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मीडिया के लिए अच्छा नहीं रहा 2023, नए साल में हालात बदलने की उम्मीद भी कम: ऋचा जैन कालरा
साल 2023 की ‘रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स’ में भारत की वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम इंडेक्स (world Press Freedom Index) में रैंकिंग 180 देशों के बीच 11 स्थान नीचे लुढ़कते हुए 161वें स्थान पर पहुंच गई।
समाचार4मीडिया ब्यूरो 9 months ago
ऋचा जैन कालरा
फाउंडर और एडिटर-इन-चीफ
'अच्छी खबर’
मेरी राय में वर्ष 2023 भारतीय मीडिया के लिए बहुत अच्छा नहीं रहा है। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारतीय मीडिया की साख गिरी है। साल 2023 की ‘रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स’ में भारत की वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम इंडेक्स (world Press Freedom Index) में रैंकिंग 180 देशों के बीच 11 स्थान नीचे लुढ़कते हुए 161वें स्थान पर पहुंच गई। कुछ लोग इसे ये कहकर नकार सकते हैं कि ये भारतीय मीडिया की सही तस्वीर नहीं है। अगर देश की सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणियों पर गौर करें तो स्थिति का आकलन करने में मुश्किल नहीं होगी।
देश के इतिहास में पहली बार सबसे बड़ी अदालत ने नफरत फैलाने एंकर्स पर सख्त टिप्पणी की और कहा कि ऐसे एंकर्स को फौरन ऑफ-एयर करना चाहिए। यही नहीं, इस टिप्पणी के कुछ महीने बाद फिर से कोर्ट ने अतिवाद की तरफ जा रहे टीवी चैनल्स को लताड़ा और कहा कि टीवी चैनल्स के लिए एक बेहतर स्व-नियामक तंत्र की जरूरत है।
कोर्ट ने एक्टर सुशांत सिंह राजपूत की मौत के बाद की मीडिया कवरेज का भी हवाला दिया। एंकर्स के अलावा ‘सुदर्शन न्यूज’ के एक एडिटर को हरियाणा पुलिस ने नूंह में हुई हिंसा के मामले में भड़काऊ सोशल मीडिया पोस्ट को लेकर गिरफ्तार कर लिया।
मेनस्ट्रीम मीडिया पर उठे सवालों के चलते लोग अब ऑनलाइन मीडिया की तरफ बड़ी संख्या में मुड़ने लगे हैं। हाथ में मोबाइल पर न्यूज समेत सब कुछ किसी भी वक्त उपलब्ध है। डिजिटल न्यूज में पत्रकारिता ज्यादा फल-फूल रही है। जो लोग स्वतंत्र और निष्पक्ष खबरें देना चाहते हैं, उन्हें यहां एक खुला मैदान नजर आता है।
‘आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस’ (AI) और चैटजीपीटी ने मीडिया के लिए काम आसान और मुश्किल दोनों किया है। आसान इसलिए कि खबरें लिखना अब और आसान हो गया है। मुश्किल इसलिए क्योंकि खबर कितनी खरी है, कितनी जांची परखी है, इस डिजिटल वर्ल्ड में इसकी कोई गारंटी नहीं है। गारंट के लिए विश्वसनीयता चाहिए और यह आज के मीडिया में लगातार घटती जा रही है। हालात वर्ष 2024 में बदलेंगे, इसकी उम्मीद कम है।
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