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2024 में बीजेपी को मिलेगी कड़ी टक्कर: डॉ. प्रवीण तिवारी
निश्चित तौर पर कांग्रेस दो कदम आगे बढ़ती है और क्षेत्रीय दल इसी तरह साथ में खड़े रहते हैं तो एक कड़ी चुनौती आगामी लोकसभा चुनाव में बीजेपी को मिल सकती है।
समाचार4मीडिया ब्यूरो 1 year ago
डॉ. प्रवीण तिवारी, असिस्टेंट एडिटर, अमर उजाला डिजिटल।
पटना में सभी विपक्षी दलों का महाजुटान एक बड़ी चर्चा का विषय बना रहा। नीतीश कुमार का मजाक कई जगहों पर उड़ाया जा रहा था। कहा जा रहा था कि वह अपनी पार्टी को नहीं संभाल पा रहे हैं और देश के अन्य पार्टियों को एकजुट करने का प्रयास कर रहे हैं। उन लोगों को नीतीश कुमार ने तो करारा जवाब दे दिया। आज का दिन उनके लिए बड़ी सफलता लेकर आया। यहां पर एक मंच पर वह कई ऐसे दलों को साथ में लाने में कामयाब हो गए, जिनकी एक दूसरे से पटरी नहीं बैठती है। उदाहरण के लिए ममता बनर्जी, कांग्रेस और केजरीवाल का एक ही बैठक में साथ रहना एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम रहा। यह बात अलग है कि प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान केजरीवाल ने दूरी बना ली।
इतनी बातें सभी को पता है लेकिन जब लिखने का मौका मिला तो कुछ अंदर की बातें भी जानी चाहिए। सूत्रों के हवाले से जो जानकारी मिली है उसके मुताबिक बिहार में कल लगे पोस्टर्स को लेकर कांग्रेस ने पहले ही नाराजगी जता दी थी। नीतीश कुमार जानते थे कि आम आदमी पार्टी के कुछ लोगों द्वारा कांग्रेस के खिलाफ लगाए गए पोस्टर के बाद माहौल खराब हो सकता है लिहाजा उन्होंने चीजों को संभाला। कहा यह भी जा रहा है कि केजरीवाल के साथ उनकी पहले एक मीटिंग हुई जिसके बाद यह तय किया गया कि पहले साथ में बैठा जाए फिर दिल्ली के अध्यादेश के विषय में चर्चा की जाए।
दरअसल केजरीवाल को भी अभी विपक्षी एकता की उतनी ही आवश्यकता है जितनी इन विपक्षी दलों को केजरीवाल की। वह दिल्ली को लेकर आए अध्यादेश को राज्यसभा में रोकने के लिए तमाम दलों से अपने साथ खड़े होने की बात कह रहे हैं। मल्लिकार्जुन खड़गे से तो वह पहले भी समय मांग चुके थे। शिकायत भी की कि मुझे समय नहीं दिया जा रहा है। अलबत्ता आज एक बड़ा मौका मिल गया। कांग्रेस अपने पत्ते नहीं खोल रही है लेकिन यह तय माना जा रहा है कि कांग्रेस सिर्फ आम आदमी पार्टी को नुकसान पहुंचाने के लिए बीजेपी को किसी तरह का फायदा नहीं पहुंचाएगी।
लिहाजा कांग्रेस के लिए भी अध्यादेश को लेकर केजरीवाल के साथ खड़ा होना कोई मुसीबत की बात नहीं है। यह भी लग रहा है कि शिमला में होने वाली अगली बैठक के पहले विपक्षी दल अंदर खाने कुछ और बैठक कर सकते हैं और अगले चरण में प्रवेश कर सकते हैं। 2024 को लेकर यदि यह गणित सकारात्मक दिशा में बढ़ता है तो निश्चित तौर पर बीजेपी को एक कड़ी टक्कर मिलने जा रही है। हां, यह बात अलग है कि 10 ऐसे राज्य भी हैं जहां पर कांग्रेस एकदम से दूसरे तीसरे या सबसे कमजोर पायदान पर पहुंच जाएगी। पश्चिम बंगाल, बिहार, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, दिल्ली ,पंजाब यह ऐसे राज्य हैं जहां पर क्षेत्रीय दलों का दबदबा है और कांग्रेस लगातार कमजोर हुई है।
अब यदि यही क्षेत्रीय दल कांग्रेस का साथ देते हैं तो उनके अपने अस्तित्व का क्या होगा यह बड़ा सवाल है। कांग्रेस के पास इन जगहों पर खोने के लिए कुछ नहीं है। कांग्रेस कमजोर हुई अपनी ही नीतियों की वजह से! लिहाजा कांग्रेस भी समझदारी से कदम उठाते हुए फिलहाल 2024 पर अपनी निगाह रख सकती है। निश्चित तौर पर कांग्रेस दो कदम आगे बढ़ती है और क्षेत्रीय दल इसी तरह साथ में खड़े रहते हैं तो एक कड़ी चुनौती आगामी लोकसभा चुनाव में बीजेपी को मिल सकती है।
अंत में हमें यह भी याद रखना चाहिए कि पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव बहुत महत्वपूर्ण है। खासतौर पर राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ जहां पर कांग्रेस और बीजेपी की सीधी टक्कर है। यहां राजस्थान और मध्य प्रदेश में आम आदमी पार्टी अपनी योजनाएं बना रही है। इस लिहाज से भी कांग्रेस और आप के साथ में आने को लेकर फिलहाल सवाल खड़े हो रहे हैं लेकिन फिर भी गुजरात का उदाहरण यह बताता है कि केजरीवाल और कांग्रेस आपस में लड़कर बीजेपी का फायदा तो कर सकते हैं अपना कोई फायदा नहीं कर पाएंगे। इतिहास ने बहुत सी बातें विपक्षी दलों को सिखाई हैं। देखने वाली बात होगी इससे सबक लेकर आने वाले समय की रणनीति को कितना सकारात्मक बनाते हैं। निश्चित तौर पर यदि यह रणनीति मूर्त रूप लेती है तो 2024 में बीजेपी को कड़ी टक्कर मिलने जा रही है।
( यह लेखक के निजी विचार हैं, लेखक अमर उजाला में कार्यरत हैं)
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