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BCCL के शिवकुमार सुंदरम ने 'इंदु मां' को यूं किया याद, सम्मान में लिखी ये कविता
‘टाइम्स समूह’ की चेयरपर्सन इंदु जैन के निधन पर बेनेट कोलमैन एंड कंपनी लिमिटेड की एग्जिक्यूटिव कमेटी के चेयरमैन शिवकुमार सुंदरम ने एक आर्टिकल के जरिये उन्हें श्रद्धांजलि दी है।
समाचार4मीडिया ब्यूरो 3 years ago
देश के बड़े मीडिया समूहों में शुमार ‘टाइम्स समूह’ (The Times Group) की चेयरपर्सन और देश की जानी-मानी मीडिया शख्सियत इंदु जैन के निधन पर बेनेट कोलमैन एंड कंपनी लिमिटेड (बीसीसीएल) की एग्जिक्यूटिव कमेटी के चेयरमैन शिवकुमार सुंदरम ने एक आर्टिकल के जरिये उन्हें श्रद्धांजलि दी है। अपने इस आर्टिकल में उन्होंने इंदु जैन की बुद्धिमता, उत्साह और भावनाओं को याद करते हुए कहा है कि इंदु मां का जीवन, विश्वास और मूल्य गहन होने के बाद भी काफी सरल थे। अंग्रेजी में लिखे गए इस आर्टिकल का हिंदी अनुवाद आप यहां पढ़ सकते हैं।
चेयरमैन इंदु जैन कहें, माता जी कहें अथवा इंदु माता, वह हम सभी के लिए हमेशा आनंद, उल्लास और खुशी का प्रतीक रहेंगी। उन्होंने टाइम्स ग्रुप में आध्यात्मिक नजरिये से लेकर सभी स्थितियों में समता और संतुलन को अपनाने पर जोर दिया। हमें उनके और उनके माध्यम से तमाम आध्यात्मिक गुरुओं के द्वारा ज्ञान, तमाम जानकारियां और मैनेजमेंट का पाठ सीखने का सौभाग्य मिला।
मैंने उनके समक्ष ओशो के प्रवचनों को सुनने की इच्छा जताई थी और उन्होंने मेरे लिए ओशो के प्रवचनों की 512 जीबी की हार्ड डिस्क का इंतजाम करने के लिए विशेष प्रयास कर मुझे चौंका दिया था।
यह मेरा सौभाग्य है कि मुझे उनके साथ तमाम आध्यात्मिक गुरुओं से मिलने का सौभाग्य मिला। जैसे- हम श्रीश्री रविशंकर से उनके बेंगलुरु स्थित आश्रम में मिले। इसके अलावा सद्गुरु जग्गी वासुदेव (जिन्हें मैं अभी फॉलो करता हूं) से उनके कोयंबटूर आश्रम में मिले। इस अनुभव ने हम में से कई को समग्र जीवन के पथ पर चलने के लिए अग्रसर किया और इंदु माता के केवल करीब से देखने भर से आनंद के क्षण में रहने का अर्थ सही से समझ में आ जाता था।
समाज का ज्यादा से ज्यादा भला सुनिश्चित करने के लिए इंदु माता परोपकार और सामुदायिक सेवा में बहुत ज्यादा दिलचस्पी रखती थीं। जब मैं फाइनेंस में था, उन दिनों माता जी ‘टाइम्स फाउंडेशन’ और ‘टाइम्स ऑफ इंडिया रिलीफ फंड’ से जुड़ी गतिविधियों में बहुत ज्यादा गहराई से संलग्न रहती थीं। मुझे अभी भी याद है कि कैसे जरूरतमंदों तक सीधे धन पहुंचे, इसके लिए उन्होंने कितना प्रयास किया था। उन्होंने कारगिल युद्ध के दौरान शहीद हुए जवानों के परिजनों तक टाइम्स ऑफ इंडिया रिलीफ फंड के द्वारा मासिक आय योजना तैयार करने में काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। इसके अलावा ऐसे तमाम उदाहरण हैं, जहां उन्होंने सामाजिक व धार्मिक गतिविधियों में आगे बढ़-चढ़कर अपना योगदान दिया था।
उन्होंने ऑर्गनाइजेशन के कार्य में काफी रुचि ली और हॉस्पिटैलिटी सर्विस (जिसे पहले एडमिनिस्ट्रेशन कहा जाता था) और मैनेजमेंट एश्योरेंस सर्विस (जिसे पहले ऑडिट फंक्शन कहते थे) को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वित्तीय समझदारी और अनुशासन के द्वारा इन सशक्तीकरण माध्यमों से एंप्लॉयीज और ऑर्गनाइजेशन की भलाई सुनिश्चित करने का उनका यह दर्शन था। चेयरमैन अवॉर्ड की शुरुआत उन्होंने ही की थी, जो संस्थान की प्रतिभाओं को आगे लाता है उन्हें नई पहचान देता है।
संस्थान के साथ लंबे समय से मेरे जुड़ाव के कारण मैं इंदु मां के काफी करीब था। परिवार और ऑफिस से जुड़े तमाम मसलों पर उनके साथ काम करने से जुड़ीं मेरे पास तमाम यादें हैं। उनके अंदर कितनी दयालुता थी, इसका मैं एक किस्सा बताना चाहता हूं। जब समीर जैन जी द्वारा ब्रैंड कैपिटल की नई बिजनेस डिवीजन बनाने के लिए मुझे फाइनेंस से जुड़े कामों से अचानक हटा दिया गया था तो उन्होंने मुझे अपने ऑफिस बुलाया और कहा, ‘मैं हैरान हूं कि आप ऐसी क्या गलती कर सकते थे, जो रातों रात आपको फाइनेंस से हटा दिया गया।’ इसके बाद मैंने नई डिवीजन को तैयार करने के बारे में पूरे उत्साह के साथ समझाया। इसके बाद उन्होंने मेरी प्रोग्रेस पर तब तक लगातार नजर रखी, जब तक कि बिजनेस परिपक्व और विकसित नहीं हो गया।
इंदु माता ने कभी हठधर्मिता में विश्वास नहीं किया और उनकी सलाह में पूरी स्वतंत्रता रहती थी। इसलिए यह कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि जीवन में चुनौतियों का सामना करने वाले बहुत से लोग स्वाभाविक रूप से उनकी ओर आकर्षित हुए होंगे और उनकी उपस्थिति में आनंद, संतुलन व समभाव पाया होगा।
लुडविग वान बीथोवेन (Beethoven) की रचना ‘ओड टू जॉय’ (Ode to Joy) युद्ध और हताशा के खिलाफ सार्वभौमिक भाईचारे की विजय का प्रतिनिधित्व करती है। चेयरमैन इंदु माता का जीवन इसी आनंदमय जीवन का प्रतीक है और वर्तमान तनावपूर्ण परिस्थितियों में हमें सभी के लिए जो प्रेम, देखभाल, कल्याण और करुणा चाहिए, इंदु माता उसकी साक्षात प्रतिमूर्ति थीं।
यहां कुछ पंक्तियां हैं, जो मैंने इंदु माता के जीवन का जश्न मनाते हुए उनके सम्मान में लिखी हैं।
Life does not follow a linear pattern
unpredictable transitions defines life's twists and turns
Key disruptors of life changes
Body, mind, career, beliefs & identity it ranges
Physiological disruptors in the physical body
emotional upheavals of relationships they embody
Disruptions of life is the norm than exception
Count the roles you have changed since inception
Our lives rarely go as planned
Uncertain and overwhelmed
Changes in our belief system
new perspectives from acquired wisdom
Spiritual seekers form new constellations
discover their true self in enlightened conversations
abandoning the myth of a linear life
work on your body& mind, that caused the strife
Shedding parts of our unhappy selves
with Joy and happiness fill your cells
Live life to the fullest
Always in wonder, like the wandering tourist
उनकी जिंदगी, उनकी मान्यताएं और उनके मूल्य काफी गहरे लेकिन सरल थे। ये कोमल मुस्कान और उल्लास के अलावा और कुछ नहीं थे। यदि आप इंदु मां को महसूस करना चाहते हैं तो वह हर उस जगह हैं, जहां पर खुशी और हंसी है।
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