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चीनी जासूसी एजेंसी MSS ने कैसे दुनिया में खलल डाला: अरुण आनंद

ज़ियांग ने "राज्य की सुरक्षा की रक्षा करने और चीन के लिए जासूसी कार्य को मजबूत करने के लिए" एमएसएस की स्थापना का प्रस्ताव रखा।

समाचार4मीडिया ब्यूरो 1 year ago

अरुण आनंद, वरिष्ठ पत्रकार, लेखक और स्तम्भकार।

अगर आप से कोई पूछे कि भारत, अमेरिका, इजरायल, ब्रिटेन, पाकिस्तान आदि की गुप्तचर एजेंसियों के नाम क्या हैं तो सामान्य तौर पर लोग इस सवाल का आसानी से जवाब दे पाते हैं। लेकिन अगर आप से कोई पूछे कि चीन की प्रमुख गुप्तचर एजेंसी का नाम क्या है और वह कैसे काम करती है तो शायद ही कोई इसका जवाब दे पाएगा।

चीन ने अपनी गुप्तचर एजेंसियों और खुफिया तंत्र को दुनिया के राडार पर आने ही नहीं दिया है, जबकि सच यह है कि यह दुनिया का सबसे बड़ा और घातक खुफिया तंत्र है। वैसे तो इसकी कई परतें है पर आज हम इसकी एक प्रमुख परत के बारे में चर्चा करेंगे। यह चीन की प्रमुख जासूसी एजेंसी है जिसका नाम है 'मिनिस्ट्री ऑफ स्टेट सिक्योरिटी' (MSS)। एमएसएस की स्थापना 1983 में कई एजेंसियों को एक साथ लाने के लिए की गई थी जो पहले से ही काम कर रही थीं ताकि चीनी जासूसी नेटवर्क बेहतर समन्वय के साथ और अधिक प्रभावी ढंग से काम कर सके।

आधिकारिक तौर पर इस एजेंसी को स्थापित करने का प्रस्ताव तत्कालीन प्रधानमंत्री झाओ जियांग द्वारा 20 जून, 1983 को नेशनल पीपुल्स कांग्रेस (एनपीसी) में लाया गया था। एनपीसी को मोटे तौर पर चीन की संसद कहा जा सकता है। ज़ियांग ने "राज्य की सुरक्षा की रक्षा करने और चीन के  लिए जासूसी कार्य को मजबूत करने के लिए" एमएसएस की स्थापना का प्रस्ताव रखा। एनपीसी ने इसे मंजूरी दे दी और लिंग युन को इसकी कमान दी गई।

एमएसएस की औपचारिक स्थापना की घोषणा करने के लिए 1 जुलाई, 1983 को एमएसएस की उद्घाटन बैठक आयोजित की गई थी। उद्घाटन भाषण चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के प्रमुख निकायों में से एक 'केंद्रीय राजनीतिक-कानूनी आयोग' के अध्यक्ष चेन पिक्शियान  द्वारा दिया गया था। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि चीन के विरोधियों से निपटने के लिए इस एजेंसी का उपयोग किया जाएगा। चीन की मंशा साफ थी-एमएसएस इसकी शीर्ष जासूसी और काउंटर-इंटेलिजेंस एजेंसी होगी।

जब से राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने 2012 में चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (सीसीपी) और चीनी सत्ता की बागडोर संभाली है, एमएसएस को और भी अधिक अधिकार दिए गए हैं, इसके प्रभाव का क्षेत्र काफी बढ़ गया है। मौजूदा विश्व व्यवस्था को बदल कर  विश्व में चीन का प्रभुत्व स्थापित करने की  शी जिनपिंग की योजना में, चीनी जासूसी एजेंसियां, विशेष रूप से एमएसएस की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है।

 चूंकि चीन की खुफिया एजेंसियों का कार्यक्षेत्र पश्चिमी देशों की तुलना में बहुत व्यापक है, इसलिए उन्हें अधिक संसाधनों की आवश्यकता है, और शी जिनपिंग ने सुनिश्चित किया है कि वे उन्हें प्राप्त करें। रोजर फालिगोट ने अपनी पुस्तक 'चीनी जासूस: अध्यक्ष माओ से शी जिनपिंग तक' में लिखा है, 'चीनी खुफिया तंत्र के अधिकार में विशेष रूप से 2017 के बाद से जबरदस्त वृद्धि हुई है'।

दुनिया भर में एमएसएस तोड़फोड़, औद्योगिक जासूसी, प्रौद्योगिकी की चोरी सहित सभी प्रकार की संदिग्ध गतिविधियों में शामिल है। इसने ऐसी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए थिंक टैंक और व्यापार संगठन तथा सांस्कृतिक निकायों के रूप में कई मुखौटों को स्थापित किया  है। इनमें प्रमुख हैं चाइना इंस्टीट्यूट ऑफ कंटेम्परेरी इंटरनेशनल रिलेशंस, चाइना रिफॉर्म फोरम और चाइनीज एसोसिएशन फॉर द प्रमोशन ऑफ कल्चरल एक्सचेंज एंड कोआॅपरेशन।

एमएसएस की संरचना

एमएसएस के 18 ब्यूरो बीजिंग में कम से कम चार परिसरों में फैले हुए हैं जो उनके मुख्यालय का काम भी करते हैं। चीन के भीतर एमएसएस का प्रांतीय और अन्य स्थानीय नेटवर्क के साथ-साथ एक वैश्विक नेटवर्क भी है। 2015 में प्रकाशित चाइना डिजिटल की एक ऑनलाइन रिपोर्ट के अनुसार, एमएसएस के पास एक लाख 'जासूसों' की ताकत थी। उनमें से लगभग 60,000 चीन के भीतर काम कर रहे थे  जबकि 40,000 जासूस अन्य देशों में चीन के लिए काम कर रहे थे। इस विशाल आकार से पता चलता है कि एमएसएस का विस्तार कितना बड़ा है।

राष्ट्रीय स्तर से लेकर स्थानीय स्तर तक एमएसएस और उसके अधीनस्थ विभाग और ब्यूरो सीसीपी  नेताओं  के छोटे समूहों को रिपोर्ट करते हैं। इनमें से दो सबसे महत्वपूर्ण समूह हैं- राजनीतिक-कानूनी आयोग और केंद्रीय राज्य सुरक्षा आयोग। क्लाइव हैमिल्टन और मारेइक ओहलबर्ग ने 'हिडन हैंड: एक्सपोज़िंग हाउ द चाइनीज़ कम्युनिस्ट पार्टी इज रिशेपिंग द वर्ल्ड' में उल्लेख किया है, "2005 में यह बताया गया था कि एफबीआई  का मानना है कि एमएसएस ने अपनी गतिविधियों को छुपाने के लिए लगभग 3000 फ्रंट कंपनियों की स्थापना की थी।

एमएसएस आर्थिक जासूसी में खास दिलचस्पी लेता है और इसके जासूस  प्रमुख वित्तीय और वाणिज्यिक संगठनों में, विशेष रूप से शंघाई और हांगकांग में खासे सक्रिय हैं'। इसके अलावा दुनिया भर में चीनी लोग जिन कंपनियों में काम कर रहे हैं उनसे वहां के आर्थिक व टेक्नॉलॉजी से संबधित  महत्वपूर्ण जानकारियां एकत्र करने के लिए एमएसएस लगातार प्रवासी चीननियों के संपर्क में रहती है। इस प्रकार एमएसएस ने दुनिया भर से टेक्नॉलॉजी चुराने में चीनी प्रतिष्ठनों की मदद की है। फिर इसी टेक्नॉलाजी का इस्तेमाल कर चीनी सस्ता माल बना कर विदेशी बाजारों में बेचता है।

हैमिल्टन और ओहलबर्ग के अनुसार, "चीन की खुफिया सेवाओं द्वारा जासूसों की भर्ती के इस्तेमाल के  लिए सेक्स, विचारधारा, देशभक्ति और विशेष रूप से पैसे का इस्तेमाल किया जाता है। 2017 में अमेरिकी जांच एजेंसी  एफबीआई के कर्मचारी, कुन शान चुन  को मुफ्त अंतरराष्ट्रीय यात्रा और वेश्याओं के पास जाने की सुविधा के बदले चीनी एजेंटों को महत्वपूर्ण  जानकारी देने का दोषी ठहराया गया था। चीन के लिए जासूसी करने वालों में और खासकर चीनी मूल के लोगों में विचारधारा  एक प्रमुख कारक है ।  यदि कोई चीनी प्रवासी एमएसएस  से सहयोग करने से इंकार करता है तो  चीन में उसके परिवार के सदस्यों को सजा देने की धमकी का इस्तेमाल किया जाता है।

इतना तो स्प्ष्ट है कि अगर चीन की चुनौती से निपटना है तो इसके खुफिया तंत्र से निपटना आवश्यक है। ध्यान रहे कि चीनी कंपनियां और  विदेशों में  पढ़ाई, काम यां व्यापार कर रहे चीनी नागरिक तथा चीनी मूल के लोग इस तंत्र की सबसे मजबूत कड़ी हैं।

(यह लेखक के निजी विचार हैं)


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