होम / विचार मंच / पूरन डावर ने उठाया सवाल- आखिर कौन जिम्मेदार है उद्योगों की दुर्दशा का
पूरन डावर ने उठाया सवाल- आखिर कौन जिम्मेदार है उद्योगों की दुर्दशा का
मैन्युफ़ैक्चरिंग सेक्टर में गिरावट थम नहीं रही, सरकार लगातार अनेको अनूठी योजनाएं-मेक इन इंडिया, स्टार्ट अप, मुद्रा योजना जैसे उपायों में जुटी हुई है
समाचार4मीडिया ब्यूरो 5 years ago
पूरन डावर
मैन्युफ़ैक्चरिंग सेक्टर में गिरावट थम नहीं रही, सरकार लगातार अनेको अनूठी योजनाएं-मेक इन इंडिया, स्टार्ट अप, मुद्रा योजना जैसे उपायों में जुटी हुई है। सरकार की प्रतिबद्धता लगातार स्किल डिवेलपमेंट के क्षेत्र में प्रयास, अलग से कौशल विकास मंत्रालय के साथ एमएसएमई, एचआरडी, उद्योग मंत्रालय सभी के अथक प्रयासों से नजर आ रही है, पर उधर अमेरिका चीन ट्रेड वार के कारण बढ़ती सम्भवनाएं, अथाह विश्व बाज़ार में बढ़ती हुयी देश की मांग। अकेले अमेरिका विश्व के उपभोक्ता बाज़ार में 24% हिस्सेदारी रखता है। भारत को विश्व की उत्पादन फ़ैक्टरी के रूप में देख रहा है, भारत में चीन का विकल्प तलाश रहा है। प्रधानमंत्री मोदी ने भारत को नए भारत के रूप में पेश किया है, साख बनाने के प्रयास किये है। जिस देश को मात्र ताजमहल के नाम से जाना जाता था, अब 5 साल में विश्व की सर्वाधिक उभरती अर्थव्यवस्था के रूप में देखा जाने लगा है अपना ये देश।
विश्व के विकास की परिकल्पना भी करें। विकास की गति ऊपर से नीचे की ओर आ रही ही, चीन के बाद हमारी बारी है। कुछ समय पहले लगता था कि हमारी बारी कहीं खो न दें लेकिन अब उम्मीद लगने लगी है बारी नहीं जायेगी।
उद्यमियो, सरकार और विशेषतौर पर देश की नौकरशाही जिस पर सारा नियमन एवं प्रबंधन है। ऐसे मे बहुत अहम है कि सबको मानसिकता में बदलाव लाना होगा।
उद्यमियों को सरकार से अपनी अपेक्षाओ को सीमित करना होगा, अपने मस्तिष्क में स्पष्ट भरना होगा उद्योग उद्यमी बनाते है न कि सरकार। उद्योग बैसाखियो पर नहीं चल सकते। मात्र सब्सिडी पर आधारित उद्योग घातक हैं। उद्योग लगाने से पूर्व उसकी व्यवहारता को समझना ज़रूरी है।
उद्यमियो को ‘बॉटम लाइन’ के बजाय ‘टॉप लाइन’ पर ध्यान देना होगा। अपनी सोच बड़ी करनी होगी, लाभ में भी पारदर्शिता लानी होगी। यह तय करना है कि आप 200 रुपये का व्यापार कर 100 रुपये कमाने से संतुष्ट होते है या फिर 2000 रुपये का व्यापार कर 200 रुपये कमाकर। 100 रुपये की स्थिति आरामदायक हो सकती है लेकिन ऐसी मानसिकता के साथ आप आगे नहीं बढ़ सकते।
देश को आवश्यकता रोज़गार की है। आपको बड़ी छलांग लगानी होगी। आप तकनीक की ओर नहीं बढ सकते जब तक कि आप बड़ा टर्नओवर न करें। आप 1 करोड़ का व्यापार कर 20 लाख कमा सकते हैं। 20 लाख कमाकर आप मारुति ख़रीद सकते हैं मर्सेडीज़ नहीं। 10 करोड़ से 50 लाख भी कमायेंगे तो बढ़ते टर्नओवर से आप एडवांस्ड तकनीक भी ख़रीद सकते हैं।
उद्योगों को सतत विकास के लिये आवश्यक पर्यावरण से लेकर, सामाजिक सुरक्षा, औद्योगिक सुरक्षा, अग्नि सुरक्षा, विद्युत सुरक्षा, श्रम नियमो का यथासंभव पालन ही आपको आगे ले जा सकते हैं..
अपने निवेश को रियलस्टेट से हटा कर उद्योगों में लगाना होगा। उद्योगों की दर को धकेलने में रियलस्टेट का बड़ा हाथ है।
नौकरशाही को अनुपालन नियमो का समग्र रूप में पवित्रता से पालन कराना होंगा। बाल की खाल निकालने की प्रवृति के बजाए उपलब्ध संसाधनों और परिस्थितियों के अनुसार अनुपालन में सहयोग कर ही बेहतर भविष्य निर्माण हो सकेगा।
सरकार से सुरक्षित औद्योगिक वातावरण की अपेक्षा है। सही मायने में ‘सिंगल विंडो’ के जरिए सारे अनुपालन होने चाहिए। पर्यावरण, सामाजिक सुरक्षा, विद्युत सुरक्षा, अग्नि सुरक्षा जैसी सुविधायों के लिए स्वतंत्र संस्थाओं द्वारा कार्यान्वयन किया जाए, इसमें सरकार क़तई नहीं हो। नौकरशाही के हटते ही अनुपालन स्वतः हो जाएगा। स्वतंत्र संस्थाएं समयबद्ध तरीक़े से अनुपालन कराएगी।
उद्योगों को बढ़ाना है तो संवेदनशील टीटीज़ेड सहित किसी भी क्षेत्र में उद्योगों पर प्रतिबंध क़तई नहीं लगाना चाहिए। सुदृढ़ पर्यावरण अनुपालन, वायु प्रदूषण एवं डिस्चार्ज मीटर अनिवार्य किए जा सकते हैं जो सीधे विभाग से जुड़े हों।
मैन्युफ़ैक्चरिंग सेक्टर, बैंकिंग की स्थापना, करदाताओं की सामाजिक सुरक्षा योजनाएं आदि पर फोकस किया जाना चाहिए क्योंकि यदि रोज़गार देने वालों की ही सामाजिक सुरक्षा नहीं होंगी तो श्रमिकों की सामाजिक सुरक्षा कैसे कर पायेंगे।
कौशल विकास को एक आंदोलन के तौर पर शिक्षा का मुख्य भाग बनाना होगा। देश का हर व्यक्ति निपुण हो इसलिएक्लस्टर सेंट्रिक शिक्षा की शुरुआत करनी होगी। लेदर, ओटोमोबाइल, टैक्टाइल जैसे क्षेत्रों के लिए प्रैक्टिकल एजुकेशन, पर्यटन की उत्तम शिक्षा और विशुद्ध ग्रामीण क्षेत्रों में खेती और खेती उत्पादों की शिक्षा आदि की व्यवस्था। शिक्षा को रोजगार का मुख्य भाग बनाने की आवश्यकता है। उद्यमियों को भी मानसिकता बनानी होगी कोई भी कार्य छोटा नहीं है, वही जब पढ़ लिख कर व्यवस्थित रूप से किया जाता है तो एक सफल मॉडल बन जाता है। हलवाई कैटर्स हो जाता है, सफाई-धुलाई वाले होमकीपिंग बन जाने हैं, रसोइया शेफ बन जाता है आदि।
(लेखक स्वयं एक बड़े व सफल उद्यमी रहे हैं)
टैग्स पूरन डावर आर्थिक सुधार