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मीडिया के लिए कमाल का साल रहा 2023, खबरों की बाढ़ रही पूरे साल: डॉ. प्रवीण तिवारी
कमाल का साल रहा 2023, खासतौर पर मीडिया के लिए। पत्रकार की नजर से देखा जाए तो खबरों की बाढ़ थी इस पूरे साल।
समाचार4मीडिया ब्यूरो 9 months ago
डॉ. प्रवीण तिवारी- डिजिटल हेड, भारत एक्सप्रेस ।।
कमाल का साल रहा 2023, खासतौर पर मीडिया के लिए। पत्रकार की नजर से देखा जाए तो खबरों की बाढ़ थी इस पूरे साल। मुझे याद है 2022 का यूपी का विधानसभा चुनाव और उसकी खुमारी से बाहर भी नहीं आए की 2023 की शुरुआत हो गई। भारत जोड़ो यात्रा, इंडिया एलियांस का बनना विपक्ष में कुछ जान फूंक रहा था, तो महाराष्ट्र की सियासत की उठा पटक भी काफी दिलचस्प बनी हुई थी। बेसब्री से इंतजार था पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव का। जबरदस्त नतीजे आए और बीजेपी ने चौंकाने वाली तैयारी और नए चेहरे सामने रखें। राजनीति के लिहाज से यह साल काफी मजेदार रहा।
एक पत्रकार के नाते ऐसा महसूस हुआ जैसे हाथ में आते ही पूरा साल गुजर गया। यूं तो डिजिटल मीडिया अब परवान चढ़ चुका है और मेन स्ट्रीम मीडिया दरअसल डिजिटल मीडिया ही बन गया है। फिर भी 2023 में जिस तरीके से सभी राजनीतिक दलों ने डिजिटल मीडिया का रुख किया, उसने मीडिया के बदलते दौर को भी सामने रखा। मीडिया संस्थानों की तादाद भी बढ़ी और ये दौर ऐसे समय पर आया, जब एक के बाद एक बंद होते चैनलों की वजह से भविष्य के पत्रकारों को चिंता होने लगी थी। खैर अब ना संस्थाओं की कमी दिखती है और ना पत्रकारों की।
पत्रकारीय गंभीरता का मामला हमेशा चिंता का विषय रहा है। बाढ़ आती है तो कचरा भी आ ही जाता है। ये डिजिटल स्वंतत्रता का एक नकरात्मक पहलू भी है। राजनीति भी हावी हुई, कभी छापेमारी, तो कुछ पत्रकारों का किसी विशेष राजनीतिक दल के प्रति आग्रह जैसे विषय भी खुलकर सामने आए हैं। 2023 गुजर रहा है लेकिन हम देख रहे हैं कि यही बातें 2024 को भी दिलचस्प बनाती हैं। राम मंदिर के लोकार्पण की तैयारी, बीजेपी की जीत का जश्न और 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए बीजेपी के कार्यकर्ताओं में बढ़ा उत्साह 2023 की, सत्ताधारी दल को बड़ी सौगात है।
साल 2000 में पूरी तरह सक्रिय होकर पत्रकारिता में उतर आया था। साथ जुड़ा यह 23 का आंकड़ा मुझे अपने उन सालों की याद दिलाता है जो दिल्ली में अलग-अलग संस्थानों में मैंने बिताए। यह कोई बहुत लंबा समय भी नहीं है लेकिन इतना समय तो है ही की मीडिया के बदलते स्वरूप को न सिर्फ देखा बल्कि उसके अलग-अलग स्वरूपों में काम भी किया है।
हाल ही में अमर उजाला के डिजिटल प्लेटफॉर्म को नई ऊंचाइयां मिली, इसके बाद भारत एक्सप्रेस के साथ अपनी पारी को आगे बढ़ाने का अवसर मिला। मेरे इस पूरे जीवन में डिजिटल पत्रकारिता के लिहाज से भी यह साल बहुत यादगार रहा। कुल मिलाकर 2023 में ऐसा बहुत कुछ है जिसे लंबे समय तक याद किया जाए। 2023 की इन यादों के साथ 2024 की ढेर सारी शुभकामनाएं।
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