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जैक डोर्सी बनाम भारत सरकार, सवाल साख का है: जयदीप कर्णिक
चंद्रशेखर ने लिखा कि यह ट्विटर के इतिहास के उस धुंधले दौर को साफ करने की कोशिश है, जब ट्विटर डोर्सी के कार्यकाल में लगातार भारतीय कानूनों का उल्लंघन कर रहा था।
समाचार4मीडिया ब्यूरो 1 year ago
जयदीप कर्णिक, संपादक, अमर उजाला डिजिटल।
ट्विटर के पूर्व सीईओ जैक डोर्सी ने एक यूट्यूब चैनल 'ब्रेकिंग पॉइंट्स' को दिए साक्षात्कार में जो बातें कहीं उसने फिर एक बार भारत में ट्विटर की चहकती चिड़िया को लेकर बवाल कर दिया। इस साक्षात्कार के दौरान उनसे कई सवाल पूछे गए। इन्हीं सवालों में एक सवाल था कि क्या कभी किसी सरकार की तरफ से उन पर दबाव बनाने की कोशिश की गई? इसके जवाब में डोर्सी ने बताया कि ऐसा कई बार हुआ और फिर डोर्सी ने भारत का उदाहरण दिया।
अपनी बात को विस्तार से बताते हुए डोर्सी ने कहा कि सरकार की तरफ से उनके कर्मचारियों के घरों पर छापेमारी की बात कही गई। साथ ही नियमों का पालन नहीं करने पर ऑफिस बंद करने की भी धमकी दी गई। डोर्सी ने कहा कि यह सब भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में हुआ।
जाहिर है आरोप संगीन था और सरकार चुप नहीं बैठ सकती थी। जैक डोर्सी के आरोपों पर भारत सरकार ने पलटवार किया। भारत के आईटी राज्यमंत्री राजीव चंद्रशेखर ने ट्वीट करते हुए जैक डोर्सी के आरोपों को झूठा करार दिया। चंद्रशेखर ने लिखा कि यह ट्विटर के इतिहास के उस धुंधले दौर को साफ करने की कोशिश है, जब ट्विटर डोर्सी के कार्यकाल में लगातार भारतीय कानूनों का उल्लंघन कर रहा था।
साल 2020 से लेकर 2022 तक ट्विटर ने भारतीय कानूनों के मुताबिक काम नहीं किया और जून 2022 से भारतीय कानूनों का पालन शुरू किया। किसी को भी जेल नहीं हुई और ना ही ट्विटर को बंद किया गया। डोर्सी के कार्यकाल के दौरान ट्विटर को भारत की संप्रभुता और भारतीय कानूनों को स्वीकार करने में समस्या थी।
इस सब पर राजनीति होनी भी स्वाभाविक थी। कांग्रेस तुरंत मैदान में कूद गई। कांग्रेस नेता सुप्रिया श्रीनेत ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित की। प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि मदर ऑफ डेमोक्रेसी में मर्डर ऑफ डेमोक्रेसी किया जा रहा है। जब तीन काले कृषि कानून आए थे। जब किसानों का दमन किया जा रहा था। ट्विटर जैसे प्लेटफॉर्म को धमकाया भी जा रहा था। उन्हें कहा जा रहा था कि अगर किसानों को दिखाया तो भारत में आपका बोरिया-बिस्तर हम समेट देंगे और आपके खिलाफ छापेमारी की जाएगी।
असल में ट्विटर बनाम भारत सरकार के मामले में पूरा सवाल साख का है। जहां डोर्सी ने भारत सरकार की साख पर उंगली उठाई है वहीं ट्विटर खुद दूध का धुला नहीं है। ट्विटर के शीर्ष पदों पर बैठे अधिकारियों पर अपनी राजनीतिक विचारधारा को आगे बढ़ाने और अन्य को दबाने के आरोप लगते रहे हैं।
मनमाने तरीके से हैंडल बंद या चालू किए गए हैं। खुद भारत के ही आईटी मंत्री का खाता ट्विटर द्वारा बंद कर दिया गया था। सवाल ये है कि क्या सरकार ने सचमुच ट्विटर को इस तरह की कोई धमकी दी थी? अगर दी थी तो वजह क्या थी?
अगर देश की संप्रभुता या कानून व्यवस्था की बात हो तो सरकार इस तरह के कदम उठाती है इसलिए सरकार का पक्ष समझना आवश्यक है। औपचारिक रूप से तो सरकार इसका खंडन कर ही चुकी है। सरकार पर तो फिर भी विपक्ष उंगली उठाएगा और सरकार की जवाबदेही भी है लेकिन ट्विटर, फेसबुक और गूगल जैसे बड़े माध्यम किसके प्रति जवाबदेह हैं?
फेसबुक पर भी अमेरिका के चुनावों को प्रभावित करने के गंभीर आरोप लग चुके हैं और ट्विटर को वामपंथी विचारधारा को बढ़ाने के लिए घेरा जा चुका है। निजी कंपनियाँ अपनी लाभ हानि के हिसाब से काम करती हैं और उसी परिप्रेक्ष्य में इस पूरी घटना को देखा जाना चाहिए।
(यह लेखक के निजी विचार हैं)
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