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'यह संपादक छपने से पहले अपने चपरासी को संपादकीय पढ़ाते थे'
पिछले 27 साल से मराठी दैनिक अखबार 'नवाकाल' के संपादक की जिम्मेदारी निभा रहे थे
समाचार4मीडिया ब्यूरो 4 years ago
वरिष्ठ मराठी पत्रकार नीलकंठ खाडिलकर का शुक्रवार तड़के निधन हो गया। 85 वर्षीय खाडिलकर कुछ समय से बीमार थे। उन्होंने मुंबई के उपनगर बांद्रा स्थित एक निजी अस्पताल में आखिरी सांस ली। खाडिलकर पिछले 27 साल से मराठी दैनिक अखबार 'नवाकाल' के संपादक की जिम्मेदारी निभा रहे थे।
खाडिलकर के निधन पर 'एनडीटीवी इंडिया' में कार्यरत पत्रकार सुनील सिंह ने उन्हें अपनी श्रध्दांजलि देते हुए लिखा है, 'नीलकंठ खाडिलकरजी से (जिनका आज देहांत हो गया) ‘नवाकाल’ के दफ्तर में एक-दो बार मिलने का मौका मिला था। अक्सर वह अपना संपादकीय लिखकर छपने से पहले अपने चपरासी मधु (मुझे यही नाम याद है) और आर्टिस्ट को पढ़ने के लिए देते थे, उनकी राय लेते थे। फिर छापते थे। ऐसा वह आम आदमी की रुचि जानने के लिए करते थे।'
सुनील सिंह के अनुसार, 'शायद यही वजह थी कि उन दिनों उनका संपादकीय आम जनमानस में बेहद लोकप्रिय था। सिर्फ संपादकीय के बल पर अखबार सर्कुलेशन में नंबर 1 पर था। इसलिए उन्हें अग्रलेख का बादशाह कहा जाता था। ऐसे अनोखे संपादक को शत-शत नमन। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति दे।'
बता दें कि नीलकंठ खाडिलकर ने ‘प्रैक्टिकल सोशलिज्म: म्यूजिंग्स फ्रॉम ए टूर ऑफ रशिया’ समेत कुछ किताबें भी लिखीं हैं।
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