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क्या रेट कट का टाइम आ गया है? पढ़िए इस सप्ताह का 'हिसाब-किताब'
रिज़र्व बैंक की मॉनिटरी पॉलिसी कमेटी की बैठक सोमवार से हो रही है। लेकिन बैठक से पहले आयीं ज़्यादातर रिसर्च रिपोर्ट कह रही है कि रेट कट अभी नहीं होगा।
समाचार4मीडिया ब्यूरो 4 days ago
मिलिंद खांडेकर, मैनेजिंग एडिटर, तक चैनल्स, टीवी टुडे नेटवर्क।
अर्थव्यवस्था को लेकर सुर्खियाँ अच्छी नहीं है। जून तिमाही में GDP घटी है। GST कलेक्शन स्थिर सा हो गया है। HSBC मैन्युफ़ैक्चरिंग और सर्विसेज़ के इंडेक्स में गिरावट आई है। इन सुर्ख़ियों के परे पिछले हफ़्ते शेयर बाज़ार में भी जून के बाद सबसे बड़ी गिरावट आई है। उसका कारण हालाँकि इज़राइल- ईरान का तनाव, चीन के शेयरों में विदेशी निवेशकों की रुचि बताया जा रहा है। अब नज़र रिज़र्व बैंक पर है जिसको इस हफ़्ते तय करना है कि रेट कट करना है या नहीं।
हम हिसाब किताब में पहले चर्चा कर चुके हैं कि कोरोनावायरस के बाद महंगाई को क़ाबू करने के लिए रिज़र्व बैंक ने ब्याज दरों को बढ़ाना शुरू किया था। रिज़र्व बैंक को महंगाई 4% प्लस या माइनस 2% रखने का लक्ष्य केंद्र सरकार ने दिया है। महंगाई क़ाबू में है। अमेरिका में फ़ेडरल रिज़र्व ने तो ब्याज दरों में कटौती आधा फ़ीसदी की कटौती कर भी दी है क्योंकि वहाँ मंदी का ख़तरा मंडरा रहा है। भारत में अब तक तो ऐसे हालात नहीं बने हैं पर पिछले महीने भर से जो खबरें आ रही हैं वो चिंता बढ़ाने वाली है।
GST कलेक्शन स्थिर है मतलब माल या सर्विसेज़ की खपत बढ़ नहीं रही है। HSBC का इंडेक्स भी यही संकेत दे रहा है कि मैन्यूफ़ैक्चरिंग और सर्विसेज़ सेक्टर में गिरावट आई है। गाड़ियों की बिक्री पर भी ब्रेक सा लग गया है। अब त्योहार से उम्मीद है। रिज़र्व बैंक की मॉनिटरी पॉलिसी कमेटी की बैठक सोमवार से हो रही है।
रिज़र्व बैंक के गवर्नर फ़ैसले की जानकारी बुधवार को देंगे, लेकिन बैठक से पहले आयीं ज़्यादातर रिसर्च रिपोर्ट कह रही है कि रेट कट अभी नहीं होगा। रेट कट दिसंबर में होगा। अगर ऐसा होता है तो माल या सर्विसेज़ की खपत में बढ़ोतरी में देर लग सकती है। रेट कट होने पर लोगों को सस्ता क़र्ज़ मिलता है तो खपत बढ़ती है। गाड़ियों और घरों की बिक्री बढ़ती है। कंपनियाँ भी नए प्रोजेक्ट लाती है तो नौकरियाँ आती है। इसलिए रेट कट जितनी जल्दी हो उतना अच्छा होगा।
(वरिष्ठ पत्रकार मिलिंद खांडेकर 'टीवी टुडे नेटवर्क' के 'तक चैनल्स' के मैनेजिंग एडिटर हैं और हर रविवार सोशल मीडिया पर उनका साप्ताहिक न्यूजलेटर 'हिसाब किताब' प्रकाशित होता है।)
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