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मैं राहुल गांधी होता तो मौसमी सिंह के सवाल का ऐसे देता जवाब: खुशदीप सहगल
राहुल ने ये कह कर मौसमी जैसी निष्पक्ष रिपोर्टर को उन पत्रकारों में शामिल कर दिया जो वाकई बीजेपी की गोद में बैठे हुए हैं।
समाचार4मीडिया ब्यूरो 4 months ago
खुशदीप सहगल, वरिष्ठ पत्रकार ।।
हर पहलू पर बात होनी चाहिए...
आज तक की रिपोर्टर मौसमी सिंह ने राहुल गांधी से सवाल किया था कि संसद में विपक्ष जेपीसी की मांग करता है, संसद न चलने से जनता का पैसा बर्बाद होता है... इस पर राहुल का मौसमी को जवाब था कि ये तो बीजेपी की लाइन है, आप भी बीजेपी का बैज लगा लीजिए।
राहुल ने ये कह कर मौसमी जैसी निष्पक्ष रिपोर्टर को उन पत्रकारों में शामिल कर दिया जो वाकई बीजेपी की गोद में बैठे हुए हैं। मैं राहुल की जगह होता तो कोई तमगा देने की जगह सहजता बनाए रखकर मौसमी से काउंटर सवाल करता।
आपने बहुत अच्छा सवाल किया लेकिन क्या संसद को सुचारू रूप से चलाने की जिम्मेदारी सिर्फ विपक्ष की है? सत्ता पक्ष को सदन में मनमानी की छूट पर सवाल क्यों नहीं?
लोकसभा स्पीकर और राज्यसभा चेयरमैन क्या सिर्फ विपक्ष को चुप कराने और उन पर कार्रवाई का कोड़ा चलाने, सरकार जो बिल लाए उसे बिना समुचित चर्चा झटपट पास कराने के लिए होते हैं?
सत्रहवीं लोकसभा में मेरी सदस्यता खत्म करने में स्पीकर ने जिस विद्युत गति से फैसला लिया और कोर्ट ने वो फैसला पलटा, उस पर सत्ता पक्ष से सवाल क्यों नहीं?
राज्यसभा में भी विपक्ष के सदस्यों पर पक्षपातपूर्ण कार्रवाई पर सवाल क्यों नहीं?
मेरा ये सब लिखने का आशय यही है कि किसी बड़े राष्ट्रीय दल के नेता को किसी भी तरह के सवाल पर संयम बनाए रखते जवाब देने चाहिए।
मौसमी सिंह को मैं करीब पिछले दस साल से जानता हूं। ‘आजतक’ और ‘इंडिया टुडे’ में रहते हुए मौसमी की कई रिपोर्ट्स को मैंने एडिट, रीराइट, ट्रांसलेट किया। ऐसी निर्भीक और बिना किसी लाग-लपेट सच कहने वाली रिपोर्टर मैंने कोई नहीं देखी। वो भी मेनस्ट्रीम मीडिया में रहते। दिलेर इतनी कि पहरे के बावजूद लखनऊ में एक बार छत से कूदकर अंदर की रिकॉर्डिंग कर लाई थीं।
पॉलिटिकल में अच्छी पकड़ होने के साथ मौसमी का जो सबसे सशक्त पक्ष मुझे लगा वो है ह्यूमन एंगल या मानवीय संवेदना के मुद्दों पर रिपोर्टिंग करना। कोरोना के दिनों में मौसमी की ऐसी कई स्टोरीज पर मैंने काम किया, इसलिए मैं अच्छी तरह ये जानता हूं।
मौसमी के मामाजी और मूर्धन्य पत्रकार स्व. शेष नारायण सिंह से मेरा बड़ा लगाव रहा। मेरे मुश्किल दिनों में उन्होंने मार्गदर्शक की भूमिका निभाई थी।
राहुल गांधी ने हाल में एक प्रेस कांफ्रेंस में मौसमी के सवाल पूछने पर बीजेपी का बैज लगाने की बात कह डाली। राहुल की मीडिया से नाराजगी समझी जा सकती है लेकिन सभी को एक चाबुक से हांक देना उनकी नादानी है। राहुल आप नरेंद्र मोदी को कटघरे में इसलिए खड़ा करते हैं कि उन्होंने पिछले दस साल में एक बार भी प्रेस कांफ्रेंस में सवालों का सामना नहीं किया, फिर आप क्यों किसी पत्रकार के सवाल पर जवाब देने की जगह इस तरह की हल्की बात कर गए? वो भी तब जब मौसमी बीते कई साल से कांग्रेस बीट कवर कर रही है, आप खुद और आपके नेता भी मौसमी को अच्छी तरह जानते होंगे।
आपमें और फिर नरेंद्र मोदी के प्रेस कांफ्रेंस में सवालों से बचने में फर्क क्या रहा।
मीडिया पर उंगली उठाते समय याद रखिए कि हाथ की पांचों उंगलियां बराबर नहीं होतीं।
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