण जेटली के मामले में कुछ ऐसा ही हुआ है। कई बार परदे के पीछे से इस शख़्स ने क्या रचा है , किसी को नहीं दिखाई दिया। 

मौजूदा दौर में बीजेपी की सियासत यह स्पष्ट संकेत दे रही है कि उसमें असहमति के सुरों को बहुत अधिक स्थान नहीं है। पार्टी के भीतर भी और बाहर भी। अरुण जेटली को यह हुनर हासिल था कि वे राजनीति में पदार्पण से लेकर आख़िरी सक्रिय साँस तक अपनी असहमति को व्यक्त करते रहे। जब मैं इसे उनके हुनर की तरह याद करता हूँ तो यह भी कहता हूँ कि असहमति को कब ,कैसे,कहाँ,किस अवसर पर और किस तरह प्रकट करना है - यह बेजोड़ कला अरुण जेटली को आती थी। आज की राजनीति में अधिकतर राजनेता अपनी असहमति का विकृत संस्करण पेश करते हैं इसलिए वे कभी युवा तुर्क़ तो कभी बाग़ी तो कभी असंतुष्ट क़रार दिए जाते हैं। इसका उनको सियासी नुकसान भी उठाना पड़ता है। झटका खाया व्यक्ति सोचता है कि मैंने तो पार्टी के हित की बात कही थी ,लेकिन मुझे ही दंड भुगतना पड़ा। जेटली के साथ कभी ऐसा नहीं हुआ।

लौटते हैं जेटली की कुछ ऐसी ही असहमतियों पर। मुझे याद है कारगिल से घुसपैठियों को वापस भेज दिया गया था और पाकिस्तान को फिर चोट खानी पड़ी थी। अटल बिहारी वाजपेयी की अनगिनत दलों की साझा सरकार थी। दो हज़ार चार के चुनाव क़रीब थे। भारतीय जनता पार्टी का एक वर्ग और सहयोगी दलों के लोग चुनाव में इसे कारगिल विजय बता कर जीत के ख़्वाब बुन रहे थे।सेना का पूरा सियासी इस्तेमाल शुरू हो गया था। संसद के एक बैठक में तो सेना को भी भरोसे में नहीं लिया गया।  आला फौजी अफसरों से कहा गया कि वे संसद भवन में आकर सांसदों को कारगिल प्रसंग पर विस्तार से बताएँ। सेना को अच्छा लगा कि निर्वाचित जन प्रतिनिधि राष्ट्रीय सुरक्षा पर उसके साथ संवाद चाहते हैं।जब शीर्षस्थ अधिकारी संसद पहुँचे तो उन्हें धक्का लगा। सिर्फ़ एनडीए सांसद बुलाए गए थे।वे अपनी अपनी पार्टियों के झंडे लिए थे और राजनीतिक नारे लगा रहे थे।प्रतिपक्ष के  सांसद नहीं थे। सेनाध्यक्ष जनरल वीपी मलिक ने तो बाक़ायदा सेना के इस राजनीतिक दुरूपयोग का प्रधानमंत्री के समक्ष विरोध किया था।कम लोग यह जानते हैं कि जब संसद में केवल सत्तापक्ष को बुलाने का फ़ैसला लिया गया तो अरुण जेटली पहले व्यक्ति थे ,जिन्होंने अटल बिहारी वाजपेयी से अपनी असहमति दर्ज़ कराई थी और कहा था कि प्रतिपक्ष को चुनाव से पहले एक मुद्दा मिल जाएगा। उस समय प्रमोद महाजन और उनके समर्थकों के आगे जेटली की नहीं चली। विपक्ष ने इस पर आसमान सर पर उठा लिया। इसके बाद पंजाब - हरियाणा में हद हो गई।फ़ौज के अफसरों के चित्र एनडीए दलों की रैलियों के बैनरों में नज़र आने लगे। जनरल वीपी मलिक ने एक बार फिर वाजपेयी जी के सामने अपना विरोध दर्ज़ कराया। एक सुबह अरुण जेटली ने भी सीधे अटलजी से बात की। अटल जी ने कहा ," गंभीर ग़लती हुई है  " लेकिन  स्थानीय नेताओं ने चुनावी माहौल में सेना का सियासी इस्तेमाल जारी रखा। तब तक काफ़ी देर हो चुकी थी। चुनाव के बाद एनडीए लुढ़क गया। जेटली का क़द पार्टी में ऊंचा हो गया। 

गुजरात में सांप्रदायिक चुनाव चरम पर था। अटल बिहारी वाजपेयी मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को हटाने का फ़ैसला ले चुके थे।वे आडवाणी जी की भी नहीं सुन रहे थे। अरुण जेटली और नरेंद्र मोदी की नब्बे के दशक से ही गाढ़ी छनती थी। एक रात अरुण जेटली ने अपने अकाट्य तर्कों से वाजपेयी को चुप कर दिया। नरेंद्र मोदी पद पर सुरक्षित रहे। अगर उस समय अरुण जेटली ने भूमिका न निभाई होती तो 2014 के चुनाव के बाद क्या स्थिति होती। नरेंद्र मोदी संभवतया आज के रूप में न होते। भविष्य के गर्भ में छिपे संकेत पढ़ने में जेटली माहिर थे। 

एक और उदाहरण। नई सदी आ रही थी। सारे संसार के साथ साथ हिन्दुस्तान भी अपने सपनों के साथ इस सदी में दस्तक दे रहा था। पत्रकारिता में क्रांति का एक नया क़दम इस देश ने अरुण जेटली के कारण ही बढ़ाया था। गंभीरता से इस पर विचार हो रहा था कि भारत में निजी क्षेत्र के चैनलों को डी टी एच याने डायरेक्ट टु होम की अनुमति देनी चाहिए अथवा नहीं। एक बार फिर प्रमोद महाजन और उनके समर्थकों ने अटलजी की राय नकारात्मक बना दी थी। वे 1996 का हवाला देते थे ,जब रूपर्ट मर्डोक की कंपनी पर भी बंदिश थी। सुषमा स्वराज की वक़ालत भी काम नहीं आ रही थी। एक बार फिर अरुण जेटली ने मोर्चा संभाला और सुषमा जी के साथ गए।पक्ष में ऐसे ऐसे उदाहरण दिए कि प्रधानमंत्री को सहमत होना पड़ा। आज डीटीएच मार्किट में भारत संसार भर में अव्वल है।  इसके पीछे केवल अरुण जेटली का हाथ था।

दो पीढ़ियों को जोड़ने वाली एक कड़ी के तौर पर काम करना जेटली का दूसरा हुनर था।इन दिनों कमोबेश हर राजनीतिक दल में पुरानी पीढ़ी और नई पीढ़ी के बीच एक द्वंद्व है। इसका पार्टी की सेहत पर बुरा असर होता है। कांग्रेस तो सर्वाधिक शिकार है। अरुण जेटली के रहते शिवराज सिंह चौहान,वसुंधरा राजे सिंधिया ,डॉक्टर रमन सिंह ,उमा भारती और देवेंद्र फडणवीस जैसे द्वितीय पंक्ति के नेताओं को कभी शिखर नेतृत्व के साथ संवाद में परेशानी नहीं होती थी। केवल संवाद ही नहीं , पार्टी के भीतर उनके स्वर को मुखरित करने का काम भी जेटली ने बख़ूबी किया। पिछले छह साल में केंद्रीय नेतृत्व के सामने और प्रादेशिक नेतृत्व का असंतोष भी अरुण जेटली ने जैसा रखा ,वैसा तो ये नेता भी अपना पक्ष नहीं रख सकते थे।अगर तीन मुख्यमंत्रियों की गद्दी उनके चुनाव हारने तक सलामत रही तो इसके पीछे सिर्फ़ अरुण जेटली ही थे। बताने की आवश्यकता नहीं कि बीजेपी को इसका बड़ा फायदा मिला।पत्रकारिता के पंडितों को इस तरह की शख़्सियतों का मूल्यांकन पूरी निरपेक्षता के साथ और बिना भावुक हुए करने की ज़रूरत है। 


टैग्स राजेश बादल अरुण जेटली श्रद्धांजलि
सम्बंधित खबरें

हरियाणा के सबक से तय होगी मोदी-राहुल की अगली सियासत : विनोद अग्निहोत्री

इस बार जब सरकार के सौ दिन पूरे हुए तब सरकारी प्रचार उतने जोर शोर से नहीं हुआ जैसा कि नरेंद्र मोदी के पिछली दो सरकारों के सौ दिन पूरे होने पर हुआ था।

5 hours from now

टाटा ग्रुप का मालिक अब टाटा नहीं! पढ़िए इस सप्ताह का 'हिसाब-किताब'

टाटा ग्रुप की 30 बड़ी कंपनी है। नमक से लेकर सॉफ़्टवेयर बनाता है, चाय बनाता है, कारें बनाता है, हवाई जहाज़ चलाता है। स्टील बनाता है, बिजली बनाता है। ये सब कंपनियां अपना कारोबार ख़ुद चलाती है।

18 hours ago

सरसंघचालक के व्याख्यान में समाज और सामाजिक सुधार पर जोर: अनंत विजय

विजयादशमी पर आरएसएस अपनी स्थापना के शताब्दी वर्ष में प्रवेश कर रहा है। अकादमिक और पत्रकारिता के क्षेत्र में तो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का नाम सुनकर आगबबूला होने वाले लोगों की बड़ी संख्या है।

18 hours ago

चुनावी धन बल और मीडिया की भूमिका से विश्वसनीयता को धक्का: आलोक मेहता

जो मीडिया कर्मी हरियाणा चुनाव या पहले किसी चुनाव में ऐसे सर्वे या रिपोर्ट पर असहमति व्यक्त करते थे, उन्हें पूर्वाग्रही और सत्ता का पक्षधारी इत्यादि कहकर बुरा भला सुनाया जाता है।

18 hours ago

'S4M पत्रकारिता 40अंडर40' के विजेता ने डॉ. अनुराग बत्रा के नाम लिखा लेटर, यूं जताया आभार

इस कार्यक्रम में विजेता रहे ‘भारत समाचार’ के युवा पत्रकार आशीष सोनी ने अब इस आयोजन को लेकर एक्सचेंज4मीडिया समूह के चेयरमैन व एडिटर-इन-चीफ डॉ. अनुराग बत्रा के नाम एक लेटर लिखा है।

4 days ago


बड़ी खबरें

हरियाणा के सबक से तय होगी मोदी-राहुल की अगली सियासत : विनोद अग्निहोत्री

इस बार जब सरकार के सौ दिन पूरे हुए तब सरकारी प्रचार उतने जोर शोर से नहीं हुआ जैसा कि नरेंद्र मोदी के पिछली दो सरकारों के सौ दिन पूरे होने पर हुआ था।

5 hours from now

जस्टिन ट्रूडो कर रहे कूटनीति के सभी सिद्धांतों का उल्लंघन : आदित्य राज

भारत ने कनाडा से उच्चायुक्त को वापस बुला लिया। भारत कनाडा से अपने और कई अफसरों को वापस बुलाएगा। विदेश मंत्रालय ने आरोपों के पीछे ट्रूडो सरकार का पॉलिटिकल एजेंडा करार दिया।

5 hours from now

नेटवर्क18 ग्रुप के निदेशक मंडल की बैठक में लिए गए ये महत्वपूर्ण निर्णय

नेटवर्क18 ग्रुप ने शेयर बाजार को सूचित किया है कि उनके निदेशक मंडल (बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स) ने 12 अक्टूबर 2024 को एक बैठक में कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए हैं।

17 hours ago

प्रसार भारती भर्ती 2024: कॉपी एडिटर पद के लिए आवेदन प्रक्रिया शुरू, जल्द करें आवेदन

प्रसार भारती ने कॉपी एडिटर के पद पर भर्ती के लिए अधिसूचना जारी की है। योग्य उम्मीदवारों से इस पद के लिए पूर्णकालिक अनुबंध के आधार पर आवेदन आमंत्रित किए जा रहे हैं।

7 hours ago

'We Women Want' के इस मंच पर महिलाओं की उपलब्धियों को मिलेगी नई पहचान

दिल्ली में हो रहे ‘वी वीमेन वांट’ (We Women Want) के वार्षिक फेस्टिवल और अवॉर्ड्स में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी मुख्य अतिथि होंगे, जबकि दिल्ली की सीएम आतिशी विशिष्ट अतिथि के रूप में शामिल होंगी।

9 hours ago