होम / विचार मंच / क्यों इन मुद्दों को अपने डिबेट शो का हिस्सा नहीं बनाते हैं न्यूज चैनल्स?

क्यों इन मुद्दों को अपने डिबेट शो का हिस्सा नहीं बनाते हैं न्यूज चैनल्स?

दिग्गजों की सलाह को अनदेखा करना अज्ञान या गफलत की वजह से नहीं हो रहा है, इन्हें जानबूझ कर इसलिए इग्नोर किया जा रहा है ताकि सही स्थिति देश के लोगों के सामने न जा पाए

संतोष भारतीय 5 years ago

संतोष भारतीय, वरिष्ठ पत्रकार।।

मैं इस आशा से यह लिख रहा हूं, ताकि इन विषयों की सत्यता मेरे साथी खासकर पत्रकार साथी बता सकें कि मैं कितना सही लिख रहा हूं और कितना गलत लिख रहा हूं। हालांकि मैं जानता हूं कि मैं खुद को उस वर्ग के निशाने पर ला रहा हूं, जिसने इस कहावत को सत्य साबित किया है कि सावन के अंधे को हमेशा हरा ही हरा सूझता है। जिस-जिसकी आंखें अच्छे भविष्य का सपना देखते हुए या उसे सही मानते हुए बंद हुई हैं, वह मेरे आज के विषय को अच्छे भविष्य की आलोचना के रूप में देखेगा, लेकिन इस खतरे को उठाकर भी मैं कहना चाहता हूं कि अगर मुझे मेरे पत्रकार मित्र बता सकें कि मैं गलत विषय उठा रहा हूं तो मैं उनका आभारी रहूंगा।

आज जब भी हम न्यूज चैनल के प्रोग्राम देखते हैं, खासकर शाम 4:00 बजे से रात के 10:00 बजे तक के प्रोग्राम, तब लगता है कि हमारे न्यूज चैनल के विषयों का चयन करने वाले भारत में नहीं, बल्कि कहीं बाहर रहते हैं। अब विज्ञापन के द्वारा कपड़ा, धागा, चाय ऑटो कंपनियों को देश के लोगों को यह बताना पड़ेगा कि उनका उद्योग इतनी खस्ता हालत में पहुंच गया है कि जिसे बर्बाद कहना भी स्थिति की भयावहता को पूरा नहीं दर्शाता।

ऑर्डिनेंस फैक्ट्रियों के 85 हजार से ज्यादा कर्मचारी अभी हड़ताल पर चले गए थे, लेकिन हमारे पत्रकार साथियों ने देश को यह नहीं बताया यह मजदूर वेतन-भत्ते या सुविधाओं के लिए हड़ताल पर नहीं गए थे, ये तो सरकार से यह कह रहे थे कि ऑर्डिनेंस सेक्टर को प्राइवेट या कारपोरेट क्षेत्र में नहीं दिया जाए, जिसकी कि सरकार योजना बना रही है। रेलवे के मजदूर हड़ताल पर जाने वाले हैं, क्योंकि उनकी मांग है कि रेलवे को निजी क्षेत्र में न दिया जाए, क्योंकि इससे करोड़ों लोगों की नौकरियां चली जाएंगी।

बीएसएनल, जेट एयरवेज के बहुत से कर्मचारियों की नौकरियां जा चुकी हैं। डॉलर की तुलना में रुपया 73 क्रॉस कर गया है, सोना 40000 छू रहा है। इतना ही नहीं, बैंकिंग सेक्टर बुरी तरह लड़खड़ा रहा है। न जाने कब बैंक देश के लोगों को धोखा देकर उनकी बचत का पैसा वापस करने से साफ मना कर दें। सेना में पोस्ट कम कर दी गई हैं।

क्या इनके ऊपर न्यूज चैनल्स पर चर्चा नहीं होनी चाहिए? जैसे जेट एयरवेज बंद हो गई, एयर इंडिया 7600 करोड़ के घाटे में है, इसे बेचने की एक बार कोशिश हो चुकी है, लेकिन कोई खरीददार नहीं मिला। दोबारा इसकी कोशिश में भारत सरकार की टीम दुनियाभर में घूम रही है।  बीएसएनल में 54000 नौकरियां खतरे में हैं, भारत की शान रहे हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड जिसे एचएएल के रूप में जानते हैं, उसके पास अब कर्मचारियों को वेतन देने के लिए भी पैसा ही नहीं है, ऑटो इंडस्ट्री संकट में है। 12.76 लाख घर देश के 30 बड़े शहरों में खड़े हैं, लेकिन उनका कोई खरीदार नहीं है। एयरसेल कंपनी खत्म हो चुकी है, जेपी ग्रुप डूबने के कगार पर है।

भारत सरकार को सबसे ज्यादा मुनाफा देने वाली ओएनजीसी और पंजाब नेशनल बैंक लगातार घाटे में जा रहा है। बैंकों ने 2.4 लाख करोड़ माफ कर दिया है, वह भी सिर्फ कुछ औद्योगिक घरानों का, सारे बैंक लगातार घाटा दे रहे हैं। देश के ऊपर 500 बिलियन से ज्यादा उधार है, रेलवे बेचने की पूरी तैयारी सरकार कर चुकी हैं और मौजूदा रेल मंत्री इसकी भिन्न-भिन्न योजनाएं बना रहे हैं। लाल किले की तरह पुरातत्व की नजर से सभी ऐतिहासिक इमारतों को किराए पर देने की पूरी योजना सरकार के पास तैयार हैं, देश की सबसे बड़ी कार बनाने वाली कंपनी मारुति ने अपना उत्पादन घटा दिया है, देश की कारों में लगने वाले सामान फैक्ट्रियों में पड़ा हुआ है जिसकी कीमत लगभग 55000 करोड रुपए है, इनका कोई खरीददार नहीं है,

सारे देश के बिल्डर तनाव के शिखर पर हैं और उनमें से कई ने आत्महत्या भी कर ली है। इसका कारण है कि इनके पास कोई खरीदार नहीं है, इसलिए कंस्ट्रक्शन ठप पड़ा है और जीएसटी की वजह से कीमतें 18 से 28 परसेंट बढ़ गई हैं। ऑर्डिनेंस फैक्ट्री बोर्ड के तहत आने वाली कंपनियों के डेढ़ लाख से ज्यादा कर्मचारियों के परिवार पर मानसिक दबाव और आर्थिक दबाव बढ़ गया है, क्योंकि ऑर्डिनेंस फैक्ट्री बोर्ड यानी ओएफबी रक्षा मंत्रालय की प्रोडक्शन कंपनी है, जो रक्षा सामान बनाती है।

देश मैं बेरोजगारी 45 साल में आज सबसे ज्यादा है। पांच हवाई अड्डे अदानी साहब को बेच दिए गए हैं। विडियोकॉन बैंक करप्ट हो गया है, टाटा डोकोमो बर्बाद हो गया है, कैफे कॉफी डे के मालिक वीजी सिद्धार्थ ने आत्महत्या कर ली है। लोग कह रहे हैं कि हजारों फैक्ट्रियां बंद हो गई हैं और सरकार की नीतियों ने सरकारी नौकरियों के दरवाजे बंद कर रखे हैं। प्राइवेट नौकरियों के रास्ते पर सरकार ने कांटे बिछा दिए हैं और खामियां खड़ी कर दी हैं।

ऊपर से एसबीआई के चेयरमैन रजनीश कुमार का कहना है कि रेट कट की वजह से बैंकों के पास नकदी की कमी नहीं है, लेकिन लोन लेने वालों की संख्या में कमी आ गई है हर कोई लोन लेने से डर रहा है और कर्ज की मांग कमजोर पड़ गई है। मांग कमजोर पड़ने की वजह से उन्होंने जोर दिया है कि अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहन की जरूरत है। परसों रिजर्व बैंक ने भारत सरकार को 1.76 लाख करोड़ रुपए की सहायता दी है। अब इस पैसे को भारत सरकार कहां खर्च करेगी, यह साफ नहीं है। खतरा इस बात का है कि इस पैसे से सरकार के मित्र अदानी और अंबानी के पास यह रकम कहीं ना चली जाए।

रिजर्व बैंक के पुराने गवर्नर रघुराम राजन का कहना है कि अर्थव्यवस्था में लगातार जारी मंदी बहुत चिंताजनक है तथा सरकार को बैंकिंग वित्तीय, ऊर्जा क्षेत्र और गैर बैंकिंग वित्तीय क्षेत्र की समस्याओं को तुरंत हल करना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि निजी क्षेत्र में निवेश को बढ़ाने के लिए नए सुधारों की शुरुआत करनी होगी। एक बात और कही कि जिस तरह जीपीडीपी की गणना की गई है उस पर फिर विचार करना जरूरी है। ऊपर से भाजपा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी का कहना है कि इस हालत के जिम्मेदार पूर्व वित्तमंत्री अरुण जेटली की गलत नीतियां हैं और भारतीय रिजर्व बैंक के चेयरमैन भी इस स्थिति को स्वीकार कर रहे हैं।

उधर इंफोसिस के पूर्व सीईओ मोहनदास पाई कह रहे हैं कि इंडस्ट्री अब और झटके बर्दाश्त नहीं कर सकती। इंडस्ट्री को एक से बढ़कर एक झटके दिए जा रहे हैं। उदाहरण के रूप में वह कहते हैं कि पहले नोटबंदी फिर जीएसटी, आईबीसी, फिर  रेरा की वजह से इंडस्ट्री के सामने मुसीबतें खड़ी हो गई है। एनबीएफसी कंपनियां भी मुसीबत में पड़ गई हैं, बाजार में लिक्विडिटी नहीं है। धंधा करने के लिए पैसा नहीं है, इसलिए अर्थव्यवस्था व उद्योगों को और झटके की जरूरत नहीं है। सरकार को यह समझना चाहिए कि लोगों की क्रय शक्ति समाप्त हो गई है। गांव की इकोनॉमी ध्वस्त हो गई है। शहर भी बर्बादी की राह पर हैं। दूसरी ओर सरकार पर्दा डालने में व्यस्त है, क्योंकि उनकी सोच में एक ही लक्ष्य है हिंदू राष्ट्र बनाना, भले उसके लिए सब कुछ बर्बाद करना पड़े।  यह राम की नहीं रावण की सेना है, जो भेष बदलकर सीता हरण कर ले गई।

इसका उदाहरण पारले जी कंपनी है, जिसने घाटे की वजह से कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया है। क्योंकि ग्रामीण भारत में 5 और 10 रुपए के बिस्कुट भी नहीं बिक रहे। अब मैं कुछ और ऐसे लोगों की सलाह सामने रखना चाहता हूं, जिन्हें न्यूज चैनल अनदेखा कर रहे हैं। अनदेखा करना अज्ञान या गफलत की वजह से नहीं हो रहा है,  इन्हें जानबूझ कर इसलिए इग्नोर किया जा रहा है, ताकि यह स्थिति देश के लोगों के सामने न जा पाए। दुनिया के सामने सब साफ है, बस देश के लोगों को जानकारी न पहुंच पाए, इसके लिए ये न्यूज चैनल अपनी पूरी ताकत लगा रहे हैं।

दीपक पारेख ऐसे व्यक्ति नहीं हैं, जिनकी चेतावनी को अनसुना या अनदेखा कर दिया जाए, वे एचडीएफसी बैंक के चेयरमैन हैं। उन्होंने कहा है कि मंद पड़ रही अर्थव्यवस्था की रफ्तार  और इकोनामी संकट के दौर से गुजर रही है। इस वक्त की सबसे बड़ी आवश्यकता है कि देनदार के विश्वास को बहाल किया जाए।  इसी से हालात सुधरेंगे। अभी बैंक कर्ज देने में हिचक रहे हैं, कुछ ही चुनिंदा लोगों को फंडिंग मिल पा रही है।

बजाज, l&t, महिंद्रा, मारुति सुजुकी, यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस, टाटा स्टील, टाटा मोटर्स, एयरटेल, वोडाफोन, आइडिया, निशान, ऑडी, नेशनल इंश्योरेंस, ओरिएंटल इंश्योरेंस जैसी कई बड़ी कंपनियां इस समय भारी आर्थिक मंदी का सामना कर रही हैं। अकेले ऑटोमोबाइल सेक्टर में पिछले 4 महीनों में 3:30 लाख से ज्यादा लोग नौकरी से हाथ धो बैठे हैं।

कुछ अनुमान भी देखिए, जिनसे भविष्य का अंदाजा बनता है, जिन्हें न्यूज चैनल्स पूरी तरह से नजरअंदाज किए हुए हैं। इंफॉर्मेशन और आईटी सेक्टर ने इस साल अंदाजा लगाया है कि 37% नौकरियों में कमी आ सकती है। एफआईडीए ने बताया है ऑटो सेक्टर में आने वाले कुछ महीनों में 1000000 लोगों की नौकरियां संकट में हैं।

एसबीआई के चेयरमैन का कहना है, ‘मंदी से निकलने में सिर्फ और सिर्फ भगवान का ही सहारा है। मैं रोज सुबह जाता हूं, आसमान की तरफ देखता हूं कि हे परमेश्वर, हमें इस संकट से मुक्ति दिला दे।’ बजाज के एमडी राजीव बजाज ने कहा है कि ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री कोई चाय की दुकान नहीं है, जिसे रातोंरात बंद करके फिर चालू किया जा सके।  देश में 200 से ज्यादा कार शोरूम बंद कर दिए गए हैं, जिससे लगभग 25000 लोगों की नौकरी चली गई है। इसमें वह संख्या शामिल नहीं है, जो कार बनाने का या पूरे ऑटोमोबाइल सेक्टर का सहयोगी सामान बनाने का सेक्टर है, जिससे लाखों लोग एक झटके में सड़क पर आ गए हैं।

बजाज ग्रुप के चेयरमैन राहुल बजाज का कहना है कि ना मांग है और ना निवेश है, तो क्या आसमान से उतरकर विकास आएगा? आरबीआई के गवर्नर ने एक कार्यक्रम में कहा कि अर्थव्यवस्था अनिश्चितता के दौर से गुजर रही है। देश मैं सबसे ज्यादा रोजगार उपलब्ध कराने वाला टेक्सटाइल सेक्टर मंदी की मार झेल रहा है और लाखों लोगों के हाथ से रोजगार चला गया है। गुजरात का हीरा उद्योग विदेशी बाजारों में चमक खो बैठा है।

न्यूज चैनल इस चेतावनी का भी परीक्षण नहीं कर रहे हैं कि जहां 2013-14 में भारतीय अर्थव्यवस्था विश्व की तीन नंबर की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था थी और आज अट्ठारह-उन्नीस में हम विश्व की सातवें नंबर की अर्थव्यवस्था बन गए हैं। क्या न्यूज़ चैनल यह अंदाजा नहीं लगा पा रहे हैं कि भारत आर्थिक तौर पर बहुत ज्यादा कमजोर होता जा रहा है, कहीं मंदी बड़े स्तर पर हमें चपेट में तो नहीं लेती जा रही है।

दूसरी ओर न्यूज चैनल्स देश के सामने अनुच्छेद 370 हटाने के फैसले के पक्ष में जय जयकार कर रहे हैं। हिंदू मुसलमान का सवाल और राम मंदिर का सवाल बहस में बनाए हुए हैं  तथा पाकिस्तान के खिलाफ तत्काल कदम उठाए जाएं और संभव हो तो एंकर्स को जनरल बनाकर और जनता को सीमा पर भेजकर युद्ध कर लिया जाए, जैसा माहौल योजना पूर्वक बना रहे हैं। विकास की और अर्थव्यवस्था की बात करना देश के हित के खिलाफ है, यह महान ज्ञानी और इतिहास को बदलने की ताकत रखने वाले महान शक्तिशाली चैनल इसलिए कहते हैं, क्योंकि वह सबसे बड़ा देशद्रोही काम कर रहे हैं।

दरअसल वे मंदी दिलाने वाले तत्वों के भारत में एजेंट बन गए हैं, यह बेरोजगारों के दुश्मन हैं, जनता के जानकारी पाने के अधिकार को तबाह करने के सबसे बड़े षड्यंत्रकारी हैं  या फिर यह इतने बड़े अज्ञानी हैं कि इन्हें क्या विषय लेना चाहिए, यह पता ही नहीं है  या देश किस स्थिति से गुजर रहा है, इसकी समझ ही नहीं है। शेर याद कीजिए...हर शाख पे उल्लू बैठा है अंजामे गुलिस्तां क्या होगा?

(यह लेखक के निजी विचार हैं)


टैग्स न्यूज चैनल्स संतोष भारतीय जम्मू कश्मीर अनुच्छेद 370 मीडिया कवरेज MEDIA COVERAGE
सम्बंधित खबरें

'S4M पत्रकारिता 40अंडर40' के विजेता ने डॉ. अनुराग बत्रा के नाम लिखा लेटर, यूं जताया आभार

इस कार्यक्रम में विजेता रहे ‘भारत समाचार’ के युवा पत्रकार आशीष सोनी ने अब इस आयोजन को लेकर एक्सचेंज4मीडिया समूह के चेयरमैन व एडिटर-इन-चीफ डॉ. अनुराग बत्रा के नाम एक लेटर लिखा है।

2 days ago

हरियाणा की जीत पीएम नरेंद्र मोदी में नई ऊर्जा का संचार करेगी: रजत शर्मा

मोदी की ये बात सही है कि कांग्रेस जब-जब चुनाव हारती है तो EVM पर सवाल उठाती है, चुनाव आयोग पर इल्जाम लगाती है, ये ठीक नहीं है।

3 days ago

क्या रेट कट का टाइम आ गया है? पढ़िए इस सप्ताह का 'हिसाब-किताब'

रिज़र्व बैंक की मॉनिटरी पॉलिसी कमेटी की बैठक सोमवार से हो रही है। लेकिन बैठक से पहले आयीं ज़्यादातर रिसर्च रिपोर्ट कह रही है कि रेट कट अभी नहीं होगा।

6 days ago

पांच भाषाओं को क्लासिकल भाषा का दर्जा देना सरकार का सुचिंतित निर्णय: अनंत विजय

किसी भी भाषा को जब शास्त्रीय भाषा के तौर पर मानने का निर्णय लिया जाता है तो कई कदम भी उठाए जाते हैं। शिक्षा मंत्रालय इन भाषाओं के उन्नयन के लिए कई प्रकार के कार्य आरंभ करती हैं।

6 days ago

आरएसएस सौ बरस में कितना बदला और कितना बदलेगा भारत: आलोक मेहता

मेरे जैसे कुछ ही पत्रकार होंगे, जिन्हें 1972 में संघ प्रमुख गुरु गोलवरकर जी से मिलने, प्रोफेसर राजेंद्र सिंह जी और के सी सुदर्शनजी से लम्बे इंटरव्यू करने को मिले।

6 days ago


बड़ी खबरें

वरिष्ठ TV पत्रकार अभिषेक उपाध्याय का क्या है ‘TOP सीक्रेट’, पढ़ें ये खबर

अभिषेक उपाध्याय ने अपने ‘एक्स’ (X) हैंडल पर इस बारे में जानकारी भी शेयर की है। इसके साथ ही इसका प्रोमो भी जारी किया है।

17 hours ago

‘दैनिक भास्कर’ की डिजिटल टीम में इस पद पर है वैकेंसी, जल्द करें अप्लाई

यदि एंटरटेनमेंट की खबरों में आपकी रुचि है और आप मीडिया में नई नौकरी की तलाश कर रहे हैं तो यह खबर आपके लिए काफी काम की हो सकती है।

1 day ago

इस बड़े पद पर फिर ‘एबीपी न्यूज’ की कश्ती में सवार हुईं चित्रा त्रिपाठी

वह यहां रात नौ बजे का प्राइम टाइम शो होस्ट करेंगी। चित्रा त्रिपाठी ने हाल ही में 'आजतक' में अपनी पारी को विराम दे दिया था। वह यहां एडिटर (स्पेशल प्रोजेक्ट्स) के पद पर अपनी जिम्मेदारी निभा रही थीं।

1 day ago

’पंजाब केसरी’ को दिल्ली में चाहिए एंकर/कंटेंट क्रिएटर, यहां देखें विज्ञापन

‘पंजाब केसरी’ (Punjab Kesari) दिल्ली समूह को अपनी टीम में पॉलिटिकल बीट पर काम करने के लिए एंकर/कंटेंट क्रिएटर की तलाश है। ये पद दिल्ली स्थित ऑफिस के लिए है।

2 days ago

हमें धोखा देने वाले दलों का अंजाम बहुत अच्छा नहीं रहा: डॉ. सुधांशु त्रिवेदी

जिसकी सीटें ज़्यादा उसका सीएम बनेगा, इतने में हमारे यहाँ मान गये होते तो आज ये हाल नहीं होता, जिस चीज के लिए गये थे उसी के लाले पड़ रहे हैं।

2 days ago