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Exit Poll तो आपने खूब देख लिए, अब पढ़िये ये मजेदार विश्लेषण
चुनाव को लेकर सोशल मीडिया पर भी क्रिएटिविटी की बहार
समाचार4मीडिया ब्यूरो 5 years ago
प्रमिला दीक्षित
वरिष्ठ पत्रकार
‘शुरू करो एक्ज़िट पोल, लेकर प्रभु का नाम, समय बिताने के लिए करना है कुछ काम....म...म से। म से मोदी.....द से दोबारा मोदी! कुछ भी कर लो, लेकिन आएगा तो मोदी ही! कुल मिलाकर इसी थीम पर हर एग्ज़िट पोल ने नतीजा दिखाया. अब चूंकि बात एक ही है और एक्सक्लूसिव या सबसे पहले भी कहलानी है, सो हर चैनल ने अपना-अपना कोडवर्ड अलग रखा। ‘आजतक’ ने उसे सबसे चौंकाने वाले नतीजे कहा, ये अलग बात है पिछले दिनों ‘आजतक’ के तेवर जो रहे हैं, वो खुद ही इससे चौंक गए होंगे। लेकिन भव्य सेट से एकदम संजय लीला भंसाली टाइप माहौल कैसे तानना है ‘आजतक’ जानता है, इसीलिए कभी मैदान में दौड़ते घोड़े और कभी सुपर मारियो की तर्ज़ पर कूदकर आते राहुल-मोदी के कार्टून, एग्ज़िट पोल में दिलचस्पी न रखने वालों को भी थोड़े समय तो बाँध ही रहे होंगे।
इलेक्शन मतलब ‘एबीपी न्यूज़’ कहने वाले ‘एबीपी’ ने भी विशेषज्ञों की अलग-अलग रेजींमेंट बुला रखी थी और काउंट डाउन चलाकर ठीक छह बजे दर्शकों के लिए कूच कर दिया। एबीपी ने चुनाव नतीजों और कवरेज में पिछले कई वर्षों में एक पहचान ज़रूर बनाई है, लेकिन हाल-फ़िलहाल उसका वही हमेशा वाला फ़ॉर्मैट अब थोड़ा उबाने लगा है।
‘एनडीटीवी’ को आप लाख बायस्ड समझें, लेकिन उन्होंने अपने अलावा हर चैनल का एग्ज़िट पोल दिखाया, बीच-बीच में-ये नतीजे नहीं हैं, कहकर मरहम भी लगातार लगाया। रवीश कुमार हमेशा की तरह मोदी के साथ गोदी पर पूरा ज़ोर दिए रहे, ये कहकर कि अगर नतीजे वैसे ही आते हैं, जैसे एग्ज़िट पोल हैं तो कुछ एंकर्स और मीडिया मालिकों को भी मंत्री पद दिया जाना चाहिए। अगर यही रवायत रहनी है तो तैयार रहिए, कुछ एंकर राहुल गांधी के बग़ल में बैठकर विपक्ष की प्रेस कांफ्रेंस भी करते दिखाई दिया करेंगे।
आज फिर ‘ज़ी’ ने की तमन्ना है। कहते हैं किसी नतीजे को दिल से चाहो तो सारे एग्ज़िट पोल उससे मिलाने में जुट जाते हैं, ‘जी’ देखकर कुछ ऐसा ही फ़ील आ रहा था, जहाँ चैनल का पूरा ज़ोर अपना एग्ज़िट पोल दिखाने से ज़्यादा दूसरों के एग्ज़िट पोल का DNA टेस्ट करने के प्रचार पर था।
‘आजतक’ के घोड़े जब तक दौड़ते, ‘रिपब्लिक भारत’ सरकार बना चुका था और शान से ‘तक वाले चैनल कहां रह गए’ कह-कहकर नंबर वन या गुप्त दौड़ के लिए अपना दावा पेश करता रहा। ‘न्यूज़ नेशन’ ने दीपक चौरसिया के आने के बाद एक बार फिर से मार्केट में अपनी मौजूदगी दर्ज कराने की कोशिश की है। वैसे भी प्रधानमंत्री का जो इंटरव्यू सबसे ज्यादा रडार पर रहा, वो दीपक चौरसिया ने ही लिया था।
बाकी रही राहुल गांधी के इंटरव्यू की बात, मेरा पर्सनल फेवरेट वो ‘आँखों की ग़ुस्ताख़ियां माफ हों’ वाला था। ख़ैर मोदी जी की माया मोदी जी ही जानें। हर चरण के लिए उनके तरकश में नया तीर था। आख़िरी में उन्होंने साधना से जो साधा है, उन्हें ‘ द मॉन्क हू ध्वस्त एवरीबडीज़ तैयारी’ का ख़िताब तो बनता ही है।
पूजा अर्चना की इन विधियों और प्रणालियों का इतिहास में भी महत्व रहा है, फ़ौरन सोशल मीडिया पर इसके सुबूत मिल गए। सुबूत से याद आया, सोशल मीडिया पर अरविंद केजरीवाल का ‘मौत से डर लगता है साहब’ टाइप बयान ‘मोदी जी मुझे मरवाना चाहते हैं’ बहुत चर्चा में रहा। ये अलग बात है कि इस बयान की मौज सबने ली, संज्ञान किसी ने नहीं लिया।
एग्ज़िट पोल से भक्तों में उत्साह है और उन पत्रकारों में रोष और दुख, जिन्हें राहुल गांधी अपनी ओर से नरेंद्र मोदी की प्रेस कांफ़्रेंस में भेजना चाहते थे। इंडिया शाइनिंग के जले इस एक्ज़िट पोल पर फूंक-फूंक के प्रतिक्रिया दे रहे हैं, हालांकि खुशी फिर भी छिपाए नहीं छुप रही।
सोशल मीडिया पर क्रिएटिविटी की बयार है। लोग कह रहे हैं हलवाई सौ प्रतिशत एडवांस पेमेंट पर ही कांग्रेसियों के लड्डू का आर्डर ले रहे हैं। मेरी तो सलाह है पार्टियां लड्डू की बजाय पटाखे ले लें। जीत गए तो कांफिडेंस के साथ कह सकते हैं ‘हम अपनी जीत के लिए आश्वस्त थे’ वरना वर्ल्ड कप तो नज़दीक है ही!
(ये लेखक के निजी विचार हैं।)
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