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यूनिसेफ ने भी माना रेडियो का लोहा, RJ के काम को दी नई पहचान

मोदी के ‘मन की बात’ कार्यक्रम के द्वारा रेडियो की पहुंच में और ज्यादा इजाफा हुआ है

समाचार4मीडिया ब्यूरो 5 years ago

के.जी सुरेश, वरिष्ठ पत्रकार।।

जिस समय देश भर का मीडिया आम चुनावों की व्यापक कवरेज में लगा हुआ है, उसी दौरान देश भर के रेडियो जॉकी (आरजे) को मुंबई में शुक्रवार में हुए एक बड़े समारोह में सम्मानित किया गया। यह सम्मान उन्हें एंटरटेनमेंट के लिए नहीं, बल्कि उनकी क्रिएटिविटी के लिए दिया गया। पिछले दिनों मुंबई के गड्ढों को लेकर चलाए गए कैंपेन को लेकर आरजे मलिष्का ने काफी चर्चा बटोरी थी। इसके अलावा फिल्मों की बात करें तो अभिनेत्री विद्या वालन भी फिल्म ‘लगे रहो मुन्नाभाई’ और ‘तुम्हारी सुलु’ में आरजे की भूमिका को समाज के सामने रख चुकी हैं।

दरअसल, इस साल ‘UNICEF-AROI Radio4Child Awards’ के तीसरे एडिशन के तहत न सिर्फ पब्लिक ब्रॉडकास्टर जैसे-ऑल इंडिया रेडियो बल्कि निजी एफएम रेडियो समेत कम्युनिटी रेडियो स्टेशनों में कार्यरत रेडियो प्रोफेशनल्स को नियमित टीकाकरण और बाल यौन शोषण के खिलाफ जागरूकता संदेश फैलाने के लिए अवॉर्ड्स से सम्मानित किया गया। यूनिसेफ की सेलेब्रिटी एडवोकेट करीना कपूर खान की मौजूदगी ने कार्यक्रम में चार चांद लगा दिए।   

इस बारे में करीना कपूर का कहना था, ‘यूनिसेफ के #EveryChildAlive जैसी पहल से जुड़कर मैं काफी खुश हूं, क्योंकि इनके द्वारा बच्चों को खतरनाक बीमारियों से बचाने के लिए टीकाकरण का महत्व बताने के लिए नए-नए तरीकों का इस्तेमाल किया जा रहा है और उन्हें जागरूक किया जा रहा है। मेरा मानना है कि युवाओं के साथ ही विभिन्न परिवारों और समाज में हाशिये पर रह रहे समुदायों को टीकाकरण के महत्व के बारे में शिक्षित करने का यह बहुत ही बेहतरीन तरीका है। एक मां होने के नाते मैं हर बच्चे को एक स्वस्थ शुरुआत देने में टीकाकरण के महत्व को समझती हूं और इस महत्वपूर्ण संदेश को फैलाने में यूनिसेफ के सपोर्ट में मैं हर समय तैयार हूं।’

यूनिसेफ और एसोसिएशन ऑफ रेडियो ऑपरेटर्स फॉर इंडिया (AROI) की ओर से वर्ष 2018 में ऑल इंडिया रेडियो और निजी एफएम रेडियो के 40 से ज्यादा प्रोफेशनल्स के लिए एक कार्यशाला का आयोजन किया गया था। इस कार्यशाला का उद्देश्य टीकाकरण और बच्चों से जुड़े मुद्दों पर रेडियो जिंगल्स और टॉक शो तैयार करने में उनकी मदद करना था। इन अवॉर्ड्स के विजेताओं का चुनाव एक जूरी द्वारा किया गया, जिसमें शिक्षा के क्षेत्र के साथ-साथ रेडियो इंडस्ट्री और कॉरपोरेट सेक्टर से जुड़े दिग्गज शामिल थे।

इन अवॉर्ड्स की शुरुआत वर्ष 2014 में की गई थी और हर साल इनका दायरा लगातार बढ़ रहा है। उस दौरान इसे सिर्फ 21 एंट्रीज मिली थीं। दूसरे एडिशन में इन एंट्रीज की संख्या 120 हो गई और तीसरे एडिशन में इसे 17 राज्यों से 152 एंट्रीज प्राप्त हुईं। इनमें सबसे ज्यादा 18 एंट्रीज झारखंड से मिलीं। इसके बाद 15 एंट्रीज के साथ दिल्ली दूसरे नंबर पर रही और ओडिशा से 11 एंट्रीज मिलीं। इस प्रतियोगिता में पूर्व और पूर्वोत्तर से असम, झारखंड और पश्चिम बंगाल के रेडियो स्टेशनों ने भी अपनी भागीदारी निभाई। दक्षिण की बात करें तो इन अवॉर्ड्स के लिए केरल और तमिलनाडु से एंट्रीज मिलीं।   

इन अवॉर्ड्स ने न सिर्फ कॉमर्शियल रेडियो का मानवीय पहलू दिखाया, बल्कि यह भी दिखा दिया है कि बड़े पैमाने पर लोगों को प्रभावित करने में रेडियो के पास कितनी बड़ी ताकत है। खासकर पिछले और हाशिये पर धकेल दिए गए लोगों के बीच भी इसकी पहुंच काफी ज्यादा है।

देश में रेडियो की काफी पहुंच है। यही कारण है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोगों तक अपनी बात पहुंचाने के लिए रेडियो का चुनाव किया। मोदी के ‘मन की बात’ कार्यक्रम के द्वारा रेडियो की पहुंच में और ज्यादा इजाफा हुआ है। इस कार्यक्रम के जरिये पीएम मोदी विभिन्न मुद्दों पर रेडियो पर अपने विचार देश के लोगों के सामने रखते हैं। इस कार्यक्रम के द्वारा पीएम मोदी अब तक परीक्षाओं की शुचिता से लेकर टायलेट्स तक पर देश के लोगों के सामने अपनी बात रख चुके हैं।

यहां तक कि यूएसए जैसे विकसित देशों में जहां पर डिजिटल मीडिया के तेजी से पैर पसारने के बाद प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर काफी विपरीत प्रभाव पड़ा है, वहीं रेडियो अभी भी काफी लोकप्रिय माध्यम बना हुआ है। रेडियो के साथ एक खास बात ये है कि आप दूसरा काम करते हुए भी इसे सुन सकते हैं, लेकिन टीवी और अखबार के साथ ऐसा नहीं है। इसके अलावा रेडियो को आप कहीं पर भी एक स्थान से दूसरे स्थान तक आसानी से ले जा सकते हैं।

ऐसे में यूनिसेफ जैसे संगठनों ने न सिर्फ मनोरंजन के लिए बल्कि लोगों को सूचना देने और उन्हें शिक्षित करने में रेडियो की क्षमता को महसूस किया है। एक तरफ पब्लिक ब्रॉडकास्टर्स स्वास्थ्य से जुड़े मुद्दों पर लंबे समय से न सिर्फ लोगों को जागरूक करने में लगे हुए हैं और इसके जरिये देश को पोलियो मुक्त बनाने में बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, वहीं निजी एफएम स्टेशन भी अपनी सामाजिक जिम्मेदारी को निभाने में किसी भी तरह से पीछे नहीं हैं। इसके लिए रेडियो वाकई में बधाई का पात्र है।  

(लेखक इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मास कम्युनिकेशन के डायरेक्टर जनरल भी रह चुके हैं। इसके अलावा वह वर्ष 2018 और 2019 में यूनिसेफ रेडियो4चिल्ड अवॉर्ड्स जूरी के सदस्य भी रह चुके हैं।)

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