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क्या पहली बार महिला को MD व CEO बनाने से चूक गया हिन्दुस्तान यूनिलीवर?
यूनिलीवर और हिन्दुस्तान यूनिलीवर में नियुक्तियों की शर्तें समाप्त होने वाली हैं, लिहाजा यहां अब नए चेहरे कमान संभालने को तैयार हैं।
समाचार4मीडिया ब्यूरो 1 year ago
नूर फातिमा वारसिया, ग्रुप एडिटोरियल डायरेक्टर, BW बिजनेस वर्ल्ड ।।
यूनिलीवर और हिन्दुस्तान यूनिलीवर में नियुक्तियों की शर्तें समाप्त होने वाली हैं, लिहाजा यहां अब नए चेहरे कमान संभालने को तैयार हैं। ग्लोबल स्तर पर, हेन शूमाकर (Hein Schumacher ) जुलाई 2023 में बॉस की भूमिका निभाएंगे, तो वहीं जून में हिन्दुस्तान यूनिलीवर (HUL) को रोहित जवा के रूप में एक नया बॉस मिल जाएगा।
दो दशक के बाद देश में वापसी करने वाले जवा निस्संदेह ही इस पद के लिए सबसे अच्छे विकल्पों में से एक हैं। 2004 से वियतनाम, सिंगापुर, फिलीपींस और चीन की सहित कई मार्केट में यूनिलीवर का कारोबार चलाने के बाद जवा ने पिछले साल अप्रैल में कंपनी में ट्रांसफॉर्मेशन चीफ की भूमिका निभाई। सबसे बेहतरीन लीडर्स में से एक रोहित जवा ने मुश्किल दौर में भी मार्केट का नेतृत्व किया है और ऑर्गनाइजेशन में फंक्शन से लेकर ट्रांसफॉर्मेशन तक कई भूमिकाएं निभाई हैं। लिहाजा यूनिलीवर को HUL का ताज पहनाने का निर्णय कोई हैरानी भरी बात नहीं है। वह जिस HUL की कमान संभालेंगे, उसमें शायद ही पहले जैसी कोई बात हो, लेकिन वर्तमान स्ट्रक्चर कुछ ऐसा है, जिससे जवा और अधिक परिचित होंगे।
HUL का उदय और उदय का एक दशक
वर्तमान एमडी व सीईओ संजीव मेहता के नेतृत्व में पिछले एक दशक में HUL ने अपनी संस्कृति, विविधता और इकोसिस्टम के साथ सहयोग करने की अपनी क्षमता में बदलाव किए हैं, जबकि इसके साथ उसने मजबूत प्रदर्शन भी किया है। पिछले साल, वित्तीय वर्ष 2022 में यह कॉरपोरेट कंपनी 50,000 करोड़ रुपए का आंकड़ा पार करने वाली एकमात्र FMCG (फास्ट-मूविंग कंज्यूमर गुड्स) कंपनी बन गयी थी। डिजिटल-फर्स्ट एप्रोच अपनाना, तत्काल रूप से निर्णय लेना और भविष्य के उपभोक्ताओं के लिए प्रॉडक्ट पोर्टफोलियो स्थापित करना आदि इन सभी मामलों में HUL का उदय उल्लेखनीय है। इन सबके पीछे संजीव मेहता की अनूठी कार्यशैली और उनकी टीम के हाथ है। मेहता का नेतृत्व समावेशी विकास, भविष्य के अनुकूल काम करने और लीडर्स को तैयार करने के बारे में रही है और इसका एक उदाहरण प्रिया नायर हैं।
जॉब के लिए सर्वश्रेष्ठ
HUL में प्रिया नायर की ग्रोथ किसी उदाहरण से कम नहीं है। भारत में ब्यूटी व पर्सनल केयर कैटेगरी को प्रॉफिट में नई ऊंचाइयों पर ले जाने के बाद, यूनिलीवर के ब्यूटी एंड वेलबीइंग डिवीजन के लिए पिछले साल चीफ मार्केटिंग ऑफिसर बनकर उन्होंने एक वैश्विक भूमिका निभाई। साल 1995 में कंपनी के साथ अपनी यात्रा शुरू करने के बाद उन्हें 'यूनिलीवर प्रॉडक्ट' के रूप में पहचाना जाने लगा। कंपनी के साथ अपनी लगभग तीन दशक लंबी यात्रा के दौरान उन्होंने कई महत्त्वपूर्ण भूमिकाएं निभायीं और कुछ अत्यंत महत्वपूर्ण निर्णय लिए। उनके द्वारा लिए फैसलों ने ही महामारी जैसे कठिन समय में HUL को मजबूत स्थिति में बनाए रखा था।साथ ही उनके कुछ फैसलों ने ब्रैंड्स के तौर पर कंपनी को आगे बढ़ाने में एक नई दिशा दी, जो उसके उद्देश्यों के नियमों अनुरूप नहीं थे।
प्रिया नायर भारतीय बाजार के हर पहलू से परिचित हैं और उस विचार प्रक्रिया को भी जानती हैं, जिसने पिछले दशक में कंपनी की ग्रोथ में अहम भूमिका निभायी थी और बिना किसी संदेह के HUL को हर तरह से बेहतर बनाने के लिए पुनर्परिभाषित किया। प्रिया ने इन निर्णयों में भाग लिया है और पूरी दृढ़ता से इसे लागू किया है। वह सिस्टम की ताकत और कमजोरियों को जानती हैं। और तो और वह इसकी क्षमता को आगे बढ़ाने के सबसे अच्छे तरीकों को भी जानती हैं। पूरी दुनिया बदल रही है और भारत में कम्पटीशन भी तेजी से बढ़ रहा है, लेकिन HUL को अपनी हिस्ट्री से पता है कि कम्पटीशन कहीं से भी आ सकता है।
वैसे किसी ने तो सोचा होगा कि इस समय कंपनी को आगे ले जाने के लिए नायर ही सबसे सही व्यक्ति होंगी। आखिरकार, जिस एचयूएल में जवा वापस आएगा, वह वही है जिसे नायर ने बनाने में मदद की है। आखिरकार, जिस HUL में जवा वापस आएंगे, वह वही कंपनी है, जिसे नायर ने ही तरासा है।
यूनिलीवर ने पिछले साल बड़ी कंपनियों को कई सीईओ दिए हैं, चाहे वह प्रभा नरसिम्हन हों, जो अब कोलगेट-पामोलिव इंडिया का नेतृत्व कर रहे हैं या फिर सुधीर सीतापति, जो गोदरेज कंज्यूमर प्रॉडक्ट्स के सीईओ हैं, दोनों की पहचान तब से है, जब वे HUL की कार्यकारी समिति का हिस्सा थे।
FMCG में दुर्लभ है महिला CEO
किसी बाहरी व्यक्ति का नजरिया बिल्कुल ऐसा ही होता, मानों कि प्रिया नायर और यूनिलीवर दोनों अलग-अलग तरीके से सोचते हैं। हालांकि इस दौरान, HUL ने एक महिला लीडर के नेतृत्व में काम करने का फिलहाल मौका खो दिया है। भारत में महिला एफएमसीजी सीईओ की दुर्लभ नस्ल को जोड़ने का अवसर भी खो गया था। हालांकि इसी के साथ ही उसने भारत में FMCG सेक्टर में कोई महिला CEO देने का मौका भी खो दिया है।
नैसकॉम की एक रिपोर्ट के अनुसार, देश के व्हाइट-कॉलर वर्कफोर्स के सबसे बड़े एम्प्लॉयर माने जाने वाले आईटी सेक्टर के वर्कफोर्स में महिलाओं का उच्चतम प्रतिनिधित्व है, जबकि FMCG और व इससे जुड़ी अन्य इंडस्ट्री में क्रमशः 5.5 प्रतिशत और 4.3 प्रतिशत है, जोकि सूची में अंतिम दो स्थानों पर हैं।
कोई भी निर्णय जेंडर को ध्यान में रखकर नहीं लेना चाहिए, लिहाजा यूनिलीवर के निर्णय को सभी के लिए तर्कसंगत और निष्पक्षता के लेंस के माध्यम से समझा जाना चाहिए। नायर की यह नई भूमिका भारतीय लीडर्स को वैश्विक मंच पर ले जाने का मौका है, जो अपने आप में रोमांचक होने के साथ-साथ चुनौतीपूर्ण भी है। वह जहां भी रहेंगी, कारोबार को आगे बढ़ाना जारी रखेंगी और रोहित जवा अपने नेतृत्व में HUL ब्रैंड को एक नई राह पर ले जाएंगे। लेकिन इन सबसे बीच जो तस्वीर सामने आयी है, उससे यह कहा जा रहा है कि लैंगिक समानता को अपनाने में भारत को दो शताब्दियों का समय लगेगा और कोई कुछ नहीं कर सकता, लेकिन यहां सवाल उठता है कि यदि ऐसा नहीं हुआ तो क्या होगा?
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